जयपुर. छठ की शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरुआत हुई. अब 20 नवंबर तक व्रती छठी मैया की उपासना करेंगी. वहीं, 19 नवंबर को अस्ताचलगामी और फिर 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा. इस पर्व को डाला छठ भी कहा जाता है. ऐसे में राजधानी जयपुर में पर्व की तैयारी को लेकर व्रती बांस का डाला, टोकरी और दूसरी पूजन सामग्रियों को लेने पहुंचीं.
जयपुर में छठ व्रतियों के लिए की गई व्यवस्था : बिहार, झारखंड सहित यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में मुख्य तौर पर इस पर्व को मनाया जाता है. वहीं, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी यानी शुक्रवार से इसकी शुरुआत हो गई. राजधानी जयपुर में मुख्य आयोजन गलता तीर्थ और विद्याधर नगर स्थित किशन बाग में होगा. इसके अलावा शहर में कई अन्य जगहों पर कृत्रिम जलाशय बनाकर छठ पर्व को मनाया जाएगा.
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36 घंटे का निर्जला उपवास : इस संबंध में समाज से जुड़े हृदयनाथ झा ने बताया- ''शुक्रवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई. पहले दिन व्रती स्नान आदि से निवृत होकर कच्चा चावल, दाल, लौकी की सब्जी का भोजन ग्रहण करेंगी. वहीं, शनिवार को उपवास रखेंगी और फिर गुड़ कच्चे चावल की खीर और केले का प्रसाद भोग लगाकर नैवेद्य प्रसाद लेंगी. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा.'' उन्होंने आगे बताया- ''19 नवंबर को कई तरह के व्यंजन, मूली, गन्ने के साथ पानी में खड़े होकर संध्याकालीन सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और उसके बाद 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण होगा. विष्णु पुराण में इस पर्व का विस्तृत उल्लेख मिलता है.''
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आपको बता दें कि 19 नवंबर को व्रती गलता तीर्थ पहुंचेंगी, जहां छठ का मेला भरेगा. साथ ही गलता पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य गंगा आरती करेंगे. इस दौरान व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास रहेगा. ऐसे में यहीं व्रती और उनके परिजन डेरा डाले भजन कीर्तन करेंगे.