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OBC Reservation in Rajasthan : ओबीसी आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग तेज, हरीश चौधरी ने आयोग को सौंपा ज्ञापन - जातिगत आरक्षण की मांग

राजस्थान में ओबीसी आरक्षण की सीमा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग तेज हो गई है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बुधवार को ओबीसी आयोग को इस मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा.

Demand to Increase OBC Reservation
हरीश चौधरी ने ओबीसी आयोग को सौंपा ज्ञापन
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Published : May 24, 2023, 5:46 PM IST

हरीश चौधरी ने क्या कहा...

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर से जातिगत आरक्षण की मांग तेज होने लगी है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बुधवार को ओबीसी आयोग अध्यक्ष भंवरू खान से मुलाकात कर ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की. हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण की सीमा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग रखी है. इसके साथ ही चौधरी ने केंद्र सरकार से जातिगत आधार पर कराई गई जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की भी मांग रखी. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना नहीं होने से कई वर्गों के हितों के साथ कुठाराघात हो रहा है.

OBC आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत हो : हरीश चौधरी ने कहा कि हम तो दो साल से ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. राजस्थान में जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक प्रतिशत ओबीसी वर्ग का है, जो कि राज्य की कुल जनसंख्या की आधी से ज्यादा हिस्सेदारी है. लेकिन राज्य के वर्ग वार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मात्र 21 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है, जो कि जनसंख्या के अनुपात में ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधि में सबसे बड़ी बाधा है.

पढ़ें : कुमावत समाज ने भरी हुंकार, ओबीसी आरक्षण बढ़ाने और स्थापत्य कला बोर्ड के गठन की मांग, लोकसभा अध्यक्ष ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि राज्य में जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या में हिस्सेदारी के अनुपात में आरक्षण देकर ओबीसी वर्ग को राहत दी जाए. इसको लेकर ओबीसी आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गई है कि संख्या के अनुसार तत्काल प्रभाव से ओबीसी वर्ग को आरक्षण केंद्र सरकार की तर्ज पर बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए, ताकि जातिगत जनगणना के पश्चात जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके.

जातिगत जनगणना हो चुकी है : हरीश चौधरी ने कहा कि कोई भी इस भ्रम में नहीं रहे कि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. देश में जाति की जनगणना हो चुकी है. पूर्व में अरुण जेटली के समय जातिगत जनगणना हुई थी, लेकिन उस रिपोर्ट को जारी नहीं की गई. जिस कारण राजस्थान और देशभर की पिछड़ी जातियों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि जो जातिगत जनगणना हो चुकी है, उसको सार्वजनिक किया जाए, ताकि देश में और खासतौर से राजस्थान में जातिगत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण में बदलाव हो सके. ओबीसी वर्ग का आरक्षण का दायरा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत तब ही किया जा सकता है, जब जातिगत जनगणना सार्वजनिक होगा.

ये चुनावी मुद्दा नहीं है : विधानसभा चुनाव के बीच उठ रही जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग पर जब हरीश चौधरी से पूछा गया कि क्या चुनाव के माहौल में सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है तो उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति दो साल से यह काम कर रही है. इसे चुनावी मुद्दे के रूप में नहीं देखना चाहिए. हमारी केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों से मांग है कि ओबीसी आरक्षण का दायरा बढाया जाए.

आयोग के हाथ में कुछ नहीं : दूसरी तरफ ओबीसी आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस भंवरू खान ने कहा कि हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का ज्ञापन सौंपा, लेकिन इसमें हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. प्रतिशत तो सरकार ही बढ़ा सकती है. इसमें हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. इसके अलावा जातिगत जनगणना को लेकर हमारी कोई चर्चा नहीं हुई, क्योकि जनगणना का मुद्दा तो केंद्र सरकार के अधीन है.

हरीश चौधरी ने क्या कहा...

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर से जातिगत आरक्षण की मांग तेज होने लगी है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बुधवार को ओबीसी आयोग अध्यक्ष भंवरू खान से मुलाकात कर ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की. हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण की सीमा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग रखी है. इसके साथ ही चौधरी ने केंद्र सरकार से जातिगत आधार पर कराई गई जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की भी मांग रखी. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना नहीं होने से कई वर्गों के हितों के साथ कुठाराघात हो रहा है.

OBC आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत हो : हरीश चौधरी ने कहा कि हम तो दो साल से ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. राजस्थान में जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक प्रतिशत ओबीसी वर्ग का है, जो कि राज्य की कुल जनसंख्या की आधी से ज्यादा हिस्सेदारी है. लेकिन राज्य के वर्ग वार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मात्र 21 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है, जो कि जनसंख्या के अनुपात में ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधि में सबसे बड़ी बाधा है.

पढ़ें : कुमावत समाज ने भरी हुंकार, ओबीसी आरक्षण बढ़ाने और स्थापत्य कला बोर्ड के गठन की मांग, लोकसभा अध्यक्ष ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि राज्य में जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या में हिस्सेदारी के अनुपात में आरक्षण देकर ओबीसी वर्ग को राहत दी जाए. इसको लेकर ओबीसी आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गई है कि संख्या के अनुसार तत्काल प्रभाव से ओबीसी वर्ग को आरक्षण केंद्र सरकार की तर्ज पर बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए, ताकि जातिगत जनगणना के पश्चात जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके.

जातिगत जनगणना हो चुकी है : हरीश चौधरी ने कहा कि कोई भी इस भ्रम में नहीं रहे कि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. देश में जाति की जनगणना हो चुकी है. पूर्व में अरुण जेटली के समय जातिगत जनगणना हुई थी, लेकिन उस रिपोर्ट को जारी नहीं की गई. जिस कारण राजस्थान और देशभर की पिछड़ी जातियों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि जो जातिगत जनगणना हो चुकी है, उसको सार्वजनिक किया जाए, ताकि देश में और खासतौर से राजस्थान में जातिगत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण में बदलाव हो सके. ओबीसी वर्ग का आरक्षण का दायरा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत तब ही किया जा सकता है, जब जातिगत जनगणना सार्वजनिक होगा.

ये चुनावी मुद्दा नहीं है : विधानसभा चुनाव के बीच उठ रही जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग पर जब हरीश चौधरी से पूछा गया कि क्या चुनाव के माहौल में सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है तो उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति दो साल से यह काम कर रही है. इसे चुनावी मुद्दे के रूप में नहीं देखना चाहिए. हमारी केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों से मांग है कि ओबीसी आरक्षण का दायरा बढाया जाए.

आयोग के हाथ में कुछ नहीं : दूसरी तरफ ओबीसी आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस भंवरू खान ने कहा कि हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का ज्ञापन सौंपा, लेकिन इसमें हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. प्रतिशत तो सरकार ही बढ़ा सकती है. इसमें हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. इसके अलावा जातिगत जनगणना को लेकर हमारी कोई चर्चा नहीं हुई, क्योकि जनगणना का मुद्दा तो केंद्र सरकार के अधीन है.

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