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Court on Alimony: अपील के दौरान बदली हुई परिस्थितियों के आधार पर दिया जा सकता है कि आदेश

जाली नोट मामलों की विशेष अदालत ने घरेलू हिंसा से जुड़े मामले में कहा है कि अगर अपील के दौरान केस की परिस्थितियों में बदलाव होता है, तो उसके मद्देनजर आदेश पारित किया जा सकता है.

Court orders Army man to pay alimony,
Court on Alimony: अपील के दौरान बदली हुई परिस्थितियों के आधार पर दिया जा सकता है कि आदेश
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Published : Jul 15, 2023, 4:43 PM IST

जयपुर. जाली नोट मामलों की विशेष अदालत ने घरेलू हिंसा से जुडे़ मामले में कहा है कि यदि अपील के दौरान केस की परिस्थितियों में बदलाव होता है, तो उसे ध्यान में रखकर आदेश पारित किया जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण में सैन्यकर्मी को आदेश दिए हैं कि वह अपनी पत्नी को 40 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता अदा करे और उसके साथ हिंसा कारित नहीं करे. अदालत ने यह आदेश पारुल मिश्रा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.

अपील में कहा गया कि उसका सैन्यकर्मी मृत्युंजय कुमार के साथ वर्ष 2023 में विवाह हुआ था. इसके दो साल बाद उनके बेटा हुआ. उसका पति उनके साथ घरेलू हिंसा करता है. वहीं निचली अदालत में भरण पोषण का प्रार्थना पत्र पेश करने पर अदालत ने 30 अगस्त, 2018 को आदेश पारित कर माना कि अपीलार्थी को आर्मी एक्ट व आर्मी रूल्स के तहत सैन्यकर्मी पति के वेतन का 27.5 फीसदी मिल रहा है. ऐसे में उसे भरण पोषण दिलाना उचित नहीं है.

पढ़ें: पुलिस उपाधीक्षक अपनी पत्नी से घरेलू हिंसा न करे, 15 हजार रुपए बतौर भरण पोषण भी देने के आदेश

अपील में कहा गया कि यह राशि जनवरी, 2022 से बंद हो चुकी है और यदि यह राशि प्रदान भी की जा रही होती, तो वह अपीलार्थी व उसके पुत्र के लिए काफी नहीं है. इसलिए उसे पति के वेतन का 66 फीसदी वेतन अंतरिम भरण पोषण के तौर पर दिलाया जाए. इसका विरोध करते हुए पति की ओर से कहा गया कि यदि सैन्य मुख्यालय से वेतन में से दी जा रही राशि बंद की जा चुकी है, तो अदालत वर्तमान में उस स्थिति को नहीं देख सकती. अदालत को पूर्व के समय की स्थिति को देखकर ही अपील पर निर्णय करना है. अपील पेश होने के 4 साल बाद परिस्थितियों में बदलाव हुआ है. ऐसे में अपील को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपीलार्थी को गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. जाली नोट मामलों की विशेष अदालत ने घरेलू हिंसा से जुडे़ मामले में कहा है कि यदि अपील के दौरान केस की परिस्थितियों में बदलाव होता है, तो उसे ध्यान में रखकर आदेश पारित किया जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण में सैन्यकर्मी को आदेश दिए हैं कि वह अपनी पत्नी को 40 हजार रुपए मासिक गुजारा भत्ता अदा करे और उसके साथ हिंसा कारित नहीं करे. अदालत ने यह आदेश पारुल मिश्रा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.

अपील में कहा गया कि उसका सैन्यकर्मी मृत्युंजय कुमार के साथ वर्ष 2023 में विवाह हुआ था. इसके दो साल बाद उनके बेटा हुआ. उसका पति उनके साथ घरेलू हिंसा करता है. वहीं निचली अदालत में भरण पोषण का प्रार्थना पत्र पेश करने पर अदालत ने 30 अगस्त, 2018 को आदेश पारित कर माना कि अपीलार्थी को आर्मी एक्ट व आर्मी रूल्स के तहत सैन्यकर्मी पति के वेतन का 27.5 फीसदी मिल रहा है. ऐसे में उसे भरण पोषण दिलाना उचित नहीं है.

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अपील में कहा गया कि यह राशि जनवरी, 2022 से बंद हो चुकी है और यदि यह राशि प्रदान भी की जा रही होती, तो वह अपीलार्थी व उसके पुत्र के लिए काफी नहीं है. इसलिए उसे पति के वेतन का 66 फीसदी वेतन अंतरिम भरण पोषण के तौर पर दिलाया जाए. इसका विरोध करते हुए पति की ओर से कहा गया कि यदि सैन्य मुख्यालय से वेतन में से दी जा रही राशि बंद की जा चुकी है, तो अदालत वर्तमान में उस स्थिति को नहीं देख सकती. अदालत को पूर्व के समय की स्थिति को देखकर ही अपील पर निर्णय करना है. अपील पेश होने के 4 साल बाद परिस्थितियों में बदलाव हुआ है. ऐसे में अपील को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपीलार्थी को गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए हैं.

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