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CAG Audit report revelations: राजस्थान में 1 अरब 11 करोड़ का हुआ अवैध खनन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

कैग की ऑडिट रिपोर्ट मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में पेश की गई. इसमें अवैध खनन, केंद्र की परियोजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने, शहरी निकायों की ओर से कामकाज की कमियों को उजागर किया गया.

CAG Audit report revelations, illegal mining at  huge scale in Rajasthan
राजस्थान में 1 अरब 11 करोड़ का हुआ अवैध खनन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
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Published : Feb 28, 2023, 8:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को सीएजी 4 लेखापरीक्षा प्रतिवेदन विधानसभा में रखे गए. कैग की ऑडिट रिपोर्ट में अवैध खनन, बिजली कंपनियों द्वारा दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के क्रियान्वयन, शहरी निकायों एवं नगरीय विकास विभाग के अमृत योजना के क्रियान्वयन और सरकारी कंपनियों एवं निगमों के कामकाज में कमियों को रखा गया. रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि राजस्थान में देश के सर्वाधिक खनन पट्टे हैं और अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए सरकारी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है.

कैग की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि राजस्थान में अवैध खनन गतिविधियों को पहचान करने और इस पर रोक लगाने के लिए मुफ्त में उपलब्ध नई तकनीक रिमोट सेंसिंग डाटा एवं जीआईएस का भी उपयोग नहीं किया गया. कैग ने रिमोट सेंसिंग डाटा एवं जीआईएस तकनीक का उपयोग कर 122 प्रकरणों में 83.25 हेक्टेयर में अवैध खनन की पहचान की. इसमें निकले परिणाम से यह साफ हुआ कि 34% खनन पट्टों के निकट ही अवैध खनन हो रहा है. लेखा परीक्षा की ओर से बताए गए 14 खनन पट्टों का निरीक्षण किया गया. जिसमें कैग ने पाया कि 13.37 लाख मैट्रिक टन खनिजों का अवैध खनन हुआ है, जिसकी कीमत 1 अरब 11 करोड़ रुपए है.

पढ़ें: पेयजल योजना में 250 करोड़ से अधिक रकम डकार गए 'साहेब', कैग की रिपोर्ट में खुलासा

कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अधिकारियों की ओर से आधुनिक तकनीक का उपयोग नहीं करने और खनन पट्टों का निरीक्षण नहीं करने से विभाग को अवैध खनन का पता नहीं चला. विभाग खनन गतिविधियों की निगरानी के लिए बनाई गई एप्लीकेशन डीएनजी ओएमएस का भी सही से उपयोग नहीं कर पाया. 71 करोड़ की डिमांड और 14 करोड़ की पेलेंटी भी वसूल नहीं हो पाई. ई रवन्ना बनाने के लिए एक ही वाहन के फोटो का कई बार उपयोग किए गए, जिससे रॉयल्टी की चोरी की संभावना बनती है.

गलत तरीके से घोषित किया गया गांवों को विद्युतीकृत: तीनों डिस्कॉम द्वारा केंद्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के क्रियान्वयन पर भी कैग का प्रतिवेदन विधानसभा में रखा गया. जिसमें इस योजना को लागू करने में कमियों को जाहिर किया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि भारत सरकार ने गांव में बिजली कनेक्शन जारी करने के लिए 2014 में यह योजना प्रारंभ की थी, लेकिन किसी भी डिस्कॉम ने इस योजना के काम को तय समय में पूरा नहीं किया.

पढ़ें: कैग रिपोर्ट 2019-20 : राजस्व प्राप्ति में 14.57 फीसदी, व्यय भी बजट अनुमानों के लक्ष्य के अनुसार हुआ कम

कैग ने इस योजना के क्रियान्वयन में परियोजना निर्माण एवं निष्पादन, संविदा प्रबंधन, निगरानी एवं गुणवत्ता, आश्वासन तंत्र एवं वित्तपोषण तंत्र में कई कमियों को उजागर किया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि डिस्कॉम इस योजना का पूरा लाभ राज्य की जनता को नहीं दे पाए. इस योजना के अंतर्गत होने वाले फीडर सेपरेशन के काम के लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर सके. इस योजना के तहत कृषि एवं गैर कृषि भार के लिए अलग फीडर बनाए जाने की जगह डिस्कॉम ने योजना में बनाए गए फीडर का मिक्स लोड रखा.

