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Ray of Hope: जयपुर की कच्ची बस्तियों में वास करने वालों के लिए मसीहा हैं डॉक्टर सुनीता वालिया

आज हम आपको एक ऐसी महिला चिकित्सक के बारे में बताएंगे, जो क्लिनिक चलाने की बजाय गरीबों की मदद को मेडिकल कैंप लगाती है. ताकि उन्हें उचित समय पर चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही दवाएं मुहैया (Medical camp to help poor in Jaipur) कराई जा सके.

Medical camp to help poor in Jaipur,  free treatment for the poor
डॉ. सुनीता वालिया.
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Published : Feb 18, 2023, 7:28 PM IST

डॉ. सुनीता वालिया

जयपुर. डॉक्टर को भगवान के बराबर दर्जा दिया जाता है, क्योंकि डॉक्टर मरते इंसान को भी बचा लेते हैं. लेकिन कई बार आर्थिक तंगी के कारण गरीब और जरूरतमंद इलाज नहीं करा पाते हैं. लेकिन आज कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी हैं, जो खुद आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद व इलाज कर रहे हैं. ताकि उन्हें उचित समय पर उपचार मुहैया करा उनकी जान बचाई जा सके. आज हम ऐसी एक चिकित्सक की बात करने जा रहे हैं, जो पिछले 15-16 सालों से गरीब व जरूरतमंद लोगों का मुफ्त में इलाज कर रही हैं. डॉ. सुनीता वालिया ने पहले इसकी शुरुआत सरकारी स्कूलों से की और अब कच्ची बस्तियों में खुद के पैसों से मेडिकल कैंप लगाती हैं. यहां वो मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही निःशुल्क दवाइयां भी मुहैया कराती हैं.

गरीबों की सेवा है उद्देश्यः डॉक्टर सुनीता वालिया जयपुर और उसके आसपास की कच्ची बस्तियों में आए दिन मेडिकल कैंप के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंदों का इलाज करती हैं. सुनीता ने गुजरात के सूरत से साल 1993 में मेडिकल की पढ़ाई की. शुरुआती दिनों से ही वो जरूरतमंदों की सेवार्थ कैंप का संचालन कर उनका उपचार कर रही हैं. सुनीता बताती हैं कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी शादी हो गई और वो जयपुर चली आई. यहां पति के साथ बिजनेस को खड़ा किया. इसे सेट करने में करीब 10 साल का वक्त लग गया, लेकिन उनके मन में हमेशा सहयोग का भाव बना रहा. ऐसे में बिजनेस सेटल होने के बाद उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मुफ्त में सेवा करने का फैसला किया.

Medical camp to help poor in Jaipur
मरीज को जांच के बाद दवा देती डॉ. सुनीता वालिया

हर तीन महीने में लगाती है कैंपः सुनीता बताती हैं कि जब मेडिकल में काम करने का मन बना रही थी, तब उनकी मुलाकात हुई जीजे उनिथान से हुई, जो उस वक्त बहुत ईमानदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगाया करती थी. ऐसे में वो उनके साथ जुड़ी और काम शुरू की. वर्तमान में वो जयपुर के आसपास कुछ कच्ची बस्तियों को सलेक्ट कर तीन महीने के अंतराल पर कैंप लगाती हैं. जहां बस्ती में रहने वाले लोगों और बच्चों को मौसमी बीमारियों से अगाह करने साथ ही उनका उपचार करती हैं. हालांकि, वो केवल प्राथमिक उपचार करती हैं. वहीं, अगर जांच के दौरान कोई गंभीर बीमारी का पता चलता है तो मरीज को सरकारी अस्पताल तक पहुंचाती हैं. ताकि उसका सही तरीके से इलाज हो सके और वो स्वस्थ होकर घर लौट आए.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान में क्यों बढ़ रहे महिलाओं पर अत्याचार, ईटीवी भारत पर विशेष चर्चा

