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Special: कागजों में रह गई प्लानिंग! सड़क पर मनमर्जी चल रहे ई-रिक्शा, शहर में लग रहे जाम - प्रहलाद सिंह कृष्णिया

पर्यावरण बचाने और आमजन को परिवहन का किफायती साधन मुहैया करवाने के लिए शुरू किए गए ई-रिक्शा (E Rickshaw causing Traffic burden) अब सिरदर्द का कारण बनने लगे हैं. इसके पीछे जागरूकता का अभाव और प्लानिंग की कमी मुख्य कारण सामने आ रहे हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

E Rickshaw causing Traffic burden
E Rickshaw causing Traffic burden
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Published : Apr 27, 2023, 12:46 PM IST

सड़क पर मनमर्जी से चल रहे ई-रिक्शा

जयपुर. बिना प्लानिंग के शुरू की गई योजना कैसे सुविधा की जगह लोगों की परेशानी का कारण बन जाती है इसकी बानगी राजधानी में चल रहे ई-रिक्शा के तौर पर देखा जा सकता है. यहां आए दिन ई-रिक्शा की वजह से लोगों को सुविधा होने के बजाय संकट का सामना करना पड़ता है. दरअसल, आमजन को किफायती दर पर परिवहन का साधन मुहैया करवाने के साथ ही पर्यावरण को बचाने का हवाला देकर शुरू किए गया ई-रिक्शा अब आमजन लिए सिरदर्द बन गया है.

गुलाबी नगरी में परकोटे के साथ ही करीब दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां दिन में कई बार जाम के हालात बन जाते हैं. इनमें ज्यादातर जाम ई-रिक्शा के कारण लगते हैं. इसका एक कारण यह है कि ई-रिक्शा चालक बीच सड़क पर भी वाहन रोककर सवारी बिठाने की जुगत में रहते हैं. सवारियों को उतारने में भी इसी तरह की मनमानी सामने आती है. इसके चलते पीछे चल रहे वाहन चालकों को रुकना पड़ता है और जाम के हालात बन जाते हैं.

पढ़ें. Special: राजस्थान के पहले रोटरी फ्लाईओवर पर चढ़ने से कतरा रहे लोग, दावे से उलट है हकीकत

सवारियों के लिए 28 हजार ई-रिक्शा : बाजारों में जाम के हालात बनने से व्यापारी वर्ग खासा परेशान हैं. खास तौर पर सुबह और शाम के समय परकोटे समेत कई इलाकों में जाम लगने से लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में ज्यादा समय खर्च करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण बाजारों में हजारों की संख्या में चल रहे ई-रिक्शा को माना जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो राजधानी जयपुर में परिवहन विभाग में करीब 31 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं. इनमें 28,000 सवारियों को लाने और ले जाने के लिए और करीब 3000 लोडिंग ई-रिक्शा शामिल हैं.

Total E Rickshaw in Jaipur
देखें कुछ फैक्ट्स

8 से 12 जोन किए, लेकिन फायदा नहीं : पहले राजधानी जयपुर को आठ जोन में बांटकर 24 हजार बैट्री संचालित ई-रिक्शा के संचालन की बात कही जा रही थी. फिर जोन की संख्या को बढ़ाकर 12 कर दिया गया. इन 12 जोन में फिलहाल 31 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं. योजना यह थी कि अलग-अलग जोन में पंजीकृत ई-रिक्शा उसी जोन में संचालित किए जाएंगे और उनकी पहचान के लिए इन पर जोन के हिसाब से अलग-अलग रंग की पट्टियां लगाई जाएंगी, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अब आलम यह है कि इन 31 हजार में से 25 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा परकोटे और आसपास के इलाकों में ही चल रहे हैं.

