जयपुर. प्रदेश में शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान के बाद एक बार फिर शिक्षक गुस्साए हुए हैं. दरअसल 6 मई को शिक्षक चुनाव ड्यूटी निभाएंगे और 7 मई को बाल विवाह रुकवाएंगे. उसके बाद 8 मई को स्कूलों में परीक्षा परिणाम जारी करेंगे और 9 मई को बड़े स्तर पर होने वाली बाल सभाएं भी करवाएंगे.
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने प्रदेश के शिक्षकों को एक नोटिस जारी कर कहा है कि 7 मई को आखातीज और 18 मई को पीपल पूजा में होने वाले बाल विवाह को रुकवाने का काम करें. अगर किसी शिक्षक के क्षेत्र में बाल विवाह होते हुए पाया जाता है तो उसकी जिम्मेदारी भी शिक्षक की होगी.
स्कूल शिक्षा परिषद के अव्यहवारिक आदेशों को लेकर शिक्षकों में गुस्सा है. एक ही समय में शिक्षक चुनाव ड्यूटी निभाएगा, बाल विवाह रुकवाएगा, उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करेगा, वार्षिक परीक्षा के परिणाम को घोषित करेगा साथ ही बड़े स्तर पर होने वाली बाल सभा भी करवाएगा. कुछ ऐसे समझें शिक्षकों का हाल.
- 5 मई को चुनावी ड्यूटी के तहत बूथ पर जाने के लिए होंगे रवाना.
- 6 मई को जिन-जिन जिलों में मतदान होने हैं, वहां-वहां मतदान करवाएंगे.
- वहीं प्रदेश सरकार के आदेशानुसार 7 मई को प्रदेश के शिक्षकों को बाल विवाह रुकवाने हैं.
- 8 मई को स्कूलों में जिला समान परीक्षा परिणाम घोषित करने हैं.
- 9 मई को बड़े स्तर पर होने वाली बालसभा में भाग लेना है.
शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के इन आदेशों को अज्ञानता का परिचय दिया है और कहा है कि शिक्षकों के साथ अव्यवहारिक और मानसिक उत्पीड़न करने वाला आदेश है. शिक्षक कोई रोबोट नहीं है कि एक ही समय मे एकाधिक कार्य को सम्पन्न करने में सक्षम हो.
शिक्षकों ने कहा कि इतने सारे कार्यों में किसी न किसी कार्य की अवहेलना होगी. अरस्तू के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि पढ़ाई को छोड़कर अन्य सारे काम भी शिक्षक करेगा तो नामांकन व्रद्धि कैसे होगी. शिक्षक जब कक्षा में पढाएंगे नहीं तो ग्रामीण अभिभावक कैसे शिक्षकों के भरोसे बच्चों को स्कूलों में भेजेंगे. इन आदेशों के बाद शिक्षकों में भारी आक्रोश है और मई के पहले सप्ताह में शिक्षकों के पास पढ़ाई करवाने के अलावा अन्य कार्य ज्यादा हैं. ऐसे में कैसे नामांकन वृद्धि होगी.