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जयुपर : इकोलॉजिकल जोन में धड़ल्ले से हो रहे निर्माण, मास्टर प्लान मामले में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मास्टर प्लान से छेड़छाड़ मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. कोर्ट 10 मई को मामले में सुनवाई करेगा. हालांकि इस बीच इकोलॉजिकल जोन में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं. कहीं फ्लैट, तो कहीं कॉलोनी काटकर बैक डेट में सोसायटी के पट्टों पर भूखंडों को बेचा जा रहा है. यही नहीं न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना में इकोलॉजिकल जोन में आवंटियों को कब्जा सौंपने की तैयारी की जा रही है.

ecological zone indiscriminately,  इकोलॉजिकल जोन
इकोलॉजिकल जोन में धड़ल्ले से हो रहे निर्माण
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Published : Apr 15, 2021, 2:32 AM IST

जयपुर. सीकर रोड स्थित ट्रांसपोर्ट नगर योजना का क्षेत्रफल 200 हेक्टेयर है. जिसमें से करीब 60 हेक्टेयर जमीन इकोलॉजिकल जोन में है. बावजूद इसके यहां आवंटियों को कब्जा सौंपने और फिर निर्माण शुरू करने की तैयारी है. आवंटन दर निर्धारण के लिए कमेटी बना दी गई है जबकि मास्टर प्लान 2011 में ये हिस्सा इकोलॉजिकल है.

उधर, आगरा रोड पर मास्टर प्लान के प्रावधानों की जगह-जगह धज्जियां उड़ रही हैं. यहां चाणक्यपुरी और पुरानी चुंगी पर तो हाईवे के किनारे पर ही नए निर्माण हो रहे हैं. वहीं हाईवे के दोनों और बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं. जबकि विजयपुरा रोड पर एक साथ कई विला बन रहे हैं. मीणा पाली में कच्ची बस्ती क्वार्टर के पीछे धड़ल्ले से नए निर्माण हो रहे हैं. इसके अलावा जामडोली, आसपास के क्षेत्र और गोनेर रोड में भी नई कॉलोनियों का निर्माण कार्य हो रहा है.

ecological zone indiscriminately,  इकोलॉजिकल जोन
इकोलॉजिकल जोन में धड़ल्ले से हो रहे निर्माण

ये भी पढ़ें: पढे़ं: बाड़मेर में व्यवसायी की आत्महत्या: प्रतिनिधिमंडल और पुलिस के बीच वार्ता विफल, परिजनों का मोर्चरी के बाहर धरना जारी

आपको बता दें कि मास्टर प्लान मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने 12 जनवरी 2017 को विस्तृत आदेश दिया था. सरकार की पालना करने का तर्क तो दे रही है लेकिन आदेश तिथि के बाद से. सरकार का तर्क है कि पहले वाली स्थिति में लौटना अब संभव नहीं है। जबकि हाईकोर्ट में इकोलॉजिकल एरिया मामले में मास्टर प्लान 2011 के तहत पालना करने के आदेश दे रखे हैं. इसमें मुख्य रूप से जयपुर शहर के आगरा रोड के दोनों तरफ का बड़ा हिस्सा शामिल है.

जयपुर. सीकर रोड स्थित ट्रांसपोर्ट नगर योजना का क्षेत्रफल 200 हेक्टेयर है. जिसमें से करीब 60 हेक्टेयर जमीन इकोलॉजिकल जोन में है. बावजूद इसके यहां आवंटियों को कब्जा सौंपने और फिर निर्माण शुरू करने की तैयारी है. आवंटन दर निर्धारण के लिए कमेटी बना दी गई है जबकि मास्टर प्लान 2011 में ये हिस्सा इकोलॉजिकल है.

उधर, आगरा रोड पर मास्टर प्लान के प्रावधानों की जगह-जगह धज्जियां उड़ रही हैं. यहां चाणक्यपुरी और पुरानी चुंगी पर तो हाईवे के किनारे पर ही नए निर्माण हो रहे हैं. वहीं हाईवे के दोनों और बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं. जबकि विजयपुरा रोड पर एक साथ कई विला बन रहे हैं. मीणा पाली में कच्ची बस्ती क्वार्टर के पीछे धड़ल्ले से नए निर्माण हो रहे हैं. इसके अलावा जामडोली, आसपास के क्षेत्र और गोनेर रोड में भी नई कॉलोनियों का निर्माण कार्य हो रहा है.

ecological zone indiscriminately,  इकोलॉजिकल जोन
इकोलॉजिकल जोन में धड़ल्ले से हो रहे निर्माण

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आपको बता दें कि मास्टर प्लान मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने 12 जनवरी 2017 को विस्तृत आदेश दिया था. सरकार की पालना करने का तर्क तो दे रही है लेकिन आदेश तिथि के बाद से. सरकार का तर्क है कि पहले वाली स्थिति में लौटना अब संभव नहीं है। जबकि हाईकोर्ट में इकोलॉजिकल एरिया मामले में मास्टर प्लान 2011 के तहत पालना करने के आदेश दे रखे हैं. इसमें मुख्य रूप से जयपुर शहर के आगरा रोड के दोनों तरफ का बड़ा हिस्सा शामिल है.

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