जयपुर. फर्जी फर्मों का संचालन कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाली गैंग का डीजीजीआई भंडाफोड़ किया है. आरोपियों ने फर्जी फर्मों के जरिए नकली बिल जारी करके राजकोष को नुकसान पहुंचाया है. फर्जी फर्मों का संचालन करके करोड़ों रुपए का आईटीसी लाभ उठाने के मामले में डीजीजीआई ने मास्टरमाइंड समय दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने 212 गैर मौजूदा फर्मों का संचालन कर रहे थे. फर्जी फर्मों का संचालन करके कई प्राप्तकर्ता इकाइयों को बिना बिना कोई सामान या सेवा की आपूर्ति किए 320 करोड़ रुपए का फर्जी आईटीसी का लाभ उठाया है. मास्टरमाइंड शुभम जिंदल और तरुण जिंदल को गिरफ्तार किया गया है.
डीजीजीआई अधिकारियों के मुताबिक मास्टरमाइंड शुभम जिंदल और तरुण जिंदल दोनों रिश्ते में भाई हैं. जगतपुरा जयपुर में फर्जी फर्मों के संचालन और प्रबंधन के लिए दिल्ली के तीन लोगों को काम पर रखा था. जांच में सामने आया कि नकली आईटीसी पास करने के लिए कई दलालों का सहयोग करते थे. कुछ दलाल नकली फर्म बनाने में भी शामिल थे. नकद और आरटीजीएस हस्तांतरण का प्रबंधन कर रहे थे. अन्य दलाल प्राप्तकर्ता को फर्म प्रदान करते थे. फर्जी फर्म से फर्जी बिल बनाते थे. आरोपियों के करीब 60 लाख रुपए वाले बैंक खातों को कुर्क किया गया है, साथ ही रुपयों का आईटीसी बैलेंस, आईटीसी खाता बही में पड़े 4.87 करोड़ को अटैच किया गया है.
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शुभम जिंदल और तरुण जिंदल को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. आरोपियों को आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया गया, जहां से 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. डीजीजीआई अधिकारियों के मुताबिक डीजीजीआई की जयपुर यूनिट ने फर्जी आईटीसी मामलों का पता लगाने में राजस्थान में सबसे ज्यादा कार्रवाई की है. पिछले वर्ष 2022-23 के दौरान रुपए के नकली आईटीसी से जुड़े 142 मामले पकड़े गए थे, जिनमें 1327 करोड़ का मामला दर्ज किया गया था और 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक 4 फर्जी आईटीसी मामले पकड़े गए हैं, जिनमें 4 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है. साथ ही 484 करोड का मामला दर्ज किया गया है. डीजीजीआई इसी तरह के फर्जी फर्मो के जरिए फर्जीवाड़ा करने वाले सिंडीकेटो को खोजने के लिए बेहतर कार्य कर रही है. नकली बिल जारी करके भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है.