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जल जीवन मिशन को लेकर बोले गहलोत- युद्धस्तर पर हो रहा काम, 99 फीसदी स्वीकृतियां जारी

सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को जल जीवन मिशन की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कहा (Gehlot on Jal Jeevan Mission) कि प्रदेश में युद्धस्तर पर काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक 99 फीसदी स्वीकृतियां जारी हो चुकी है.

Gehlot reviewed Jal Jeevan Mission
गहलोत ने की जल जीवन मिशन की समीक्षा
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Published : Nov 16, 2022, 8:55 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और छितराई बसावट के बावजूद राज्य सरकार जल जीवन मिशन के कार्यों को पूरा करने में कोई कमी नहीं रख रही है. पेयजल की समस्या का समाधान करने के लिए लगातार काम हो रहे हैं. उन्होंने मिशन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इससे संबंधित पेयजल परियोजनाओं का कार्य युद्ध स्तर पूरा करने के निर्देश (Gehlot on Jal Jeevan Mission) दिए. उन्होंने कहा कि कार्यों में गुणवत्ता रखते हुए स्थायी जल स्त्रोतों का विकास सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में पेयजल उपलब्ध कराने में किसी तरह की समस्या नहीं आए.

बता दें, सीएम गहलोत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण योजना है. हमें मिलकर राजस्थान को जल जीवन मिशन में अग्रणी राज्य बनाना है. संबंधित विभाग और अधिकारी मिशन के अंर्तगत संचालित विभिन्न कार्य को गति देकर निर्धारित समयावधि में पूर्ण करें, ताकि गांव-ढाणी तक नल से जल मिल सके.

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बोले, केंद्र दे चुका अपने हिस्से का पैसा, राज्य सरकार कर रही देरी

सफलता के लिए ईआरसीपी बेहद अहम- गहलोत ने कहा कि प्रदेश के पूर्वी भाग में पानी की भारी समस्या है. जल जीवन मिशन के मापदंडों के अनुसार 55 लीटर पेयजल प्रति व्यक्ति प्रति दिन उपलब्ध कराने के लिए पूर्वी राजस्थान की जीवनदायिनी योजना ईआरसीपी बेहद अहम है. उन्होंने 13 जिलों में नल कनेक्शन देने के लिए केंद्र से ईआरसीपी को जल्द राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराने का आग्रह किया, ताकि जल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके.

90ः10 के तहत सहायता कर केंद्र- मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश का केवल 1 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है. रेगिस्तानी और मरूस्थलीय क्षेत्र होने के साथ ही सतही एवं भू-जल की भी कमी है. गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने और विषम भौगोलिक परिस्थितियों से घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों से कई गुना ज्यादा आती है. कुछ परिस्थितियों में तो प्रति कनेक्शन लागत 1 लाख रुपए से भी अधिक है.

पढ़ें- Jal Jeevan Mission Scheme : जल जीवन मिशन योजना में राजस्थान का प्रदर्शन खराब, लेकिन डीडवाना प्रदेश में अव्वल

इसे देखते हुए प्रदेश को भी जल जीवन मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध कराए. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण कई वस्तुओं के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. इससे क्रियान्वयन में भी कठिनाइयां आई है. इस कारण केंद्र सरकार मिशन की समय-सीमा को बढ़ाए, जिससे मिशन का लाभ हर परिवार को मिल सके.

अब तक 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च- बैठक में बताया गया कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार की ओर से 10,247 करोड़ रुपए व्यय कर लगभग 30 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है. मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 39 हजार से भी अधिक गांवों के वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है, जो कि मिशन के कुल लक्षय का 99 प्रतिशत है. गहलोत ने कहा कि यह स्वीकृतियां जारी होना अच्छा संकेत है. उन्होंने केन्द्र सरकार से मिशन की अवधि को 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने के लिए अपील की.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और छितराई बसावट के बावजूद राज्य सरकार जल जीवन मिशन के कार्यों को पूरा करने में कोई कमी नहीं रख रही है. पेयजल की समस्या का समाधान करने के लिए लगातार काम हो रहे हैं. उन्होंने मिशन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इससे संबंधित पेयजल परियोजनाओं का कार्य युद्ध स्तर पूरा करने के निर्देश (Gehlot on Jal Jeevan Mission) दिए. उन्होंने कहा कि कार्यों में गुणवत्ता रखते हुए स्थायी जल स्त्रोतों का विकास सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में पेयजल उपलब्ध कराने में किसी तरह की समस्या नहीं आए.

बता दें, सीएम गहलोत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण योजना है. हमें मिलकर राजस्थान को जल जीवन मिशन में अग्रणी राज्य बनाना है. संबंधित विभाग और अधिकारी मिशन के अंर्तगत संचालित विभिन्न कार्य को गति देकर निर्धारित समयावधि में पूर्ण करें, ताकि गांव-ढाणी तक नल से जल मिल सके.

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सफलता के लिए ईआरसीपी बेहद अहम- गहलोत ने कहा कि प्रदेश के पूर्वी भाग में पानी की भारी समस्या है. जल जीवन मिशन के मापदंडों के अनुसार 55 लीटर पेयजल प्रति व्यक्ति प्रति दिन उपलब्ध कराने के लिए पूर्वी राजस्थान की जीवनदायिनी योजना ईआरसीपी बेहद अहम है. उन्होंने 13 जिलों में नल कनेक्शन देने के लिए केंद्र से ईआरसीपी को जल्द राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराने का आग्रह किया, ताकि जल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके.

90ः10 के तहत सहायता कर केंद्र- मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश का केवल 1 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है. रेगिस्तानी और मरूस्थलीय क्षेत्र होने के साथ ही सतही एवं भू-जल की भी कमी है. गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने और विषम भौगोलिक परिस्थितियों से घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों से कई गुना ज्यादा आती है. कुछ परिस्थितियों में तो प्रति कनेक्शन लागत 1 लाख रुपए से भी अधिक है.

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इसे देखते हुए प्रदेश को भी जल जीवन मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध कराए. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण कई वस्तुओं के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. इससे क्रियान्वयन में भी कठिनाइयां आई है. इस कारण केंद्र सरकार मिशन की समय-सीमा को बढ़ाए, जिससे मिशन का लाभ हर परिवार को मिल सके.

अब तक 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च- बैठक में बताया गया कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार की ओर से 10,247 करोड़ रुपए व्यय कर लगभग 30 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है. मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 39 हजार से भी अधिक गांवों के वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है, जो कि मिशन के कुल लक्षय का 99 प्रतिशत है. गहलोत ने कहा कि यह स्वीकृतियां जारी होना अच्छा संकेत है. उन्होंने केन्द्र सरकार से मिशन की अवधि को 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने के लिए अपील की.

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