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जयपुर नगर निगम में पक्ष में भी कांग्रेस और विपक्ष में भी कांग्रेस - congress

जयपुर नगर निगम में पांच साल के इस कार्यकाल में एक नया ही इतिहास लिखा जा रहा है. यहां पक्ष में भी कांग्रेस है तो विपक्ष में भी कांग्रेस ही है. पूरे देश में शायद ही जयपुर नगर निगम ही एक ऐसा है, जहां मेयर भी कांग्रेस के चेयरमैन भी कांग्रेस के और प्रतिपक्ष का नेता भी कांग्रेस के हैं.

जयपुर नगर निगम में पक्ष में भी कांग्रेस और विपक्ष में भी कांग्रेस
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Published : Jun 1, 2019, 8:27 AM IST

जयपुर. नगर निगम में कांग्रेस ही कांग्रेस यहां मेयर भी कांग्रेस के हैं, चेयरमैन भी कांग्रेस के और नेता प्रतिपक्ष भी कांग्रेस के हैं. जयपुर नगर निगम में कांग्रेस ही कांग्रेस है. राज्य की सरकार हो या देश की, सभी जगह नेता प्रतिपक्ष विपक्षी पार्टी का होता है. लेकिन जयपुर नगर निगम में इन दिनों सियासत की इस गणित को उल्टा होता देखा जा सकता है. निगम में कांग्रेस के मेयर हैं, कांग्रेस के ही चेयरमैन है, और तो और प्रतिपक्ष के नेता भी कांग्रेस के ही हैं. सुनने में अजीब लगता है, लेकिन हकीकत यही है.

दरअसल मेयर उपचुनाव के बाद बीजेपी से बागी हुए मेयर विष्णु लाटा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. बोर्ड बीजेपी का होने के बावजूद नई समितियों का गठन भी कर लिया गया. जिसमें चेयरमैन कई कांग्रेसी पार्षद भी हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस के चेयरमैन और मेयर होने के साथ-साथ खामी और जनता के मुद्दे सदन में उठाने वाला विपक्ष भी कांग्रेस का ही है.

जयपुर नगर निगम में पक्ष में भी कांग्रेस और विपक्ष में भी कांग्रेस
हालांकि नगर निगम के पिछले बोर्ड में भी बीजेपी का ही बोर्ड था. लेकिन तब जनता के द्वारा सीधे मेयर का चुनाव किए जाने पर मेयर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल चुनी गई थी. तब भी विपक्ष में कांग्रेस ही थी. लेकिन इस बोर्ड में चौथी बार मेयर बदले जाने के बाद निगम की सियासत ने नई इबारत ही लिख डाली है.

जयपुर. नगर निगम में कांग्रेस ही कांग्रेस यहां मेयर भी कांग्रेस के हैं, चेयरमैन भी कांग्रेस के और नेता प्रतिपक्ष भी कांग्रेस के हैं. जयपुर नगर निगम में कांग्रेस ही कांग्रेस है. राज्य की सरकार हो या देश की, सभी जगह नेता प्रतिपक्ष विपक्षी पार्टी का होता है. लेकिन जयपुर नगर निगम में इन दिनों सियासत की इस गणित को उल्टा होता देखा जा सकता है. निगम में कांग्रेस के मेयर हैं, कांग्रेस के ही चेयरमैन है, और तो और प्रतिपक्ष के नेता भी कांग्रेस के ही हैं. सुनने में अजीब लगता है, लेकिन हकीकत यही है.

दरअसल मेयर उपचुनाव के बाद बीजेपी से बागी हुए मेयर विष्णु लाटा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. बोर्ड बीजेपी का होने के बावजूद नई समितियों का गठन भी कर लिया गया. जिसमें चेयरमैन कई कांग्रेसी पार्षद भी हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस के चेयरमैन और मेयर होने के साथ-साथ खामी और जनता के मुद्दे सदन में उठाने वाला विपक्ष भी कांग्रेस का ही है.

जयपुर नगर निगम में पक्ष में भी कांग्रेस और विपक्ष में भी कांग्रेस
हालांकि नगर निगम के पिछले बोर्ड में भी बीजेपी का ही बोर्ड था. लेकिन तब जनता के द्वारा सीधे मेयर का चुनाव किए जाने पर मेयर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल चुनी गई थी. तब भी विपक्ष में कांग्रेस ही थी. लेकिन इस बोर्ड में चौथी बार मेयर बदले जाने के बाद निगम की सियासत ने नई इबारत ही लिख डाली है.
Intro:जयपुर नगर निगम में पांच साल के इस कार्यकाल में एक नया ही इतिहास लिखा जा रहा है। जहां पक्ष में भी कांग्रेस है तो विपक्ष में भी कांग्रेस। पूरे देश में शायद एक जयपुर नगर निगम ही है जहां मेयर भी कांग्रेस के चेयरमैन भी कांग्रेस के और प्रतिपक्ष का नेता भी कांग्रेस का।


Body:यदि नगर निगम एक सिक्का है तो इस सिक्के के चित और पट इन दिनों कांग्रेस ही है। राज्य की सरकार हो या देश की, सभी जगह नेता प्रतिपक्ष विपक्षी पार्टी का होता है। लेकिन जयपुर नगर निगम में इन दिनों सियासत की इस गणित को उल्टा होता देखा जा सकता है। निगम में कांग्रेस के मेयर हैं, कांग्रेस के ही चेयरमैन है। और तो और प्रतिपक्ष के नेता भी कांग्रेस के ही हैं। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन हकीकत यही है। दरअसल मेयर उपचुनाव के बाद बीजेपी से बागी हुए मेयर विष्णु लाटा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। बोर्ड बीजेपी का होने के बावजूद नई समितियों का गठन भी कर लिया गया। जिसमें चेयरमैन कई कांग्रेसी पार्षद भी हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस के चेयरमैन और मेयर होने के साथ साथ कमी खामी और जनता के मुद्दे सदन में उठाने वाला विपक्ष भी कांग्रेस का ही है।
बाईट - सुशील शर्मा, निर्दलीय पार्षद, कांग्रेस समर्थित
बाईट - उमर दराज, नेता प्रतिपक्ष


Conclusion:हालांकि नगर निगम के पिछले बोर्ड में भी बीजेपी का ही बोर्ड था। लेकिन तब जनता के द्वारा सीधे मेयर का चुनाव किए जाने पर मेयर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल चुनी गई थी। तब भी विपक्ष में कांग्रेस ही थी। लेकिन इस बोर्ड में चौथी बार मेयर बदले जाने के बाद निगम की सियासत ने नई इबारत ही लिख डाली है।
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