जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ट्रांसजेंडर संरक्षण नियम, 2020 को कब नोटिफाइड कर लागू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई एक माह के लिए टाल दी है. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश शालिनी श्योराण की जनहित याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 बनाया गया है. अधिनियम की धारा 22 में प्रावधान किया गया है कि एक्ट को लागू करने के लिए नियम बनाए जाएंगे. इसके बावजूद अब तक नियम नहीं बनाए गए हैं. ऐसे में अधिनियम के प्रावधानों की पालना नहीं हो रही है. वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता सीएल सैनी ने कहा कि ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) नियम, 2020 का ड्राफ्ट बना लिया गया है. इसे लागू करने से पहले ड्राफ्ट को राज्य सरकार को सुझाव के लिए भेजे गए हैं.
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इस पर अदालत ने कहा कि वे सरकार से पूछकर बताए कि नियम को कब तक लागू कर देंगे. जनहित याचिका में कहा गया कि वर्ष 2018 में प्रदेश में ट्रांसजेंडर की जनसंख्या करीब 75 हजार थी. इनके कल्याण के लिए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 बनाया गया है. जिसमें प्रावधान किया गया है कि ऐसे लोगों को अपने परिवार से अलग नहीं किया जाएगा. वहीं उनके लिए अलग से शौचालय भी बनाए जाएंगे.
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इसके साथ ही ऐसे लोगों को अलग से प्रमाण पत्र या परिचय पत्र नहीं दिया जाता. जिसके चलते इन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल, 2014 को आदेश जारी कर इन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए आरक्षण सहित अन्य कानूनी प्रावधान 6 माह में लागू करने को कहा था. इसके बावजूद अब तक इन प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम ही नहीं बने हैं. जिसके चलते अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं हो पा रहे हैं.