जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ज्योतिनगर थाना पुलिस के साथ मारपीट करने और आरोपी को छुड़ाने का प्रयास करने के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में पुलिस की संलिप्तता की जांच सीबीआई को दी है.
न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश मोइनुद्दीन कुरैशी की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए. अदालत ने सीबीआई को कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की जानी वाली रिपोर्ट को एक माह में दर्ज कर प्रकरण की जांच करे. अदालत ने कहा कि प्रकरण में सीआइडी सीबी ने भी जांच के नाम पर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया है.
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याचिका में अधिवक्ता अनिल उपमन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भूमि आवंटन को लेकर वर्ष 2015 में एफआईआर दर्ज कराई गई. जिसमें जारी गिरफ्तारी वारंट को अदालत ने निरस्त कर दिया था. वहीं, 27 जून 2016 की रात पुलिसकर्मी कोरियरकर्मी बनकर आए और जबरन बाहर ले आए. बाहर खडे़ ज्योतिनगर थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मी मारपीट करते हुए याचिकाकर्ता को थाने ले गए.
वहीं, थानाधिकारी ने याचिकाकर्ता और उसके दो पुत्रों के खिलाफ पुलिस से मारपीट करने और याचिकाकर्ता को छुड़ाने का प्रयास करने का मामला दर्ज कर लिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में मौके के सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए. साथ ही अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में यातना देने के मामले में राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा चुका है. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके पुत्रों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए मामले की जांच सीबीआई को दी है.