जयपुर. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कोरोना ने सब को परेशान किया हुआ है. प्रतिदिन संक्रमण भी बढ़ रहा है ऐसी परिस्थितियों में सरकार के सामने अहम सवाल यही है कि कैसे कोरोना से प्रदेश के लोगों को बचाया जाए. उसके बाद हम बच्चों के भविष्य के बारे में सोचेंगे कैसे उन्हें शिक्षित किया जाए. यदि स्कूल नहीं खुल रही है तो बच्चों को किस तरह से शिक्षा दी जाए, कैसे घर में रहकर के पढ़ा कर उनका 1 साल बचाया जाए. बच्चों को घर बैठे बैठे प्रमोट नहीं किया जा सकता.
बैठक में अधिकारियों को कई तरह के निर्देश दिए गए हैं. अधिकारियों को पाठ्यक्रम के बारे में विचार करने को कहा गया है. पहले सीबीएसई की तर्ज पर पाठ्यक्रम साथ 70 प्रतिशत कर दिया है फिर वर्किंग डेज कम हो गए हैं. ऐसे में यह सोचना होगा कि किस मॉडल पर चल कर हम बच्चों का साल बचाएं. अधिकारियों को कहा गया है कि उन प्रमुख विषयों के बारे सोचे जो बच्चों को पढ़ने के लिए दिया जाए.
दूरदर्शन, रेडियो, स्माइल प्रोजेक्ट से बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए. बच्चों के पास होने के लिए न्यूनतम अंकों में भी कमी की जाए इसके लिए काम किया जा रहा है. डोटासरा ने कहा कि बच्चों को कोरोना से बचाकर उनका 1 साल बचाना पहली प्राथमिकता है.
डोटासरा ने कहा कि 31 दिसंबर तक स्कूल बंद है यदि इसके बाद भी हम स्कूल नहीं खोल पाए तो दूसरे तरीके से इस पर काम किया जाएगा. राज्य सरकार बच्चों का 1 साल बचाने के लिए सभी तरह के विकल्पों पर विचार कर रही है जिससे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित ना हो ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ाई जाए. बच्चों को पास करने के लिए उनके न्यूनतम मार्क्स में भी परिवर्तन किया जाए. डोटासरा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी अगर कोई नियमों में छूट देने की आवश्यकता होगी तो उस पर भी काम किया जाएगा.