जयपुर. कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाली अपूर्वी चंदेला को बुधवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से विद्यावारिधि की मानद उपाधि दी गई. प्रदेश के प्रथम नागरिक राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपूर्वी को ये मानद उपाधि दी. असल में 10 अप्रैल को हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपूर्वी चंदेला उपस्थित नहीं हो पाई थी. ऐसे में बुधवार को राजभवन के दरबार हॉल में अपूर्वी चंदेला को विद्यावारिधि की मानद उपाधि प्रदान की.
चंदेला को शॉल ओढ़ाकर, श्रीफल व स्मृति चिह्न भेंटकर राज्यपाल ने अभिनंदन किया. इस दौरान राज्यपाल ने अपूर्वी की जमकर सराहना करते हुए कहा कि निशानेबाजी में उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया है. उन्होंने खेल जगत में भारत को और उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए अपूर्वी को शुभकामनाएं दी. वहीं, कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने यहां संस्कृत विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.
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इससे पहले यूनिवर्सिटी के दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने अपूर्वी चंदेला को दी गई उपाधि और अभिनंदन पत्र पढ़कर सुनाया. इस दौरान कार्यक्रम में राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंदराम जायसवाल और विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. जेएन विजय भी मौजूद रहे. आपको बता दें कि जयपुर की अपूर्वी ओलंपिक गेम्स में शूटिंग में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा से प्रेरित रही हैं. बिंद्रा को फॉलो करते हुए ही अपूर्वी चंदेला ने शूटिंग को चुना. 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद वर्ल्ड कप में अपना डेब्यू करते हुए ब्रोंज मेडल अपने नाम किया था. इसी वजह से उन्हें ओलंपिक गेम्स में खेलने का मौका मिला. हालांकि वहां वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी और 51 खिलाड़ियों में 34 वी रैंक रही थी.