जयपुर. सनातन धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व माना गया है. ये धार्मिक आस्था के भी प्रतीक है, जिन्हें अब आस्था के केंद्र देवस्थान विभाग के मंदिरों में उपवन विकसित करने की तैयारी की जा रही है. देवस्थान विभाग मंत्री शकुंतला रावत ने बताया कि नंदनकानन योजना के तहत देवस्थान के जितने भी मंदिर हैं, वहां पुष्प वाले पौधे सदाबहार, हारशृंगार, मोगरे, रात की रानी, चंपा, चमेली लगाए जाएंगे. इसके अलावा बेलपत्र, पीपल, आंवला, बड़ जैसे पूजनीय पेड़ भी लगाए जाएंगे, ताकि सावन में भगवान शिव की पूजा के लिए बीलपत्र, वटसावित्री पर बड़, आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा भी हो और ये पेड़-पौधे पर्यावरण को भी शुद्ध करेंगे, ऑक्सीजन भी देंगे.
आने वाली पीढ़ी को प्राकृतिक ऑक्सीजन मिले : उन्होंने बताया कि प्रकृति पूजनीय है. वृक्ष को पूजने की परंपरा रही है, उस परंपरा को जीवित रखने के लिए ये पहल की जा रही है. देवस्थान विभाग के सभी 593 मंदिरों में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे और इनकी जिम्मेदारी मंदिर प्रशासन के साथ-साथ देवस्थान विभाग के इंस्पेक्टर को सौंपी गई है. पेड़-पौधे उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग और नगरीय निकायों को कहा गया है. एक अभियान के रूप में चलाते हुए नंदनकानन योजना को सफल बनाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी को कभी ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता न पड़े और उन्हें प्राकृतिक ऑक्सीजन मिल सके.
पढ़ें. राजस्थान सरकार ने लगाई 593 मंदिरों पर पीताम्बरी, मंत्री रावत बोलीं हमें ईश्वर में है विश्वास
इंस्पेक्टर्स की लगाई जाएगी ड्यूटी : उन्होंने बताया कि जहां पानी की व्यवस्था और पर्याप्त कच्ची जमीन है, वहां ये पेड़-पौधे लगाए जाएंगे. जहां कच्ची जमीन नहीं है वहां गमलों में सदाबहार, हजारे और तुलसी के छोटे पौधे लगाए जाएंगे. रावत ने बताया कि मंदिरों में पुजारी, सेवागीर और गार्ड तैनात हैं. सभी मिलकर इस उपवन को संवारेंगे. इसके अलावा विभाग के इंस्पेक्टर्स की भी ड्यूटी लगाई जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि पौधे की साज-संभाल की जाती है, तभी वो बड़ा होता है. अन्यथा वो पानी नहीं देने की वजह से सूख भी सकता है और ये भी स्पष्ट है कि यदि कोई पौधा सूख जाता है, तो उसकी जगह तुरंत नया पौधा भी लगाया जाए.
ट्री गार्ड लगाकर पौधों की रखवाली : वहीं, कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बंदर या दूसरे पशुओं की बहुतायत की वजह से इन पेड़ पौधों को नुकसान भी पहुंच सकता है. इस पर शकुंतला रावत ने कहा कि बंदर जैसे पशुओं को पकड़ना तो नामुमकिन है. लेकिन जयपुर में नगर निगम की महापौर और अन्य जगहों पर भी निकाय प्रमुखों से बात की गई है. जिन मंदिरों में आवश्यकता हो वहां जाल वाले ट्री गार्ड लगाकर पौधों की रखवाली की जाएगी, ताकि ये पौधे पनप सके.
आखिर में उन्होंने कहा कि प्रदेश की संस्कृति, परंपरा और मुख्यमंत्री की भावना सेवा परमो धर्म को साकार करने के उद्देश्य से नंदनकानन योजना की शुरुआत की जा रही है, जिससे मंदिर आत्मनिर्भर बने और यहां एक हरियाली युक्त वाटिका विकसित हो सके. इन मंदिरों में तुलसी, पीपल, बीलपत्र जैसे पूजनीय पेड़-पौधों के साथ-साथ सदाबहार, हजारे, हारशृंगार और मोगरे जैसे फूलदार पौधे भी लगाए जाएंगे.