पढ़ें. ई-रिक्शा से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की सैर कर सकेंगे सैलानी...जल्द शुरू हो सकती है सुविधा

अलग लेन बनाने की कवायद सफल नहीं : शुरुआती दौर में ई-रिक्शा के लिए कुछ जगहों पर अलग लेन बनाने की कवायद की गई थी, लेकिन यह फार्मूला भी ज्यादा दिन चल नहीं पाया. अब शहर में आलम यह है कि सड़क के किनारे से लेकर सड़क के बीचों-बीच तक ई-रिक्शा चलते दिख जाते हैं. ऐसे में अगर लेन फार्मूला बनाकर इसे सख्ती से लागू किया जाए तो भी काफी हद तक जाम से निजात मिल जाती है.

परकोटे, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हाल ज्यादा खराब : ज्यादातर ई-रिक्शा रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड से परकोटे के बीच संचालित हो रहे हैं. ऐसे में रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड के बाहर दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं, जबकि चांदपोल से छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ के बीच भी दिन में कई बार जाम लगता है. सुबह और शाम के समय एमआई रोड, गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, अजमेरी गेट और सांगानेरी गेट पर भी जाम के हालात रहते हैं. गुर्जर की थड़ी, 200 फीट बाईपास, सोडाला, सवाई मानसिंह अस्पताल, नारायण सिंह सर्किल, रामबाग चौराहा, यूनिवर्सिटी चौराहा आदि जगहों पर भी हालत खराब रहते हैं.

शिविर लगाकर समझाइश कर रही यातायात पुलिस : यातायात पुलिस की ओर से ई-रिक्शा चालकों के लिए जागरूकता शिविर लगाकर समझाइश की जा रही है. 11 जनवरी 2022 को अजमेरी गेट स्थित यातायात पुलिस कार्यालय में जागरूकता शिविर लगाकर समझाइश की गई और जागरूकता रैली निकाली गई. इसी तरह 12 जनवरी 2023 को रेलवे स्टेशन और आमेर में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. अब हर नियमित अंतराल पर जागरूकता शिविर लगाने की कवायद की जा रही है.

जागरूकता कैंप और चालकों को ट्रैनिंग : डीसीपी (यातायात) प्रहलाद सिंह कृष्णियां का कहना हैं कि ई-रिक्शा से लगने वाले जाम से निपटने के लिए यातायात पुलिस की ओर से जागरूकता कैंप का आयोजन किया जा रहा है. इसके साथ ही ई-रिक्शा चालकों को अलग से ट्रेनिंग भी दिलवाई जा रही है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से खास प्लानिंग के तहत क्षेत्रों का निर्धारण किया जा रहा है. इसके साथ ही इनकी पार्किंग की व्यवस्था करने की भी कवायद की जा रही है, ताकि यातायात जाम के हालात से निजात मिल सके.

सड़क पर मनमर्जी से चल रहे ई-रिक्शा

जयपुर. बिना प्लानिंग के शुरू की गई योजना कैसे सुविधा की जगह लोगों की परेशानी का कारण बन जाती है इसकी बानगी राजधानी में चल रहे ई-रिक्शा के तौर पर देखा जा सकता है. यहां आए दिन ई-रिक्शा की वजह से लोगों को सुविधा होने के बजाय संकट का सामना करना पड़ता है. दरअसल, आमजन को किफायती दर पर परिवहन का साधन मुहैया करवाने के साथ ही पर्यावरण को बचाने का हवाला देकर शुरू किए गया ई-रिक्शा अब आमजन लिए सिरदर्द बन गया है.

गुलाबी नगरी में परकोटे के साथ ही करीब दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां दिन में कई बार जाम के हालात बन जाते हैं. इनमें ज्यादातर जाम ई-रिक्शा के कारण लगते हैं. इसका एक कारण यह है कि ई-रिक्शा चालक बीच सड़क पर भी वाहन रोककर सवारी बिठाने की जुगत में रहते हैं. सवारियों को उतारने में भी इसी तरह की मनमानी सामने आती है. इसके चलते पीछे चल रहे वाहन चालकों को रुकना पड़ता है और जाम के हालात बन जाते हैं.

