जयपुर. राजधानी का पहला स्टील केबल स्टेड ब्रिज की गुरुवार को नींव रखी जानी थी, लेकिन इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है. ओटीएस चौराहे पर जाम की (Jaipur First Steel Cable Stayed Bridge) समस्या के समाधान के लिए इसे ट्रैफिक सिग्नल फ्री जंक्शन बनाया जा रहा है. यहां स्टील स्ट्रक्चर बेस एलिवेटेड फ्लाईओवर बनाया जाना प्रस्तावित है. इसके साथ ही ओटीएस सर्किल का सौंदर्यीकरण का काम भी होगा.
जयपुर में ओटीएस सर्किल पर 600 मीटर से 1 किलोमीटर लंबा फोरलेन स्टील केबल स्टेड ओवरब्रिज (Steel cable stayed bridge) बनाया जाएगा. साथ ही 2 क्लोवर लीफ (ग्राउंड पर सर्किल) बनाने की तैयारी है. इसके लिए डिजाइन बनाने और टेंडर का काम पूरा होने के बाद अब गुरुवार दोपहर 1:00 बजे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल इसकी नींव रखने वाले थे, लेकिन अब यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. ये जयपुर का पहला स्टील केबल स्टेड ब्रिज होगा. दरअसल, सिग्नल फ्री जंक्शन के तहत ओटीएस पर काम कराया जा रहा है.
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करीब 150 करोड़ रुपये की आएगी लागत : जेएलएन मार्ग पर ट्रैफिक का सबसे ज्यादा दबाव इसी चौराहे पर रहता है. ओटीएस चौराहे से हर रोज 55 हजार से ज्यादा गाड़ियां निकलती हैं. इससे ट्रैफिक जाम की समस्या इस चौराहे पर बढ़ जाती है. पीक आवर्स में यहां 2 बार में रेड लाइट होने पर वाहन के निकलने का नम्बर आता है. इसके अलावा ये रोड वीवीआईपी मूवमेंट की नजरिए से भी अहम है. यहां वाहनों का दबाव देखते हुए एक ओवरब्रिज बनाया जाएगा, जबकि जलधारा और ओटीएस परिसर के पास दो क्लोवर लीफ बनाए जाएंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 150 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है.
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जेएलएन मार्ग पर मालवीय नगर रेलवे ओवरब्रिज से गांधी सर्किल की तरफ आने-जाने वाले ट्रैफिक के लिए ओटीएस चौराहे पर स्टील केबल स्टेड ब्रिज बनाया जाएगा. वहीं टोंक रोड को जोड़ने वाली पुलिया से आने वाला ट्रैफिक, जो मालवीय नगर रेलवे ओवरब्रिज की तरफ जाना चाहता है, उसके लिए ओटीएस परिसर की तरफ एक क्लोवर लीफ बनाया जाएगा. जबकि सूचना आयुक्त ऑफिस की तरफ से आने वाला ट्रैफिक जो ओटीएस पुलिया की तरफ जेएलएन मार्ग पर जाना चाहता है, उसके लिए जलधारा के पास क्लोवर लीफ बनाया जाएगा.
केबल ब्रिज का यूटिलिटी टाइम ज्यादा : हालांकि इस स्टील केबल स्टेड ब्रिज में पुलिया के नीचे पिलर नहीं होंगे. इसमें लगने वाले बड़े-बड़े स्पैन को दो पिलर पर बनाए गए केबल स्टैंड के जरिए हुक किया जाएगा. इस कारण इस ब्रिज पर जॉइंट भी सामान्य ओवरब्रिज या एलिवेटेड रोड के मुकाबले कम होंगे और इनके नीचे खुला स्पेस भी ज्यादा होगा. विशेषज्ञों की मानें तो केबल ब्रिज का यूटिलिटी टाइम भी सामान्य ब्रिज से ज्यादा होता है. एक सामान्य ब्रिज 50-60 साल बाद खराब हो जाता है और उसे तोड़ना पड़ता है. जबकि केबल ब्रिज का यूटिलिटी टाइम 70-80 साल होता है.