कैग रिपोर्ट में कहा गया कि डिस्कॉम ने गांवों के विद्युतीकरण गलत तरीके से घोषित किए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित 10320 विद्यालयों में नवंबर 2020 तक विद्युत नहीं थी. क्योंकि इन गांवों को विद्युतीकरण घोषित करने से पहले इन सभी स्कूलों में विद्युत कनेक्शन दिए जाने थे. इसी प्रकार डीडीयूजी के वाई के क्रियान्वयन के बाद भी डिस्कॉम राज्य में 100% गांव विद्युतीकरण के लक्ष्य प्राप्त करने में विफल रहे.

कैग की रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों और नगरी निकाय एवं विभाग में केंद्र सरकार की अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन अमृत योजना की लेखापरीक्षा में भी कमियां सामने आई. कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि 3142 करोड़ की 93 परियोजनाओं में से केवल 685.38 करोड़ की 41 परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका. 41 में से 30 परियोजनाओं में 1 से 37 महीने की देरी हुई. बाकी बची 52 परियोजनाओं पर 1712.99 करोड़ के खर्च एवं 2 से 37 महीने की देरी के बाद भी अपूर्ण थी.

पढ़ें: तत्कालीन कैग विनोद राय ने फासीवादी ताकतों के केंद्र में सत्तारूढ़ होने का मार्ग प्रशस्त किया : गहलोत

इसके अतिरिक्त अमृत योजना के फंड से 5.93 करोड़ के मूल्य वृद्धि के दावों को भी पारित करने के कारण राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के दिशा-निर्देशों की तकनीकी अनुमोदन का उल्लंघन होना, लाभार्थी विवरण प्रमाणित किए बिना नगर निगम और रुड़सिको से ठेकेदारों को 10.71 करोड़ का भुगतान करना, ठेकेदार के बिलों से 23 करोड़ 50 लाख की एलडी कटौती न करने से ठेकेदारों को अनुचित लाभ जैसी कमियां पाई गईं.

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि विज्ञापन बोर्डों की ई नीलामी में सफल बोलिदाताओं को निर्धारित समय में मांग पत्र जारी नहीं करने से नगर निगम जयपुर को 149.20 लाख का नुकसान हुआ. कैग ने पाया कि साल 2020-21 के दौरान 41 में से 25 राजकीय उपक्रमों ने लाभ अर्जित किया, जबकि 13 में हानि हुई. इन 41 राजकीय उपक्रमों में पिछले सालों से हो रही हानियों के कारण राजकीय उपक्रम के पूंजी निवेश 51787.33 करोड़ के सामने 97441.97 करोड़ की हानि हुई. इसके साथ ही 15 राजकीय उपक्रमों का नेट वर्ष नेगेटिव हो गया.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को सीएजी 4 लेखापरीक्षा प्रतिवेदन विधानसभा में रखे गए. कैग की ऑडिट रिपोर्ट में अवैध खनन, बिजली कंपनियों द्वारा दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के क्रियान्वयन, शहरी निकायों एवं नगरीय विकास विभाग के अमृत योजना के क्रियान्वयन और सरकारी कंपनियों एवं निगमों के कामकाज में कमियों को रखा गया. रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि राजस्थान में देश के सर्वाधिक खनन पट्टे हैं और अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए सरकारी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है.

कैग की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि राजस्थान में अवैध खनन गतिविधियों को पहचान करने और इस पर रोक लगाने के लिए मुफ्त में उपलब्ध नई तकनीक रिमोट सेंसिंग डाटा एवं जीआईएस का भी उपयोग नहीं किया गया. कैग ने रिमोट सेंसिंग डाटा एवं जीआईएस तकनीक का उपयोग कर 122 प्रकरणों में 83.25 हेक्टेयर में अवैध खनन की पहचान की. इसमें निकले परिणाम से यह साफ हुआ कि 34% खनन पट्टों के निकट ही अवैध खनन हो रहा है. लेखा परीक्षा की ओर से बताए गए 14 खनन पट्टों का निरीक्षण किया गया. जिसमें कैग ने पाया कि 13.37 लाख मैट्रिक टन खनिजों का अवैध खनन हुआ है, जिसकी कीमत 1 अरब 11 करोड़ रुपए है.

पढ़ें: पेयजल योजना में 250 करोड़ से अधिक रकम डकार गए 'साहेब', कैग की रिपोर्ट में खुलासा

कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अधिकारियों की ओर से आधुनिक तकनीक का उपयोग नहीं करने और खनन पट्टों का निरीक्षण नहीं करने से विभाग को अवैध खनन का पता नहीं चला. विभाग खनन गतिविधियों की निगरानी के लिए बनाई गई एप्लीकेशन डीएनजी ओएमएस का भी सही से उपयोग नहीं कर पाया. 71 करोड़ की डिमांड और 14 करोड़ की पेलेंटी भी वसूल नहीं हो पाई. ई रवन्ना बनाने के लिए एक ही वाहन के फोटो का कई बार उपयोग किए गए, जिससे रॉयल्टी की चोरी की संभावना बनती है.

