जयपुर. भारतीय प्रशासनिक सेवा के केरल कैडर में लगभग 35 साल सेवाएं देने के बाद टीकाराम मीणा अपनी जमीन पर वापसी कर रहे हैं. मीणा सेवानिवृत्ति के बाद सवाई माधोपुर जिले के बौंली तहसील में अपने पैतृक गांव लौट चुके हैं. उन्होंने रिटायरमेंट से पहले केरल में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर भी काम किया और अब राजनीति के जरिए नई जमीन की तलाश कर रहे हैं. टीकाराम मीणा ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में अपने प्रशासनिक तजुर्बे के आधार पर प्रदेश के मौजूदा मुद्दों पर विचार साझा किए.
सरकार को युवाओं पर देना चाहिए ध्यान : टीकाराम मीणा ने अपनी बातचीत के दौरान सरकारी नीतियों में युवाओं को तरजीह दिए जाने की बात कही. उन्होंने राजस्थान में भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे मुद्दों को लेकर भी विचार रखे. मीणा ने कहा कि आज का दौर आईटी की क्रांति का है. ऐसे में युवाओं को सोशल और इमोशनल स्टेबिलिटी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि युवाओं को जड़ों से जोड़ कर रखा जाना जरूरी है, तभी कामयाबी का स्वाद चखा जा सकता है.
केंद्र में योजना आयोग और आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में काम करते हुए अपने अनुभव को साझा करते हुए टीकाराम मीणा ने कहा कि आज भी देश के सामने गरीबी, बेरोजगारी और असमानता जैसे मुद्दे चुनौती बने हुए हैं. राजस्थान के परिपेक्ष में बात करते हुए मीणा ने कहा कि रीजनल इंबैलेंस यानी क्षेत्रीय असमानता के कारण सरकारी नीतियां आज भी प्रदेश के हर कोने तक नहीं पहुंच पा रही है. उन्होंने कहा कि आज भी राजस्थान के पूर्वी हिस्से में और सुदूर दक्षिण के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में बजट का हिस्सा पहुंचने में सरकार की सोच के मुताबिक काम नहीं हो पा रहा है, जबकि सरकारों की प्राथमिकता में प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा रहता है. ऐसे में योजनाओं में क्षेत्रीय असमानता को दूर किया जाना जरूरी है.
पेपर लीक को बताया दुर्भाग्यपूर्ण : मीणा ने कहा कि परीक्षा करवाने से पहले सिस्टम को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है. उन्होंने आरपीएससी में सदस्यों के चुनाव के लिए इंटीग्रिटी ऑफ कैरेक्टर की बात कही और चुनाव के लिए सतर्कता बरते जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आरपीएससी को चलाने वाले लोगों के चरित्र और उनके व्यक्तित्व का विशेष रूप से ख्याल चुनाव के वक्त रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी सिलेक्शन प्रोसेस में राजनीति, धन या अन्य किसी प्रकार का प्रभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दर को देखते हुए भर्तियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दिया जाना भी आवश्यक है. हर राज्य को 'सन ऑफ द सॉइल' पॉलिसी के आधार पर ही काम करना चाहिए.
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केरल मॉडल हो सकता है आदर्श : मीणा ने इस दौरान राजस्थान में वर्तमान मुद्दों के लिए केरल के विकास मॉडल का अनुसरण करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि केरल में HDI यानी ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स काफी ऊपर है. इसका एक कारण साक्षरता की ऊंची दर भी है. मीणा ने कहा कि गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या भी दक्षिण के राज्य में काफी कम है. यही वजह है कि सरकारी योजनाएं आखिरी सिरे तक पहुंचती हैं. उन्होंने बताया कि वहां राजस्थान के मुकाबले मैटरनल-इंफेंट मोर्टेलिटी रेट का कम होना और हर गांव में हेल्थ सेंटर का होना भी विकास के मॉडल के मजबूत होने का परिचायक है. लिहाजा बीमारू राज्य का टैग हटाने के लिए इस दिशा में मजबूती से काम किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि केरल में विकेंद्रीकरण की नीति को पूरी दुनिया ने सराहा है.
परिवार में प्रशासनिक सेवा का जज्बा : केरल कैडर से रिटायर हुए आईएएस अधिकारी टीकाराम मीणा के परिवार से कई प्रशासनिक अधिकारी फिलहाल देश के विभिन्न हिस्सों में प्रशासनिक सेवाएं दे रहे हैं. उनकी एक बेटी मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. दूसरी बेटी राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत हैं. एक बेटा और बेटी फिलहाल शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उनके परिवार में अन्य नजदीकी रिश्तेदार भी भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा में देश के लिए समर्पित हैं.