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पुलिस से मारपीट की एफआईआर को हाईकोर्ट ने किया रद्द, मामले की जांच सीबीआई को सौंपी

ज्योतिनगर थाना पुलिस के साथ मारपीट करने और आरोपी को छुड़ाने का प्रयास करने के संबंध में दर्ज एफआईआर को राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की संलिप्तता की जांच सीबीआई को दी है.

हाईकोर्ट ने रद्द की एफआईआर, High court quits FIR
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 5, 2019, 11:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ज्योतिनगर थाना पुलिस के साथ मारपीट करने और आरोपी को छुड़ाने का प्रयास करने के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की संलिप्तता की जांच सीबीआई को दी है.

पुलिस से मारपीट की एफआईआर को हाईकोर्ट ने किया रद्द

न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश मोइनुद्दीन कुरैशी की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए. अदालत ने सीबीआई को कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की जानी वाली रिपोर्ट को एक माह में दर्ज कर प्रकरण की जांच करे. अदालत ने कहा कि प्रकरण में सीआइडी सीबी ने भी जांच के नाम पर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया है.

पढ़ें- जोधपुरः हाईकोर्ट की पुरानी बिल्डिंग में अंतिम सुनवाई, भावुक हुए न्यायाधीश और अधिवक्ता

याचिका में अधिवक्ता अनिल उपमन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भूमि आवंटन को लेकर वर्ष 2015 में एफआईआर दर्ज कराई गई. जिसमें जारी गिरफ्तारी वारंट को अदालत ने निरस्त कर दिया था. वहीं, 27 जून 2016 की रात पुलिसकर्मी कोरियरकर्मी बनकर आए और जबरन बाहर ले आए. बाहर खडे़ ज्योतिनगर थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मी मारपीट करते हुए याचिकाकर्ता को थाने ले गए.

वहीं, थानाधिकारी ने याचिकाकर्ता और उसके दो पुत्रों के खिलाफ पुलिस से मारपीट करने और याचिकाकर्ता को छुड़ाने का प्रयास करने का मामला दर्ज कर लिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में मौके के सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए. साथ ही अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में यातना देने के मामले में राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा चुका है. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके पुत्रों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए मामले की जांच सीबीआई को दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ज्योतिनगर थाना पुलिस के साथ मारपीट करने और आरोपी को छुड़ाने का प्रयास करने के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की संलिप्तता की जांच सीबीआई को दी है.

पुलिस से मारपीट की एफआईआर को हाईकोर्ट ने किया रद्द

न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश मोइनुद्दीन कुरैशी की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए. अदालत ने सीबीआई को कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की जानी वाली रिपोर्ट को एक माह में दर्ज कर प्रकरण की जांच करे. अदालत ने कहा कि प्रकरण में सीआइडी सीबी ने भी जांच के नाम पर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया है.

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याचिका में अधिवक्ता अनिल उपमन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भूमि आवंटन को लेकर वर्ष 2015 में एफआईआर दर्ज कराई गई. जिसमें जारी गिरफ्तारी वारंट को अदालत ने निरस्त कर दिया था. वहीं, 27 जून 2016 की रात पुलिसकर्मी कोरियरकर्मी बनकर आए और जबरन बाहर ले आए. बाहर खडे़ ज्योतिनगर थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मी मारपीट करते हुए याचिकाकर्ता को थाने ले गए.

वहीं, थानाधिकारी ने याचिकाकर्ता और उसके दो पुत्रों के खिलाफ पुलिस से मारपीट करने और याचिकाकर्ता को छुड़ाने का प्रयास करने का मामला दर्ज कर लिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में मौके के सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए. साथ ही अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में यातना देने के मामले में राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा चुका है. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके पुत्रों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए मामले की जांच सीबीआई को दी है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने ज्योतिनगर थाना पुलिस के साथ मारपीट करने और आरोपी को छुडाने का प्रयास करने के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की संलिप्तता की जांच सीबीआई को दी है। न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी की एकलपीठ ने यह आदेश मोइनुद्दीन कुरैशी की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए। अदालत ने सीबीआई को कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की जानी वाली रिपोर्ट को एक माह में दर्ज कर प्रकरण की जांच करे। अदालत ने कहा कि प्रकरण में सीआइडी सीबी ने भी जांच के नाम पर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया है।Body:याचिका में अधिवक्ता अनिल उपमन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भूमि आवंटन को लेकर वर्ष 2015 में एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसमें जारी गिरफ्तारी वारंट को अदालत ने निरस्त कर दिया था। वहीं 27 जून 2016 की रात पुलिसकर्मी कोरियरकर्मी बनकर आए और जबरन बाहर ले आए। बाहर खडे ज्योतिनगर थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मी मारपीट करते हुए याचिकाकर्ता को थाने ले गए। वहीं थानाधिकारी ने याचिकाकर्ता और उसके दो पुत्रों के खिलाफ पुलिस से मारपीट करने और याचिकाकर्ता को छुडाने का प्रयास करने का मामला दर्ज कर लिया। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में मौके के सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए। वहीं अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में यातना देने के मामले में राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा चुका है। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता व उसके पुत्रों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए मामले की जांच सीबीआई को दी है।Conclusion:
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