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गायत्री देवी की वसीयत को लेकर देवराज और लालित्या को राहत

गायत्री देवी की वसीयत (Gayatri Devi legacy Case) को लेकर देवराज और लालित्या को न्यायालय से राहत मिली है. अदालत ने दायर अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

Gayatri Devi legacy Case
गायत्री देवी
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Published : Nov 18, 2022, 9:27 AM IST

जयपुर. शहर के अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-दो महानगर प्रथम ने पूर्व राजपरिवार की सदस्य गायत्री देवी की वसीयत के मामले (Gayatri Devi legacy Case) में उनके पोते देवराज और लालित्या को राहत दी है. अदालत ने इस संबंध में विजित सिंह, उर्वशी देवी और पृथ्वीराज की ओर से दायर अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. इस प्रार्थना पत्र में गुहार की गई थी कि वसीयत के मामले में फैसला आने तक इसमें बताई संपत्ति के बारे में देवराज और लालित्या को कोई भी निर्णय लेने से रोका जाए.

गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार के सदस्य पृथ्वीराज, विजित सिंह और उर्वशी देवी ने गायत्री देवी की वसीयत को अवैध घोषित कराने के लिए करीब 11 वर्ष पूर्व दावा पेश किया था और इसके साथ ही स्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र भी पेश किया था. मालूम हो कि गायत्री देवी ने वर्ष 2009 में वसीयत के माध्यम से अपनी तमाम संपत्ति और अधिकार दिवंगत जगत सिंह के पुत्र देवराज और लालित्या को सौंप दिए थे. दावाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जगत सिंह, गायत्री देवी का बेटा नहीं था, उन्हें बहादुर सिंह को गोद दे दिया गया था. एक बार दत्तक जाने के बाद वह हमेशा दत्तक ही रहता है वापस उस परिवार में नहीं आता.

जयपुर. शहर के अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-दो महानगर प्रथम ने पूर्व राजपरिवार की सदस्य गायत्री देवी की वसीयत के मामले (Gayatri Devi legacy Case) में उनके पोते देवराज और लालित्या को राहत दी है. अदालत ने इस संबंध में विजित सिंह, उर्वशी देवी और पृथ्वीराज की ओर से दायर अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. इस प्रार्थना पत्र में गुहार की गई थी कि वसीयत के मामले में फैसला आने तक इसमें बताई संपत्ति के बारे में देवराज और लालित्या को कोई भी निर्णय लेने से रोका जाए.

गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार के सदस्य पृथ्वीराज, विजित सिंह और उर्वशी देवी ने गायत्री देवी की वसीयत को अवैध घोषित कराने के लिए करीब 11 वर्ष पूर्व दावा पेश किया था और इसके साथ ही स्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र भी पेश किया था. मालूम हो कि गायत्री देवी ने वर्ष 2009 में वसीयत के माध्यम से अपनी तमाम संपत्ति और अधिकार दिवंगत जगत सिंह के पुत्र देवराज और लालित्या को सौंप दिए थे. दावाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जगत सिंह, गायत्री देवी का बेटा नहीं था, उन्हें बहादुर सिंह को गोद दे दिया गया था. एक बार दत्तक जाने के बाद वह हमेशा दत्तक ही रहता है वापस उस परिवार में नहीं आता.

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