कोरोनाकाल में बनीं जीवनदायिनीः डॉक्टर सुनीता वालिया का ये मिशन कच्ची बस्ती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह सरकारी स्कूलों में भी समय-समय पर मेडिकल कैंप लगाकर बच्चों की न केवल जांच करती हैं, बल्कि उन्हें मेडिसिन भी उपलब्ध कराती हैं. सुनीता का ये मिशन कोरोनाकाल में उन जरूरतमंद लोगों के लिए जीवनदायिनी के रूप में बना जो छोटी-छोटी बीमारियों को नजरअंदाज करके गंभीर और बड़ी बीमारी को न्योता दे रहे थे. कोरोनाकाल के दौरान वो कच्ची बस्तियों में लोगों के उपचार के लिए दवा उपलब्ध कराती रही. ताकि किसी भी गरीब की दवा के अभाव जान न जाए. सुनीता ने आगे बताया कि उन्हें इससे सुकून मिलता है. यही वजह है कि वो उमा फाउंडेशन के जरिए लोगों को नि:शुल्क उपचार व दवा मुहैया कराती हैं.

Medical camp to help poor in Jaipur
कैंप में स्कूली बच्चे की जांच करती डॉ. सुनीता वालिया

इवनिंग मोबाइल मेडिकल वैनः डॉ. सुनीता ने कहा कि वैसे तो सरकारी स्तर पर मेडिकल क्षेत्र में अच्छे काम किए जा रहे हैं. प्रदेश में चिरंजीवी योजना से लोग लाभान्वित भी हो रहे हैं और उन्हें बेहतर उपचार मिल रहा है. लेकिन आज भी समाज का एक वर्ग ऐसा है, जो इन सुविधाओं से वंचित है. ऐसे में हम उन्हीं के लिए काम करते हैं. डॉ. सुनीता बताती हैं कि कच्ची बस्ती में रहने वाले लोग अक्सर अस्पताल तक इसलिए नहीं जाते हैं, क्योंकि सरकारी अस्पताल में काफी भीड़ होती है. उनको डॉक्टर को दिखाने में आधा दिन लग जाता है. ये वर्ग हर दिन मजदूरी करके अपने और अपने परिवार का पेट पालता है. ऐसे में एक दिन की मजदूरी भी अगर इनकी नहीं मिलती है तो इन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सुनीता ने कहती हैं कि सरकार को इवनिंग मोबाइल मेडिकल वैन शुरू करनी चाहिए. यह सुविधा कच्ची बस्तियों में शाम को दो घंटे शुरू हो, ताकि इन लोगों की दिहाड़ी मजदूरी भी खराब न हो और इन्हें प्राथमिक उपचार भी मिल जाए.

डॉ. सुनीता वालिया

जयपुर. डॉक्टर को भगवान के बराबर दर्जा दिया जाता है, क्योंकि डॉक्टर मरते इंसान को भी बचा लेते हैं. लेकिन कई बार आर्थिक तंगी के कारण गरीब और जरूरतमंद इलाज नहीं करा पाते हैं. लेकिन आज कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी हैं, जो खुद आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद व इलाज कर रहे हैं. ताकि उन्हें उचित समय पर उपचार मुहैया करा उनकी जान बचाई जा सके. आज हम ऐसी एक चिकित्सक की बात करने जा रहे हैं, जो पिछले 15-16 सालों से गरीब व जरूरतमंद लोगों का मुफ्त में इलाज कर रही हैं. डॉ. सुनीता वालिया ने पहले इसकी शुरुआत सरकारी स्कूलों से की और अब कच्ची बस्तियों में खुद के पैसों से मेडिकल कैंप लगाती हैं. यहां वो मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही निःशुल्क दवाइयां भी मुहैया कराती हैं.

गरीबों की सेवा है उद्देश्यः डॉक्टर सुनीता वालिया जयपुर और उसके आसपास की कच्ची बस्तियों में आए दिन मेडिकल कैंप के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंदों का इलाज करती हैं. सुनीता ने गुजरात के सूरत से साल 1993 में मेडिकल की पढ़ाई की. शुरुआती दिनों से ही वो जरूरतमंदों की सेवार्थ कैंप का संचालन कर उनका उपचार कर रही हैं. सुनीता बताती हैं कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी शादी हो गई और वो जयपुर चली आई. यहां पति के साथ बिजनेस को खड़ा किया. इसे सेट करने में करीब 10 साल का वक्त लग गया, लेकिन उनके मन में हमेशा सहयोग का भाव बना रहा. ऐसे में बिजनेस सेटल होने के बाद उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मुफ्त में सेवा करने का फैसला किया.