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सवारियों के लिए 28 हजार ई-रिक्शा : बाजारों में जाम के हालात बनने से व्यापारी वर्ग खासा परेशान हैं. खास तौर पर सुबह और शाम के समय परकोटे समेत कई इलाकों में जाम लगने से लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में ज्यादा समय खर्च करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण बाजारों में हजारों की संख्या में चल रहे ई-रिक्शा को माना जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो राजधानी जयपुर में परिवहन विभाग में करीब 31 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं. इनमें 28,000 सवारियों को लाने और ले जाने के लिए और करीब 3000 लोडिंग ई-रिक्शा शामिल हैं.

Total E Rickshaw in Jaipur
देखें कुछ फैक्ट्स

8 से 12 जोन किए, लेकिन फायदा नहीं : पहले राजधानी जयपुर को आठ जोन में बांटकर 24 हजार बैट्री संचालित ई-रिक्शा के संचालन की बात कही जा रही थी. फिर जोन की संख्या को बढ़ाकर 12 कर दिया गया. इन 12 जोन में फिलहाल 31 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं. योजना यह थी कि अलग-अलग जोन में पंजीकृत ई-रिक्शा उसी जोन में संचालित किए जाएंगे और उनकी पहचान के लिए इन पर जोन के हिसाब से अलग-अलग रंग की पट्टियां लगाई जाएंगी, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अब आलम यह है कि इन 31 हजार में से 25 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा परकोटे और आसपास के इलाकों में ही चल रहे हैं.

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अलग लेन बनाने की कवायद सफल नहीं : शुरुआती दौर में ई-रिक्शा के लिए कुछ जगहों पर अलग लेन बनाने की कवायद की गई थी, लेकिन यह फार्मूला भी ज्यादा दिन चल नहीं पाया. अब शहर में आलम यह है कि सड़क के किनारे से लेकर सड़क के बीचों-बीच तक ई-रिक्शा चलते दिख जाते हैं. ऐसे में अगर लेन फार्मूला बनाकर इसे सख्ती से लागू किया जाए तो भी काफी हद तक जाम से निजात मिल जाती है.

परकोटे, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हाल ज्यादा खराब : ज्यादातर ई-रिक्शा रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड से परकोटे के बीच संचालित हो रहे हैं. ऐसे में रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड के बाहर दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं, जबकि चांदपोल से छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ के बीच भी दिन में कई बार जाम लगता है. सुबह और शाम के समय एमआई रोड, गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, अजमेरी गेट और सांगानेरी गेट पर भी जाम के हालात रहते हैं. गुर्जर की थड़ी, 200 फीट बाईपास, सोडाला, सवाई मानसिंह अस्पताल, नारायण सिंह सर्किल, रामबाग चौराहा, यूनिवर्सिटी चौराहा आदि जगहों पर भी हालत खराब रहते हैं.

शिविर लगाकर समझाइश कर रही यातायात पुलिस : यातायात पुलिस की ओर से ई-रिक्शा चालकों के लिए जागरूकता शिविर लगाकर समझाइश की जा रही है. 11 जनवरी 2022 को अजमेरी गेट स्थित यातायात पुलिस कार्यालय में जागरूकता शिविर लगाकर समझाइश की गई और जागरूकता रैली निकाली गई. इसी तरह 12 जनवरी 2023 को रेलवे स्टेशन और आमेर में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. अब हर नियमित अंतराल पर जागरूकता शिविर लगाने की कवायद की जा रही है.

जागरूकता कैंप और चालकों को ट्रैनिंग : डीसीपी (यातायात) प्रहलाद सिंह कृष्णियां का कहना हैं कि ई-रिक्शा से लगने वाले जाम से निपटने के लिए यातायात पुलिस की ओर से जागरूकता कैंप का आयोजन किया जा रहा है. इसके साथ ही ई-रिक्शा चालकों को अलग से ट्रेनिंग भी दिलवाई जा रही है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से खास प्लानिंग के तहत क्षेत्रों का निर्धारण किया जा रहा है. इसके साथ ही इनकी पार्किंग की व्यवस्था करने की भी कवायद की जा रही है, ताकि यातायात जाम के हालात से निजात मिल सके.

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