जयपुर. अयोध्या-बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट कभी भी अपना फैसला सुना सकता है. जिसके बाद प्रदेश में शांति और सद्भावना नहीं बिगड़े इसे लेकर गहलोत सरकार कानून व्यवस्था बनाने में लगी है. यही वजह है कि प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत लगातार दो दिन से प्रदेश की कानून व्यवस्थाओं पर उच्चाधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे है.
इसी कड़ी में गुरुवार को सीएम गहलोत ने प्रदेश के सभी कलेक्टर और एसपी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेश में अमन-चैन और सद्भाव बनाए रखने के लिए हमारी सरकार संकल्पित है. जिला कलेक्टर और एसपी की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए ऐसी किसी भी घटना के प्रति सतर्क रहें, जिससे माहौल बिगड़ने की आशंका हो.
उन्होंने कहा कि अयोध्या मसले पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने की संभावना तथा नगरीय निकाय चुनावों के मद्देनजर माकूल सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करें. गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में कानून-व्यवस्था को लेकर संभागीय आयुक्तों, पुलिस कमिश्नर, रेंज आईजी, जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों से समीक्षा की.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि सजगता, सतर्कता और पूर्व तैयारी से किसी भी घटना के बड़ा रूप लेने से बचा जा सकता है. सभी समुदायों के प्रबुद्ध लोगों और युवा वर्ग के साथ नियमित संवाद इस दिशा में महत्वपूर्ण होता है. सीएम ने निर्देश दिए कि सद्भाव बनाए रखने के लिए जिला, ब्लॉक और थाना स्तर पर सीएलजी और शांति समितियों की बैठक आयोजित की जाए.
गहलोत ने निर्देश दिए कि संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएं और असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखें. सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश प्रसारित करने वाले लोगों से सख्ती से निपटा जाए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें और राजीव गांधी के 75वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में सद्भावना बढ़ाने वाली गतिविधियां लगातार आयोजित की जा रही हैं. नवंबर माह को सद्भावना माह के रूप में मनाते हुए राज्य के सभी जिलों में ऐसे आयोजन किए जाएं, जिससे सभी समुदायों में भाईचारा और विश्वास की भावना बढ़े.
मुख्यमंत्री ने कलक्टरों और एसपी को निर्देश दिए कि वे फील्ड स्तर पर तैनात अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस कर निचले स्तर तक फीडबैक लें. उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षा इंतजामों में मदद मिलती है, जहां भी आवश्यक हो सीसीटीवी कैमरे लगाएं. गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने थानों में हर परिवादी की स्थानीय स्तर पर ही सुनवाई के लिए फ्री रजिस्ट्रेशन की नीति लागू की है. ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए कि जिससे किसी भी पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसपी कार्यालय जाना पड़े.
मुख्यमंत्री ने संगठित अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश देते हुए इसमें पुलिस अधीक्षक और उच्च अधिकारियों की ओर से लगातार निगरानी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि परिवादियों को राहत देने और प्रकरणों की समय पर तफ्तीश के लिए सरकार ने कांस्टेबल एवं हेड कांस्टेबलों को अनुसंधान करने के लिए अधिकृत किया है.
पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करें कि निर्धारित मापदंडों को पूरा करने वाले कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल इस कार्य में शामिल किए जाएं. उन्होंने परिवादियों के बेहतर माहौल में सुनवाई के लिए थाना स्तर पर बनाए जा रहे स्वागत कक्षों के कार्य को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए. वीडियो कांफ्रेंस में मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह, डीजी कानून-व्यवस्था एमएल लाठर, एडीजी क्राइम बीएल सोनी, एडीजी इंटेलीजेंस उमेश मिश्रा और शासन सचिव गृह एनएल मीना भी उपस्थित रहे.