जयपुर. डांस केवल मनोरंजन का एक साधन नहीं, बल्कि भावनाओं को जाहिर करने का माध्यम भी है. डांस के जरिए लुप्त होती संस्कृति को बचाने के लिए समाज में जागरूकता भी फैला सकते हैं. इसी को बढ़ावा देने के लिए हर साल 29 अप्रैल को इंटरनेशनल डांस डे मनाया जाता है. इस विशेष दिन पर हम आप को राजस्थान की डांसर बेटी सुमन कंवर सिसोदिया के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपने पैशन के आगे नौकरी को भी छोड़ दिया और शुरू की अपने सपनों की उड़ान.
बचपन के सपने को दिए पंख : सुमन मुलतः जोधपुर की रहने वाली हैं. टोंक के पास उनका ससुराल है. उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनका सपना था कि अपने कल्चर में ही घुल मिल कर रहूं और इसे आगे बढ़ाऊं. परिवार का दबाव था कि पढ़ाई खत्म कर अच्छी नौकरी करूं, लेकिन बचपन से ही डांस के प्रति रुझान था. उन्होंने बताया कि वो पढ़ाई के साथ-साथ डांस क्लास और थिएटर भी करती रहीं. पढ़ाई के साथ कत्थक और लोकनृत्य की ट्रेनिंग ली. नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर भवाई, चरी, कालबेलिया और तेरहताली नृत्य की प्रस्तुति के साथ अब वो ट्रेनिंग भी दे रही हैं. अब तक 5000 से ज्यादा स्टूडेंट्स को राजस्थानी लोक नृत्य कला सिखा चुकी हैं.
सुमन बताती हैं कि बचपन से ही वो चाहती थीं कि अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएं, लेकिन पापा चाहते थे कि वह पढ़-लिख कर एक अच्छी नौकरी करें. पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई की और एक कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी हासिल की. उन्होंने बताया कि नौकरी के दौरान भी उनका मन हमेशा ही राजस्थान और वहां के कल्चर में ही रहा. सुमन करीब दो साल की नौकरी के दौरान वहां पर होने वाले कल्चरल प्रोग्राम में भाग लेती रहीं. वहां पर जब कुछ प्रोग्राम किए तो उन्हें काफी सराहना भी मिली. इसके बाद जब सुमन कुछ दिन की छुट्टियों में घर आईं तो पापा से डांस को लेकर बात की. उन्होंने पिता से कहा कि मेरा मन डांस में ही है. पापा की लाडली बेटी थी तो वो मान गए. इसके बाद सुमन का नया सफर शुरू हुआ. ऐसा लगा कि बचपन के सपने को पंख मिल गए.
नूतन के नाम से शुरू की एकेडमी : सुमन बताती हैं कि हमेशा किसी भी काम को करने में चुनौती होती है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ डांस क्लास शुरू करना सब को गलत डिसीजन लगा, लेकिन मां का पूरा सपोर्ट था. उन्होंने बताया कि मन में बस एक ही जिद थी कि युवाओं को ज्यादा से जयादा अपनी संस्कृति से जोड़ना, जो आधुनिकता के इस दौर में हमारी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. इसके लिए नूतन के नाम से एकेडमी शुरू की.
सुमन बताती हैं कि नूतन सिंह उनका बचपन का नाम था तो उसी नाम से एकेडमी शुरू किया. इस एकेडमी के जरिए मकसद पैसा कमाना कभी नहीं रहा. उन्होंने कहा कि इस एकेडमी के जरिए सरकारी स्कूल, एनजीओ के बच्चों को निशुल्क डांस की ट्रेनिंग दे रही हैं. सुमन कहती हैं कपड़ा, खाने के सामान, पैसा तो सब देते हैं लेकिन मैं उन तक एक्टिविटी पहुंचाती हूं. सरकारी स्कूल और एनजीओ में रहने वाले बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते कि वो पैसे देकर डांस सिख सकें, लेकिन उनमें टैलेंट होता है. ऐसे टैलेंट को फ्री में ट्रेनिंग देती हैं.
