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इस बार दीपावली के अगले दिन नहीं होगी गोवर्धन पूजा, टूटेगी सालों की परंपरा - धनतेरस

करीब तीन दशक बाद दीपावली (Diwali 2022) के अगले दिन नहीं बल्कि 1 दिन बाद गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022) होगी. इस बार दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा और 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा. यहां जानिए क्यों...

Govardhan Puja 2022
Govardhan Puja 2022
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Published : Oct 8, 2022, 10:47 AM IST

Updated : Oct 8, 2022, 2:07 PM IST

जयपुर. करीब तीन दशक बाद दीपावली के अगले दिन नहीं बल्कि 1 दिन बाद गोवर्धन पूजा होगी. इस बार चतुर्दशी युक्त अमावस्या में दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा जबकि 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण रहेगा. जिसका प्रभाव होने से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट अगले दिन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके अगले दिन भाई दूज होगी. यानी कि 22 अक्टूबर से शुरू होने वाले दीपोत्सव इस बार 5 दिवसीय होने के बजाय 6 दिन के होंगे. हालांकि राज्य सरकार की ओर से जारी कैलेंडर में 25 अक्टूबर ही गोवर्धन पूजा दर्शाई गई है, जिसे लेकर सरकारी विभागों के कर्मचारियों में अवकाश को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

दीपोत्सव धनतेरस के साथ शुरू होता है. इसके बाद दूसरे दिन रूप चतुर्दशी, तीसरे दिन दीपावली इसके बाद गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022) और आखिरी दिन भाई दूज मनाई जाती है. दीपावली अंधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है. इस अवसर पर लोग अपने घरों और कार्यालयों को साफ करते हैं और सजाते हैं. दीपावली की रात को नए कपड़े पहन लक्ष्मी पूजा करते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, बधाई और मिठाई का आदान-प्रदान करते हुए रिश्तेदारों से मुलाकात करते हैं. अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है.

टूटेगी सालों की परंपरा

पढ़ें- इस बार शरद पूर्णिमा पर बन रहे कई संयोग, जानें इस दिन क्यों खाते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर

लेकिन इस बार दीपावली (Diwali 2022) के अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 4:15 बजे से सूर्य ग्रहण का सूतक लग जाएगा. इससे दीपावली पूजन पर कोई प्रभाव नहीं होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश भारद्वाज की मानें तो सूर्य ग्रहण का प्रभाव होने से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट 25 अक्टूबर के बजाय अगले दिन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना करें और नव ग्रहों की शांति के लिए गुड़ और गेहूं का दान करें इससे स्वास्थ्य लाभ होगा. बता दें कि 4:32 से सूर्य ग्रहण शुरू होगा. उस दिन शाम 5:50 बजे सूर्यास्त होगा.

दीपोत्सव के पांच दिवसीय पर्व :

  • धनतेरस- पहले दिन को धनतेरस कहते हैं. दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है. इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं. धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व है. इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे. तभी से इस दिन का नाम 'धनतेरस' पड़ा. इस दिन बर्तन, धातु और आभूषण खरीदने की परंपरा रहती है. वहीं स्वास्थ्य की मंगल कामना के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा आराधना की जाती है.
  • रूप चतुर्दशी- दीपोत्सव के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस कहते हैं. इसी दिन नरकासुर का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने 16 हजार 100 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन उबटन करने से रूप और सौंदर्य में वृद्ध‍ि होती है.
  • दीपावली- दीपोत्सव का ये मुख्य पर्व होता है. दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है. कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है. ऐसे में इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए. दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान रामचन्द्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे. श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए थे. तभी से दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा है. इस दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक की जाती है.
  • गोवर्धन पूजा- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है. इसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं. इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया. तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा भी चली आ रही है.
  • भाई दूज- इस दिन को भाई दूज और यम द्वितीया कहते हैं. भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है.

