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E Prison Program : विचाराधीन कैदियों की जानकारी मिलेगी एक क्लिक पर

राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे पंकज मित्थल ने मंगलवार को इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन (E Prison Program in Rajasthan) विद ई-प्रिजन प्रोग्राम की ई-लांचिंग की. राजस्थान पहला प्रदेश है, जिसमें विचाराधीन बंदियों की सभी सूचना ई-प्रिजन सॉफ्टवेयर से मिल सकेगी.

E Prison Program For undertrial prisoners
E Prison Program For undertrial prisoners
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Published : Dec 13, 2022, 9:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे पंकज मित्थल ने मंगलवार को इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन विद ई-प्रिजन प्रोग्राम (E Prison Program For undertrial prisoners) की ई-लॉन्चिंग की है. यह प्रोग्राम लांच करने वाला राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है, जिसमें कोर्ट केसों से जुड़े विचाराधीन बंदियों की सभी सूचना जेल प्रशासन के ई-प्रिजन सॉफ्टवेयर के जरिए प्राप्त की जा सकेगी.

दरअसल पिछले दिनों ही हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता व कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने एक (E Prison Program in Rajasthan) आपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए ऐसा प्रोग्राम विकसित करने का निर्देश दिया था. जिसमें विचाराधीन बंदियों की सूचना जेल प्रशासन से ई-प्रोग्राम के तहत मिल सके. सीजे ने कार्यक्रम में प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों से विचाराधीन बंदियों के रिमांड व ट्रायल में उनकी उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा वीसी के जरिए कराने और ऐसे केसों के जल्द निस्तारण करवाने की बात भी कही.

पढ़ें. Rajasthan Jail कैदियों के मेहनताने पर पीड़ित पक्ष का भी हक, 3.90 करोड़ रुपए फांक रहे धूल

हाईकोर्ट के प्रशासनिक जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि इस प्रोग्राम के जरिए किसी भी केस में यदि कोई अभियुक्त जेल में न्यायिक अभिरक्षा में है तो कोर्ट को इस प्रोग्राम के जानकारी जरिए मिल सकेगी, यानि वह कब से अभिरक्षा में है, उसने कितनी अवधि की अभिरक्षा भुगत ली है. वह किसी अन्य केस में अभिरक्षा में रहा है या नहीं, इसकी जानकारी उसे तुरंत मिल जाएगी. कार्यक्रम में जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रोग्राम से प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर विचाराधीन बंदियों को रालसा (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) की ओर से दी जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता में भी सहयोग मिलेगा.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे पंकज मित्थल ने मंगलवार को इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन विद ई-प्रिजन प्रोग्राम (E Prison Program For undertrial prisoners) की ई-लॉन्चिंग की है. यह प्रोग्राम लांच करने वाला राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है, जिसमें कोर्ट केसों से जुड़े विचाराधीन बंदियों की सभी सूचना जेल प्रशासन के ई-प्रिजन सॉफ्टवेयर के जरिए प्राप्त की जा सकेगी.

दरअसल पिछले दिनों ही हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता व कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने एक (E Prison Program in Rajasthan) आपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए ऐसा प्रोग्राम विकसित करने का निर्देश दिया था. जिसमें विचाराधीन बंदियों की सूचना जेल प्रशासन से ई-प्रोग्राम के तहत मिल सके. सीजे ने कार्यक्रम में प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों से विचाराधीन बंदियों के रिमांड व ट्रायल में उनकी उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा वीसी के जरिए कराने और ऐसे केसों के जल्द निस्तारण करवाने की बात भी कही.

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हाईकोर्ट के प्रशासनिक जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि इस प्रोग्राम के जरिए किसी भी केस में यदि कोई अभियुक्त जेल में न्यायिक अभिरक्षा में है तो कोर्ट को इस प्रोग्राम के जानकारी जरिए मिल सकेगी, यानि वह कब से अभिरक्षा में है, उसने कितनी अवधि की अभिरक्षा भुगत ली है. वह किसी अन्य केस में अभिरक्षा में रहा है या नहीं, इसकी जानकारी उसे तुरंत मिल जाएगी. कार्यक्रम में जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रोग्राम से प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर विचाराधीन बंदियों को रालसा (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) की ओर से दी जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता में भी सहयोग मिलेगा.

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