जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के अंतिम वर्ष में है और आगामी 10 फरवरी को अपना अंतिम बजट पेश करने जा रहे हैं. भले ही गहलोत का यह तीसरा कार्यकाल हो, बावजूद इसके वो दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली वसुंधरा राजे से आगे न होकर बराबरी ही कर सकेंगे. असल में प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे ने जहां वित्त मंत्री के तौर पर 10 बजट पेश किए हैं तो वहीं गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में 10वां बजट पेश करने जा रहे हैं. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए खुद वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश करने की परंपरा शुरू की थी. इसके बाद वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने इसे आगे बढ़ाया.
राजस्थान में अब भले ही पिछले 20 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही बजट पेश कर रहे हैं. लेकिन पहले मुख्यमंत्री खुद बजट पेश नहीं करते थे, बजट को वित्तमंत्री पेश करते थे. साल 1990 से 1992 और फिर 1993 से 1998 के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने खुद बजट पेश कर एक नई परंपरा शुरू की थी. इसे अशोक गहलोत ने 1998 से 2003 तक इसे नहीं माना, लेकिन इसके बाद 2003 से 2008 में मुख्यमंत्री बनते ही वसुंधरा राजे ने पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत की तरह वित्त मंत्रालय अपने पास रखने की परंपरा को अपना लिया.
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उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ ही पांच साल वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया. इसके बाद जब 2008 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी प्रदेश में वित्त मंत्री नहीं बनाया और मुख्यमंत्री रहते हुए ही वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किए. इसके बाद चाहे वसुंधरा राजे का दूसरा कार्यकाल हो या फिर अशोक गहलोत का वर्तमान तीसरा कार्यकाल बीते 20 साल से प्रदेश में मुख्यमंत्री ही वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश करते आ रहे हैं.