हालांकि, सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्ष 2022 कैलेंडर में जिन 31 सार्वजनिक अवकाश को अंकित किया गया है, उनमें दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को दर्शाते हुए अवकाश दिया गया है. कैलेंडर के अनुसार लक्ष्मी पूजन सोमवार 24 अक्टूबर, फिर गोवर्धन पूजा मंगलवार 25 अक्टूबर और भाई दूज बुधवार 26 अक्टूबर दर्शाई गई है. ऐसे में फिलहाल सरकारी कर्मचारियों में गोवर्धन पूजा के अवकाश को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

जयपुर. करीब तीन दशक बाद दीपावली के अगले दिन नहीं बल्कि 1 दिन बाद गोवर्धन पूजा होगी. इस बार चतुर्दशी युक्त अमावस्या में दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा जबकि 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण रहेगा. जिसका प्रभाव होने से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट अगले दिन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसके अगले दिन भाई दूज होगी. यानी कि 22 अक्टूबर से शुरू होने वाले दीपोत्सव इस बार 5 दिवसीय होने के बजाय 6 दिन के होंगे. हालांकि राज्य सरकार की ओर से जारी कैलेंडर में 25 अक्टूबर ही गोवर्धन पूजा दर्शाई गई है, जिसे लेकर सरकारी विभागों के कर्मचारियों में अवकाश को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

दीपोत्सव धनतेरस के साथ शुरू होता है. इसके बाद दूसरे दिन रूप चतुर्दशी, तीसरे दिन दीपावली इसके बाद गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022) और आखिरी दिन भाई दूज मनाई जाती है. दीपावली अंधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है. इस अवसर पर लोग अपने घरों और कार्यालयों को साफ करते हैं और सजाते हैं. दीपावली की रात को नए कपड़े पहन लक्ष्मी पूजा करते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, बधाई और मिठाई का आदान-प्रदान करते हुए रिश्तेदारों से मुलाकात करते हैं. अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है.

टूटेगी सालों की परंपरा

पढ़ें- इस बार शरद पूर्णिमा पर बन रहे कई संयोग, जानें इस दिन क्यों खाते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर

लेकिन इस बार दीपावली (Diwali 2022) के अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 4:15 बजे से सूर्य ग्रहण का सूतक लग जाएगा. इससे दीपावली पूजन पर कोई प्रभाव नहीं होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश भारद्वाज की मानें तो सूर्य ग्रहण का प्रभाव होने से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट 25 अक्टूबर के बजाय अगले दिन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना करें और नव ग्रहों की शांति के लिए गुड़ और गेहूं का दान करें इससे स्वास्थ्य लाभ होगा. बता दें कि 4:32 से सूर्य ग्रहण शुरू होगा. उस दिन शाम 5:50 बजे सूर्यास्त होगा.

दीपोत्सव के पांच दिवसीय पर्व :

  • धनतेरस- पहले दिन को धनतेरस कहते हैं. दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है. इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं. धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व है. इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे. तभी से इस दिन का नाम 'धनतेरस' पड़ा. इस दिन बर्तन, धातु और आभूषण खरीदने की परंपरा रहती है. वहीं स्वास्थ्य की मंगल कामना के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा आराधना की जाती है.
  • रूप चतुर्दशी- दीपोत्सव के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस कहते हैं. इसी दिन नरकासुर का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने 16 हजार 100 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन उबटन करने से रूप और सौंदर्य में वृद्ध‍ि होती है.
  • दीपावली- दीपोत्सव का ये मुख्य पर्व होता है. दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है. कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है. ऐसे में इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए. दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान रामचन्द्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे. श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए थे. तभी से दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा है. इस दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक की जाती है.
  • गोवर्धन पूजा- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है. इसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं. इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया. तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा भी चली आ रही है.
  • भाई दूज- इस दिन को भाई दूज और यम द्वितीया कहते हैं. भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है.

हालांकि, सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्ष 2022 कैलेंडर में जिन 31 सार्वजनिक अवकाश को अंकित किया गया है, उनमें दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को दर्शाते हुए अवकाश दिया गया है. कैलेंडर के अनुसार लक्ष्मी पूजन सोमवार 24 अक्टूबर, फिर गोवर्धन पूजा मंगलवार 25 अक्टूबर और भाई दूज बुधवार 26 अक्टूबर दर्शाई गई है. ऐसे में फिलहाल सरकारी कर्मचारियों में गोवर्धन पूजा के अवकाश को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

Last Updated : Oct 8, 2022, 2:07 PM IST
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