गलत तरीके से घोषित किया गया गांवों को विद्युतीकृत: तीनों डिस्कॉम द्वारा केंद्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के क्रियान्वयन पर भी कैग का प्रतिवेदन विधानसभा में रखा गया. जिसमें इस योजना को लागू करने में कमियों को जाहिर किया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि भारत सरकार ने गांव में बिजली कनेक्शन जारी करने के लिए 2014 में यह योजना प्रारंभ की थी, लेकिन किसी भी डिस्कॉम ने इस योजना के काम को तय समय में पूरा नहीं किया.

पढ़ें: कैग रिपोर्ट 2019-20 : राजस्व प्राप्ति में 14.57 फीसदी, व्यय भी बजट अनुमानों के लक्ष्य के अनुसार हुआ कम

कैग ने इस योजना के क्रियान्वयन में परियोजना निर्माण एवं निष्पादन, संविदा प्रबंधन, निगरानी एवं गुणवत्ता, आश्वासन तंत्र एवं वित्तपोषण तंत्र में कई कमियों को उजागर किया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि डिस्कॉम इस योजना का पूरा लाभ राज्य की जनता को नहीं दे पाए. इस योजना के अंतर्गत होने वाले फीडर सेपरेशन के काम के लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर सके. इस योजना के तहत कृषि एवं गैर कृषि भार के लिए अलग फीडर बनाए जाने की जगह डिस्कॉम ने योजना में बनाए गए फीडर का मिक्स लोड रखा.

कैग रिपोर्ट में कहा गया कि डिस्कॉम ने गांवों के विद्युतीकरण गलत तरीके से घोषित किए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित 10320 विद्यालयों में नवंबर 2020 तक विद्युत नहीं थी. क्योंकि इन गांवों को विद्युतीकरण घोषित करने से पहले इन सभी स्कूलों में विद्युत कनेक्शन दिए जाने थे. इसी प्रकार डीडीयूजी के वाई के क्रियान्वयन के बाद भी डिस्कॉम राज्य में 100% गांव विद्युतीकरण के लक्ष्य प्राप्त करने में विफल रहे.

कैग की रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों और नगरी निकाय एवं विभाग में केंद्र सरकार की अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन अमृत योजना की लेखापरीक्षा में भी कमियां सामने आई. कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि 3142 करोड़ की 93 परियोजनाओं में से केवल 685.38 करोड़ की 41 परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका. 41 में से 30 परियोजनाओं में 1 से 37 महीने की देरी हुई. बाकी बची 52 परियोजनाओं पर 1712.99 करोड़ के खर्च एवं 2 से 37 महीने की देरी के बाद भी अपूर्ण थी.

पढ़ें: तत्कालीन कैग विनोद राय ने फासीवादी ताकतों के केंद्र में सत्तारूढ़ होने का मार्ग प्रशस्त किया : गहलोत

इसके अतिरिक्त अमृत योजना के फंड से 5.93 करोड़ के मूल्य वृद्धि के दावों को भी पारित करने के कारण राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के दिशा-निर्देशों की तकनीकी अनुमोदन का उल्लंघन होना, लाभार्थी विवरण प्रमाणित किए बिना नगर निगम और रुड़सिको से ठेकेदारों को 10.71 करोड़ का भुगतान करना, ठेकेदार के बिलों से 23 करोड़ 50 लाख की एलडी कटौती न करने से ठेकेदारों को अनुचित लाभ जैसी कमियां पाई गईं.

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि विज्ञापन बोर्डों की ई नीलामी में सफल बोलिदाताओं को निर्धारित समय में मांग पत्र जारी नहीं करने से नगर निगम जयपुर को 149.20 लाख का नुकसान हुआ. कैग ने पाया कि साल 2020-21 के दौरान 41 में से 25 राजकीय उपक्रमों ने लाभ अर्जित किया, जबकि 13 में हानि हुई. इन 41 राजकीय उपक्रमों में पिछले सालों से हो रही हानियों के कारण राजकीय उपक्रम के पूंजी निवेश 51787.33 करोड़ के सामने 97441.97 करोड़ की हानि हुई. इसके साथ ही 15 राजकीय उपक्रमों का नेट वर्ष नेगेटिव हो गया.

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