जयपुर: ग्रेटर नगर निगम में साधारण सभा की बैठक बुलाने को लेकर शुक्रवार को मुख्यालय पर जमकर हंगामा हुआ. 7 अप्रैल को महापौर सौम्या गुर्जर की ओर से बुलाई गई साधारण सभा की बैठक के एजेंडे अब तक तय नहीं होने को लेकर पार्षदों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए निगम मुख्यालय में हंगामा किया. साथ ही कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव को आज की तारीख में एजेंडा जारी नहीं करने की स्थिति में धरना देने की चेतावनी दी.
पार्षदों ने लंबित विकास कार्य के लिए साधारण सभा की बैठक को महत्वपूर्ण बताते हुए कमिश्नर पर हठधर्मिता अपनाने का आरोप लगाया. वहीं पार्षदों से वार्ता के दौरान कमिश्नर ने अलग-अलग दलील पेश की और आखिर में विधायकों और सांसदों से अनुमति नहीं मिलने की बात कहते हुए, ईसी हॉल छोड़ कर चल दिए. ऐसे में खबर लिखे जाने तक बोर्ड बैठक को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही. पार्षदों की ओर से 7 अप्रैल को बोर्ड बैठक कराए जाने पर कमिश्नर ने कहा कि उन्हें साधारण सभा से पहले कुछ तैयारियां करनी पड़ती हैं. उच्च अधिकारियों से भी पूछना पड़ता है.
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मेयर के अनुमोदन के बाद ही जारी होगा नोटिस
यदि पार्षद साधारण सभा की बैठक के लिए हामी भराना चाहते हैं, तो ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो भी प्रक्रिया है उसे पूरी करने की बात कहते हुए पार्षदों को 6 दिन का नोटिस पीरियड देने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि वो फाइनल अथॉरिटी नहीं हैं. मेयर से अनुमोदन के बाद ही साधारण सभा की बैठक का नोटिस जारी होगा. उनकी तरफ से पूरी फाइल बनी हुई है. बिना प्रक्रिया पूरी करे घोषणा नहीं की जा सकती. वहीं पार्षदों के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीते 15 महीने में किसी पार्षद, महापौर, उपमहापौर ने साधारण सभा के लिए कोई चिट्ठी नहीं दी और आज अचानक सभी एक साथ एकत्रित हो गए हैं.
पार्षद अरुण शर्मा ने कहा कि ग्रेटर नगर निगम के सभी पार्षद पूर्व में नियोजित 7 अप्रैल को होने वाली बोर्ड मीटिंग चाहते हैं. लेकिन कमिश्नर बहाना बनाकर मीटिंग आगे करना चाहते हैं. 15 महीने से लोगों के विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं, जनता त्रस्त है, ऐसे में शुक्रवार को ही एजेंडा डिसाइड होकर 7 अप्रैल को मीटिंग कराई जाए. यदि एजेंडा जारी नहीं होता है, तो सभी पार्षद मुख्यालय पर धरना देंगे. भवन निर्माण समिति चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने कहा कि यदि विधानसभा चल रही होती तो विधायकों की परमिशन जरूरी होती है. पहले जब बोर्ड मीटिंग की तारीख डिसाइड की. उस दौरान 2 विधायकों से परमिशन नहीं मिली, जिसकी वजह से बोर्ड मीटिंग स्थगित की गई.
लेकिन अब विधानसभा भी नहीं चल रही है. फिर भी कमिश्नर 7 अप्रैल को बोर्ड मीटिंग रखने में आनाकानी कर रहे हैं. कभी कमिश्नर सांसदों की अनुमति की बात कहते हैं, तो सांसदों की अनुमति भी मिल चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि कमिश्नर हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं. वो नहीं चाहते कि जो अधिकारी ग्रेटर निगम में काम नहीं कर रहे, जो अधिकारी भ्रष्ट और निकम्मे हो चुके हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. यही वजह है कि यज्ञमित्र सिंह देव बोर्ड बैठक को स्थगित करना चाहते हैं. एक अन्य पार्षद नाथूराम दुलारिया ने तो ये तक कह दिया कि निगम में सब जायज है, एजेंडा भी बैक डेट में निकाल दें.
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उधर, कमिश्नर से वार्ता विफल रहने के बाद सभी पार्षद महापौर के कक्ष में पहुंचे, और यहां साधारण सभा की बैठक का एजेंडा डिसाइड नहीं होने पर आक्रोश व्यक्त किया. इस पर महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि बोर्ड बैठक कराए जाने के लिए 28 दिन पहले लेटर लिखा गया था. फिर भी निगम प्रशासन की ओर से एजेंडे नहीं बनाए गए. ये अपने आप में बोर्ड मीटिंग का एक एजेंडा है. उन्होंने कहा कि सभी पार्षद रुके हुए विकास कार्यों को गति देना चाहते हैं.
सब की बोर्ड मीटिंग से अच्छे निर्णय पारित होने की अपेक्षा है. कमिश्नर के जयपुर से बाहर जाने और 18 अप्रैल को बोर्ड मीटिंग कराए जाने की बात पर महापौर ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि कमिश्नर अपना चार्ज सेकंड अथॉरिटी को दें, ताकि उनकी अनुपस्थिति में बैठक हो सके. सभी पार्षद 7 अप्रैल को ही साधारण सभा की बैठक चाहते हैं, और यदि नहीं कराई जाती है तो राज्य सरकार को लिखा जाएगा.