जयपुर. राइट टू हेल्थ विधेयक के विरोध में चिकित्सकों की प्रदेशव्यापी हड़ताल का मामला पहुंचा हाईकोर्ट पहुंच गया है. आज इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. जाहिर है कि जनहित याचिका के जरिए हड़ताल के लिए दोषी शिक्षाकर्मियों और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की गई है. हाईकोर्ट में सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ में यह सुनवाई होगी. एडवोकेट प्रमोद सिंह ने जनहित याचिका में मुख्य सचिव, चिकित्सा सचिव, चिकित्सा शिक्षा सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, राजस्थान मेडिकल कौंसिल के रजिस्ट्रार सहित आंदोलन कर रहे एक दर्जन से अधिक डॉक्टर्स को पक्षकार बनाया है. एडवोकेट बलराम जाखड की ओर से अधिवक्ता प्रेमचन्द देवन्दा ने भी जनहित याचिका दायर की है.
चल सकता है बातचीत का दौर : राइट टू हेल्थ बिल को लेकर गतिरोध को तोड़ने के लिए आज बातचीत का दौर भी चलेगा. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के साथ निजी डॉक्टर्स की वार्ता हुई. पूरे मामले को लेकर आज पीसीसी चीफ डोटासरा के सरकारी आवास पर निजी डाक्टर्स के डेलिगेशन की वार्ता हुई है. माना जा रहा है कि पूरे मामले में एक कमेटी बनाई जा सकती है. जिसमें तीन मंत्री और आईएएस अधिकारी शामिल होंगे. इस दौरान बिल के बिंदुओं पर चर्चा के लिए कमेटी काम करेगी. वहीं, बिल बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले आईएएस अधिकारियों के साथ भी निजी डॉक्टर्स की वार्ता संभव है. बिल के बिंदुओं पर डॉक्टर्स और ब्यूरोक्रेट के बीच चर्चा हो सकती है.
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वहीं, आंदोलन को जारी रखने के लिए आंदोलन कर रहे चिकित्सकों की ओर से सुबह करीब 10 बजे एक मशाल यात्रा रवाना होगी. जयपुर से सीकर होते हुए यह यात्रा इसके बाद अन्य जिलों में जाएगी. डॉक्टर्स यात्रा के दौरान जिलों, गांव, ढाणियों में लोगों को राइट टू हेल्थ बिल के नुकसान को लेकर जागरूक करेंगे. जीएमए सभागार में एक महिला डॉक्टर नीलम खंडेलवाल कल से आमरण अनशन पर है, जबकि तीन डॉक्टर्स क्रमिक अनशन पर बैठे हैं.