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रांची के इस चार सौ साल पुराने मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी होती है पूजा - rajasthan

रांची से 17 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा होती है. भले ही रावण को बुराईयों का प्रतीक माना जाता हो, लोग उसे राक्षस कहते हो लेकिन इस मंन्दिर में रावण को लोग पूजते है.

ravan is worshiped in a shiv temple of ranchi
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Published : Jul 22, 2019, 4:17 PM IST

जयपुर/रांची. राजधानी के पिठोरिया गांव में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा की जाती है. बताया जाता है कि यह मंदिर चार सौ साल पुराना है, मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण भोलेनाथ का परम भक्त था. इस वजह से उनकी भी पूजा इस मंदिर में की जाती है. इस मंदिर के ऊपरी भाग पर विशाल दशानन रावण की आकृति बनी हुई है.

रावण में लाख बुराइयों के बावजूद थी एक खासियत
रावण की जब भी बात आती है तो उसे हमेशा बुराइयों का प्रतीक समझा जाता है. यही कारण है कि विद्वान होने के बावजूद, उसकी अच्छाइयों को कम और बुराइयों को ज्यादा याद किया जाता है. बुराइयों के बावजूद रावण में एक खासियत भी थी, वो बहुत बड़ा ज्ञानी और शिवभक्त था. इसी कारण इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा होती है.

चार सौ साल पुराने मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी होती है पूजा- राँची

मंदिर के पुजारी अवध मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर में चार पीढ़ियों से उनके पूर्वज पूजा करते आ रहे हैं.उन्होंने बताया कि रावण बहुत बड़े ज्ञानी और विद्वान थे और जब भगवान शिव गृह प्रवेश कर रहे थे तो रावण ने ब्राह्मण का रूप लेकर उनका गृह प्रवेश करवाया था. मंदिर की बाहरी दीवारों से लेकर अंदर तक कई देवी-देवताओं की मूर्ति बनी हुई है. मंदिर के अंदर शिवलिंग, नाग देवी, पार्वती, ब्रह्मा, गुरुड़ आदि की मूर्ति है.

जयपुर/रांची. राजधानी के पिठोरिया गांव में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा की जाती है. बताया जाता है कि यह मंदिर चार सौ साल पुराना है, मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण भोलेनाथ का परम भक्त था. इस वजह से उनकी भी पूजा इस मंदिर में की जाती है. इस मंदिर के ऊपरी भाग पर विशाल दशानन रावण की आकृति बनी हुई है.

रावण में लाख बुराइयों के बावजूद थी एक खासियत
रावण की जब भी बात आती है तो उसे हमेशा बुराइयों का प्रतीक समझा जाता है. यही कारण है कि विद्वान होने के बावजूद, उसकी अच्छाइयों को कम और बुराइयों को ज्यादा याद किया जाता है. बुराइयों के बावजूद रावण में एक खासियत भी थी, वो बहुत बड़ा ज्ञानी और शिवभक्त था. इसी कारण इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा होती है.

चार सौ साल पुराने मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी होती है पूजा- राँची

मंदिर के पुजारी अवध मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर में चार पीढ़ियों से उनके पूर्वज पूजा करते आ रहे हैं.उन्होंने बताया कि रावण बहुत बड़े ज्ञानी और विद्वान थे और जब भगवान शिव गृह प्रवेश कर रहे थे तो रावण ने ब्राह्मण का रूप लेकर उनका गृह प्रवेश करवाया था. मंदिर की बाहरी दीवारों से लेकर अंदर तक कई देवी-देवताओं की मूर्ति बनी हुई है. मंदिर के अंदर शिवलिंग, नाग देवी, पार्वती, ब्रह्मा, गुरुड़ आदि की मूर्ति है.

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