जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि 5 वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के विपरीत जाकर प्रवेश परीक्षा क्यों समाप्त की गई है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश शांतनु पारीक की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय की सिंडिकेट को ऑर्डिनेंस बनाने और उसमें संशोधन का अधिकार है. ऑर्डिनेंस के तहत 5 वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार का प्रावधान है. इसके बावजूद विश्वविद्यालय की ओर से गत दिनों एक अधिसूचना जारी कर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा के बजाए कक्षा 12 के अंकों के साथ साक्षात्कार का प्रावधान कर दिया.
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याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय ऑर्डिनेंस के खिलाफ अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती. इसके अलावा साक्षात्कार 25 अंकों का लिया जाता है. जिसमें साक्षात्कार बोर्ड को अभ्यर्थी को अंक देने का विवेकाधिकार दिया गया है. याचिका में कहा गया कि पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए साक्षात्कार नहीं होना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.