जयपुर. न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित कई अन्य मांगों को लेकर देश भर के किसान शनिवार को एक बार फिर सड़क (Farmers March to Raj Bhavan in Jaipur) पर उतरे. केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसानों ने राजभवन तक मार्च किया. किसान शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए, इसके बाद रैली के रूप में राजभवन के लिए रवाना हुए. हालांकि इस बीच पुलिस ने बैरिकेडिंग करके किसानों को रोकने की कोशिश की. लेकिन किसान बैरिकेडिंग लांघकर सिविल लाइन फाटक पहुंचे. इसके बाद वहां से एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन दिया.
बैरिकेडिंग भी नहीं रोक पाई : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शनिवार को किसानों ने सभी राज्यों में राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन दिया. जयपुर में भी शहीद स्मारक पर सुबह से किसानों के अलग-अलग संगठन एकत्रित हुए. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया. पूर्व विधायक और किसान नेता अमराराम ने कहा कि स्थानों से किया हुआ वादा केंद्र सरकार भूल गई है. उसे वादे को याद दिलाने के लिए एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं.
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उन्होंने कहा कि ये वही किसान हैं जिन्होंने इतिहास के सबसे बड़े लंबे आंदोलन के बाद (Farmers Crossed barricading in Jaipur) केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर किया था. अमराराम ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार बनी है तब तक अमीर और अमीर होता गया और किसान गरीब का गरीब ही रह गया. उद्योग घरानों को पनपाने का काम इस केंद्र के 8 साल की सरकार में हुआ है.
किसान नेता राजाराम मील ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के हितों की बात करती है, लेकिन उनके लिए फैसले नहीं देती है. इसी केंद्र सरकार को जगाने के लिए आज का यह आंदोलन किया है. देश में आज इस आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार को मैसेज देना है कि जो वादे किए उन्हें पूरा करें नहीं तो सड़कों पर उतरेंगे और सरकार को घुटनों के बल ला देंगे.
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किसानों की यह है मांग : (Demands of Farmers in Jaipur)
- सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू + 50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून बनाने,
- एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से सभी किसानों की सम्पूर्ण "कर्ज मुक्ति",
- बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लो,
- लखीमपुर-खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई,
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए "व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना",
- सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की "किसान पेंशन",
- किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेने,
- किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को "मुआवजे का भुगतान" शामिल हैं.