जयपुर. राजस्थान में गणगौर का लोकपर्व धूमधाम और श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है. वहीं जयपुर में गणगौर के एक दिन पहले चैत्र शुक्ल दोज पर सुहाग का पर्व सिंजारा मनाया गया. सिंजारे के दिन नव-विवाहित महिलाओं के लिए खास महत्व होता है.
बता दें कि इस दिन नव-विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की लम्बी उम्र की कामना करती हैं. साथ ही माता पार्वती और भगवान शिव से अपने सुखी जीवन की कामना करती हैं. इसी बीच जयपुर में गणगौर से एक दिन पहले मनाए जाने वाले सिंजारा महोत्सव को लेकर सभी महिलाएं अपने सोलह श्रृंगार में व्यस्त नजर आईं.
जयपुर में सुबह से ही महिलाएं अपने घरों में पकवान बनाने में व्यस्त रहीं. वहीं ब्यूटी पार्लर में महिलाएं और युवतियां अपने सजने-संवरने के लिए व्यस्त नजर आईं. नव-विवाहितों का पहला सिंजारा होने से उनके बीच खास उत्साह देखने को मिला. मेकअप आर्टिस्ट पूर्णिमा गोयल ने बताया कि बढ़ती गर्मी को देखते हुए महिलाएं लाइट मेकअप करवा रही हैं. साथ ही वाटर प्रूफ मेकअप को ज्यादा पसंद कर रही हैं. क्योंकि गर्मी में वाटर प्रूफ मेकअप सुबह से शाम तक बना रहता है.
इस सुहाग के पर्व सिंजारे पर महिलाओं में खासा उत्साह रहता है. सिंजारे पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करके बंधेज पहनती हैं और हाथों में मेहंदी लगवाती हैं. इस मौके पर घरों में घेवरों की महक और मेहंदी के रंग सभी को आकर्षित करते हैं, जिस युवती की सगाई हुई होती है, उनको शादी के बाद पहली गणगौर पर ससुराल पक्ष से सिंजारा आता है. नव-विवाहित महिलाओं को सिंजारे में मिठाई में घेवर, फीणी, गुजिया, फल, पाटकली, नव-विवाहिता बंधेज की साड़ी, शृंगार की सामग्री, गहने, परिवार के अन्य सदस्यों के वस्त्र और खिलौने भेंट किया जाता है.
सिंजारा आने पर कन्या पक्ष के घर उत्सव का माहौल होता है. घर में पकवान बनाए जाते हैं. नव-विवाहित महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ माता पार्वती और भगवान की पूजा करती है. साथ ही अपने सुहाग की दीर्घायु की प्रार्थना के साथ सुखी विवाहित जीवन की मंगल कामना करती हैं.
वहीं गणगौर फेस्टिवल को लेकर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचियावास ने बताया कि राजस्थान का गणगौर महोत्सव का अलग ही आनंद है. ये महोत्सव राजस्थान के हर गली, गांव, शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि देश की परंपरा को जिंदा रखने का काम महिलाओं ने किया है.