Medical camp to help poor in Jaipur
मरीज को जांच के बाद दवा देती डॉ. सुनीता वालिया

हर तीन महीने में लगाती है कैंपः सुनीता बताती हैं कि जब मेडिकल में काम करने का मन बना रही थी, तब उनकी मुलाकात हुई जीजे उनिथान से हुई, जो उस वक्त बहुत ईमानदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगाया करती थी. ऐसे में वो उनके साथ जुड़ी और काम शुरू की. वर्तमान में वो जयपुर के आसपास कुछ कच्ची बस्तियों को सलेक्ट कर तीन महीने के अंतराल पर कैंप लगाती हैं. जहां बस्ती में रहने वाले लोगों और बच्चों को मौसमी बीमारियों से अगाह करने साथ ही उनका उपचार करती हैं. हालांकि, वो केवल प्राथमिक उपचार करती हैं. वहीं, अगर जांच के दौरान कोई गंभीर बीमारी का पता चलता है तो मरीज को सरकारी अस्पताल तक पहुंचाती हैं. ताकि उसका सही तरीके से इलाज हो सके और वो स्वस्थ होकर घर लौट आए.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान में क्यों बढ़ रहे महिलाओं पर अत्याचार, ईटीवी भारत पर विशेष चर्चा

कोरोनाकाल में बनीं जीवनदायिनीः डॉक्टर सुनीता वालिया का ये मिशन कच्ची बस्ती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह सरकारी स्कूलों में भी समय-समय पर मेडिकल कैंप लगाकर बच्चों की न केवल जांच करती हैं, बल्कि उन्हें मेडिसिन भी उपलब्ध कराती हैं. सुनीता का ये मिशन कोरोनाकाल में उन जरूरतमंद लोगों के लिए जीवनदायिनी के रूप में बना जो छोटी-छोटी बीमारियों को नजरअंदाज करके गंभीर और बड़ी बीमारी को न्योता दे रहे थे. कोरोनाकाल के दौरान वो कच्ची बस्तियों में लोगों के उपचार के लिए दवा उपलब्ध कराती रही. ताकि किसी भी गरीब की दवा के अभाव जान न जाए. सुनीता ने आगे बताया कि उन्हें इससे सुकून मिलता है. यही वजह है कि वो उमा फाउंडेशन के जरिए लोगों को नि:शुल्क उपचार व दवा मुहैया कराती हैं.

Medical camp to help poor in Jaipur
कैंप में स्कूली बच्चे की जांच करती डॉ. सुनीता वालिया

इवनिंग मोबाइल मेडिकल वैनः डॉ. सुनीता ने कहा कि वैसे तो सरकारी स्तर पर मेडिकल क्षेत्र में अच्छे काम किए जा रहे हैं. प्रदेश में चिरंजीवी योजना से लोग लाभान्वित भी हो रहे हैं और उन्हें बेहतर उपचार मिल रहा है. लेकिन आज भी समाज का एक वर्ग ऐसा है, जो इन सुविधाओं से वंचित है. ऐसे में हम उन्हीं के लिए काम करते हैं. डॉ. सुनीता बताती हैं कि कच्ची बस्ती में रहने वाले लोग अक्सर अस्पताल तक इसलिए नहीं जाते हैं, क्योंकि सरकारी अस्पताल में काफी भीड़ होती है. उनको डॉक्टर को दिखाने में आधा दिन लग जाता है. ये वर्ग हर दिन मजदूरी करके अपने और अपने परिवार का पेट पालता है. ऐसे में एक दिन की मजदूरी भी अगर इनकी नहीं मिलती है तो इन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सुनीता ने कहती हैं कि सरकार को इवनिंग मोबाइल मेडिकल वैन शुरू करनी चाहिए. यह सुविधा कच्ची बस्तियों में शाम को दो घंटे शुरू हो, ताकि इन लोगों की दिहाड़ी मजदूरी भी खराब न हो और इन्हें प्राथमिक उपचार भी मिल जाए.

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