जयपुर. राजधानी में मंगलवार को आलंकरण सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जहां समारोह में प्रधान संपादक पदम मेहता ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग उठाई. वहीं सम्मान समारोह के दौरान पदम मेहता, ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने राजस्थानी में अपना भाषण दिया. वहीं बीच-बीच में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग उठने पर लोगों ने नारे भी लगाए.
कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए पदम मेहता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा यहां दो कैबिनेट मंत्री बैठे हुए हैं इसलिए मैं यह मांग उठा रहा हूं. इसका पूरा प्रस्ताव तैयार है बस कैबिनेट में पास करने की देर है. यह सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि इस काम में गुलाबचंद कटारिया का भी एक बहुत बड़ा योगदान रहा है. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पूरा आंकड़ा भेजा गया हैं.
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उन्होंने कहा कि राजस्थान में हिंदी से ढाई गुना ज्यादा राजस्थानी बोलने वाले लोग हैं. हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है और हमें हमारा हक मिलना ही चाहिए. वहीं कार्यक्रम में गुलाबचंद कटारिया ने भी राजस्थानी भाषा को लेकर कहा की हमने भी प्रस्ताव बनाकर दिल्ली भेजा था और दिल्ली में सरकार इनकी भी थी और हमारी भी थी. जिसके बाद अब दोनों को मिलकर ही इसके लिए काम काम करना पड़ेगा.
वहीं कार्यक्रम के दौरान ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि जिस दिन राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में मान्यता मिल जाएगी उस दिन हिंदी भी समृद्धिशाली बन जाएगी. राजस्थानी भाषा ऐसी भाषा है जिसको आप संबंध के आधार पर भी पुकार सकते हो. साथ ही मंत्री कल्ला ने गुलाब चंद कटारिया को कहा कि आपकी सरकार दिल्ली में है यदि आप एक प्रतिनिधिमंडल लेकर जाना चाहे तो हम लोग तैयार हैं उन्होंने कहा कि यह काम बिल्कुल किनारे पर है और थोड़ी मेहनत करे तो राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कर सकते है.
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बीडी कल्ला ने कहा कि हम लोगों ने विधानसभा का काम पूरा कर दिया है. अब दिल्ली की सरकार को काम पूरा करना है. कल्ला ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि 8 कोस पर ही राजस्थान में भाषा बदल जाती है, यह कहकर राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए मना नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि राजस्थान में काफी संख्या में लोग राजस्थानी बोलते हैं और जो हिंदी बोलते हैं वह भी राजस्थानी बोलना जानते हैं. इसलिए राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा कि स्कूलों में राजस्थानी भाषा नहीं पढ़ाई जाती और लोग राजस्थानी भाषा को भूलते जा रहे हैं.
राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने के बाद स्कूलों में भी राजस्थानी भाषा पढ़ाई जा सकेगी. साथ ही बीडी कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी दिल्ली में पत्र भेजा हुआ है जिसमें राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाए को लेकर मांग की है. उन्होंने कहा कि हमें राजनीति से ऊपर उठकर राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराना चाहिए.