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राज्य सरकार और RPSC बताए, क्यों न ईओ व आरओ परीक्षा रद्द कर दी जाए : राजस्थान हाईकोर्ट

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Published : Jul 18, 2023, 9:09 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार और आरपीएससी से सवाल पूछा है कि क्यों न ईओ और आरओ परीक्षा रद्द कर दी जाए. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ईओ और आरओ परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार व अनियमितता को लेकर मुख्य सचिव, आरपीएससी चेयरमैन व प्रमुख यूडीएच सचिव से जवाब मांगा है. अदालत ने इन अधिकारियों से तीन सप्ताह में बताने को कहा है कि क्यों न परीक्षा में हुई धांधली के चलते इसे रद्द कर दिया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश राधेश्याम छीपा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने बताया कि इन पदों के लिए गत 14 मई को दो पारियों में लिखित परीक्षा हुई थी. इसमें करीब 104 पदों के लिए 3 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, लेकिन बीकानेर जिले में नकल गिरोह द्वारा परीक्षा में नकल करवाए जाने व पेपर लीकेज होने की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने और आयोग के कई सदस्यों के भी इसमें शामिल होने से परीक्षा की गोपनीयता भंग हुई है.

पढ़ें : किरोड़ी मीणा का एक और धमाका, कहा- अनुभवहीन शिक्षकों ने जांची RAS भर्ती परीक्षा की कॉपी, चहेतों को पहुंचाया फायदा

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में एसीबी में हुई दर्ज एफआईआर व अन्य दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि परीक्षा में अपने चहेतों का चयन करवाने के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली व भ्रष्टाचार हुआ है. परीक्षा में कई अभ्यर्थियों से लाखों रुपए की मांग कर उनकी ओएमआर शीट बदलकर उन्हें अच्छे नंबर दिलवाने व परीक्षा में चयन करवाने की गारंटी दी गई.

एसीबी ने भी कार्रवाई कर परीक्षा में पास करवाने के नाम पर 18.50 लाख रुपए की रिश्वत लेते 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. ऐसे में आरपीएससी की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हुए कथित भ्रष्टाचार व अनियमितताओं से परीक्षा की पूरी चयन प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ गई है. इसलिए परीक्षा को ही रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ईओ और आरओ परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार व अनियमितता को लेकर मुख्य सचिव, आरपीएससी चेयरमैन व प्रमुख यूडीएच सचिव से जवाब मांगा है. अदालत ने इन अधिकारियों से तीन सप्ताह में बताने को कहा है कि क्यों न परीक्षा में हुई धांधली के चलते इसे रद्द कर दिया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश राधेश्याम छीपा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने बताया कि इन पदों के लिए गत 14 मई को दो पारियों में लिखित परीक्षा हुई थी. इसमें करीब 104 पदों के लिए 3 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, लेकिन बीकानेर जिले में नकल गिरोह द्वारा परीक्षा में नकल करवाए जाने व पेपर लीकेज होने की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने और आयोग के कई सदस्यों के भी इसमें शामिल होने से परीक्षा की गोपनीयता भंग हुई है.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में एसीबी में हुई दर्ज एफआईआर व अन्य दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि परीक्षा में अपने चहेतों का चयन करवाने के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली व भ्रष्टाचार हुआ है. परीक्षा में कई अभ्यर्थियों से लाखों रुपए की मांग कर उनकी ओएमआर शीट बदलकर उन्हें अच्छे नंबर दिलवाने व परीक्षा में चयन करवाने की गारंटी दी गई.

एसीबी ने भी कार्रवाई कर परीक्षा में पास करवाने के नाम पर 18.50 लाख रुपए की रिश्वत लेते 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. ऐसे में आरपीएससी की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हुए कथित भ्रष्टाचार व अनियमितताओं से परीक्षा की पूरी चयन प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ गई है. इसलिए परीक्षा को ही रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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