जयपुर. सरकार और पुलिस के तमाम कोशिशों के वावजूद भी देश में साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं. तकनीक और संचार प्रौद्योगिकी की तेज बढ़ती रफ्तार लोगों को करीब लाने में मदद कर रही है, लेकिन शातिर बदमाश इसका नाजायज फायदा भी उठा रहे हैं. इस बीच आर्थिक अपराध का ग्राफ भी तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. जहां देश में आर्थिक अपराध के आंकड़ें करीब 11 फीसदी की दर से बढ़े हैं.
वहीं, राजस्थान में आर्थिक अपराध का ग्राफ 17.22 फीसदी की दर से ऊपर की तरफ गया है. यही नहीं, प्रदेश की राजधानी जयपुर भी आर्थिक अपराध के लिहाज से देश में टॉप पर पहुंच गया है. यह खुलासा पिछले दिनों जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की साल 2022 की रिपोर्ट में हुआ है. आंकड़े इस बात की भी गवाही देते हैं कि राजस्थान आर्थिक अपराध के लिहाज से लगातार तीन साल से देश में टॉप पॉजिशन पर है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में साल 2022 में आर्थिक अपराध के 1,93,385 केस सामने आए हैं. यह आंकड़ा साल 2021 के मुकाबले 11.1 फीसदी बढ़ा है. वहीं, राजस्थान में साल 2022 में आर्थिक अपराध के 27,848 केस दर्ज हुए हैं, जबकि साल साल 2021 में ऐसे 23,757 और 2020 में 18,528 मुकदमे दर्ज हुए. साल 2021 के मुकाबले 2022 में प्रदेश में आर्थिक अपराध का आंकड़ा 17.22 फीसदी बढ़ा है. इससे उलट नगालैंड, सिक्किम और मध्यप्रदेश में आर्थिक अपराध के सबसे कम मामले सामने आए हैं. वहीं, बात अगर शहरों की करें तो आर्थिक अपराध की सबसे ज्यादा घटनाएं प्रदेश की राजधानी जयपुर, लखनऊ और पटना में दर्ज हुई हैं.
25 प्रतिशत मामलों में ही दर्ज हुई चार्जशीट : आर्थिक अपराध के लिहाज से भारत का 193 देशों की सूची में 48वां स्थान है, जबकि अगर न्यायिक प्रक्रिया की बात करें तो आर्थिक अपराध से जुड़े महज 25 फीसदी मामलों में ही पुलिस कोर्ट में चालान पेश कर पाई है, जबकि केवल चार फीसदी मामलों में ही कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
जानिए, आखिर क्या हैं आर्थिक अपराध: ठगी, चीटिंग और फ्रॉड आर्थिक अपराध में आते हैं. इनमें बैंक, एटीएम, डेबिट कार्ड-क्रेडिट कार्ड और यूपीआई से जुड़े फ्रॉड प्रमुख हैं. इसके साथ ही दस्तावेजों की जालसाजी, जाली नोट से जुड़े मामले, जाली स्टाम्प से जुड़े मामले और रुपए के लेन-देन व प्रॉपर्टी के मामलों में विश्वासघात के मामले भी आर्थिक अपराध में शामिल हैं. ऐसे मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 406 से 409, 231 से 243, 255, 489ए से 489ई और 420, 465, 468 व 471 के तहत दर्ज होते हैं.