जयपुर. जयपुर. राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. इस चुनाव में जीत का परचम लहराने के लिए भाजपा और कांग्रेस जमीनी रणनीति तैयार करने में जुटी है. दोनों ही पार्टियों के सामने जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारना बड़ी चुनौती है, लेकिन ये चुनौती कांग्रेस के सामने ज्यादा है. इसके पीछे कारण यह है कि कांग्रेस सत्ता में है और उसे सरकार रिपीट करनी है. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार चुनाव में हर उम्मीदवार को लेकर एक-एक कदम काफी सोच समझकर उठा रही है.
अब चर्चा यह भी चल रही है कि कांग्रेस पार्टी बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों के और प्रमुख उम्मीदवारों के टिकट काटने जा रही है, लेकिन ऐसा करने से पहले कांग्रेस पार्टी को नेताओं की समझाइश करते हुए बदलाव के लिए तैयार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर टिकट से वंचित नेता दूसरी पार्टी का दामन थाम सकते हैं. इस आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने अपने संगठन के नेताओं को तो पद देना शुरू कर दिया, लेकिन अब अगला नंबर उन नेताओं का है जिन्हें पार्टी संगठन के काम में इस्तेमाल करना चाहती है. माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में ऐसे नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां भी दी जा सकती है.
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राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारीः राजस्थान में इस बार ज्यादातर जिला अध्यक्ष विधायक पद की दौड़ से बाहर हैं. माना जा रहा है कि 38 जिला अध्यक्षों में से एक दर्जन ऐसे नेता हैं, जिन्हें पार्टी टिकट दे सकती है. ऐसे में जो नेता चुनाव लड़ने की बजाय चुनाव लड़वाने और जिताने का काम करेंगे, उन नेताओं को कांग्रेस ने नियुक्तियां देना शुरू कर दिया है. राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत कांग्रेस ने अपने जिला अध्यक्षों के साथ की है, जिन्हें सभी जिलों में 20 सूत्री कार्यक्रम का उपाध्यक्ष बना दिया गया है. 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष होने के चलते अब कांग्रेस के सभी जिला अध्यक्ष कलेक्टर के साथ बैठक में शामिल हो सकेंगे और अपने क्षेत्र की समस्याओं को बेहतरीन तरीके से सरकार के सामने पहुंचा सकेंगे.
19 नवगठित बोर्डों समेत बचे हुए बोर्ड-निगम में भी राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारीः राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब केवल 3 महीने का समय शेष रहा है. कांग्रेस अब अपनी सरकार के अंतिम चरण में राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खोलने की तैयारी कर रही है. इन नियुक्तियों के लिए उन चेहरों को सेलेक्ट किया जा रहा है, जो विधानसभा चुनाव में टिकट के उम्मीदवार हैं, लेकिन जिताऊ नहीं हैं.
ऐसे नेताओं को पहले ही राजनीतिक नियुक्तियां देकर यह कहकर संतुष्ट करने का प्रयास होगा कि अगर सरकार रिपीट होती है, तो वह अपने पदों पर बने भी रहेंगे और बेहतर काम करने पर उन्हें प्रमोट भी किया जा सकता है. यही कारण है कि राजस्थान में नवगठित 19 बोर्डों समेत अन्य राजनीतिक नियुक्तियों के लिए पार्टी ऐसे चेहरों पर मंथन कर रही है, जिन्हें भले ही पार्टी टिकट नहीं दे सके, लेकिन वह पार्टी के लिए अपने क्षेत्र में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.