लुप्त होती संस्कृति को बचाना है : सुमन कहती है डांस की प्रेरणा घर से मिली. बचपन से ही उन्हें यूनिक चीजें पसंद थी. उनका सपना था कि वो अपने कल्चर से में जुड़ी रहें. फिर परिवार में घूमर करते हुए देखा तो उसमें लगता कि इस सब्जेक्ट पर भी कुछ आगे किया जा सकता है. युवा पीढ़ी जो आधुनिकता की चकाचौंध में हमारी संस्कृति से दूर होती जा रही है, उन्हें उनकी संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से इस मिशन को शुरू किया. सुमन युवाओं को संदेश देती हैं कि आधुनिक होना वक्त की जरूरत है, नहीं तो आप पीछे रह जाएंगे, लेकिन इसके साथ आप अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए.
उन्होंने बताया कि वो कई देशों में घूम कर आई हैं. कई राज्यों में गई हैं, लेकिन वहां के लोग उनकी संस्कृति को नहीं छोड़ते हैं. राजस्थान में कई बार देखने को मिलता है कि यहां पर लोग जल्द ही अपनी मातृभाषा को, अपने कल्चर को छोड़कर दूसरी संस्कृति को अपना लेते हैं. मेरा मानना है कि हमारी युवा पीढ़ी को आधुनिकता के साथ-साथ हमारी संस्कृति से भी जुड़ाव रखना चाहिए और उसी दिशा में लगातार यह काम कर रही हूं. सुमन कहती हैं कि राजस्थानी लोक नृत्य हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसलिए में युवाओं को लोकनृत्य के प्रति जागरूक करती हूं.
हम अपनी मातृभाषा को भूल रहे हैं : सुमन कहती हैं कि आप किसी भी देश या राज्य में चले जाएं वहां के लोग अपनी संस्कृति से जुड़े हुए मिलेंगे. गुजरात में लोग गुजराती बोलेंगे, हरियाणा में हरियाणवी, पंजाब में पंजाबी, लेकिन राजस्थान में हम अपनी मातृभाषा को अपने ही घर में बोलें से बचते हैं. हमें अपने कल्चर से दूर नहीं होना चाहिए. अपनी मातृभषा को बोल कर गर्व महसूस होना चाहिए. राजस्थान में ही नहीं बल्कि अन्य राज्य और अन्य देशों में भी वर्कशॉप के जरिए राजस्थानी संस्कृति से जोड़ने का काम कर रही है. सुमन वर्क शॉप के जरिए राजस्थानी संस्कृति के साथ लोक नृत्य जिसमें भवाई, चरी, कालबेलिया और तेरहताली नृत्य की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके साथ राजस्थानी भाषा को अधिक से अधिक बोलने के लिए भी प्रेरित करती हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान :
1. ऐ आर ऐ शिकागो एसोसिएशन अमेरिका की ओर से घूमर वर्कशॉप में सम्मान (इंटरनेशनल अवार्ड).
2. मिस मारवाड़ 2019.
3. इंडिया स्टार आइकॉन अवॉर्ड द बुक ऑफ अवार्ड की श्रेणी में आता है.
4. एनसीसी डायरेक्टरेट जयपुर से कला और संस्कृति क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने पर सम्मानित.
5. स्काउट एंड गाइड जोधपुर से नेशनल लेवल में चयनित होने पर सम्मानित.
6. पश्चिमी राजस्थान हस्तशिल्प 2023 मे मारवाड़ प्राइड अवार्ड (कला और संस्कृति).
7. बाबा रामदेव राज्य स्तरीय अवार्ड (सुगना बाई, लाचा बाई, डाली बाई अवार्ड).
8. वुमन पावर ऑफ सनसिटी ऑर्गेनाइजेशन इन मोस्ट टैलेंटेड गर्ल अवार्ड (कला और संस्कृति).
9. नगर निगम की ओर से कला और संस्कृति में श्रेष्ठ कार्य करने पर सम्मानित.
10. उमेद क्लब और सत्यमेव जयते सिटीजन सोसायटी की ओर से कला और संस्कृति में श्रेष्ठ कार्य करने पर सम्मानित.
11. मान द वैल्यू फाउंडेशन जयपुर की ओर से कला और संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने पर सम्मानित.