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Budget 2023: बजट से एक दिन पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने 25 मांगों को लेकर निकाला मार्च

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने अपनी 25 मांगों के समर्थन में जयपुर में मार्च निकाला. बीजेपी मुख्यालय से शुरू हुआ यह मार्च 22 गोदाम सर्किल तक निकाला गया.

BJP minority morcha march in Jaipur in support of their 25 demands
बजट से एक दिन पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने 25 मांगों को लेकर निकाला मार्च
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Published : Feb 9, 2023, 7:32 PM IST

जयपुर. गहलोत सरकार शुक्रवार को अपना बजट पेश करने जा रही है. इस बजट से पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने सरकार के खिलाफ मार्च निकाला. वादाखिलाफी से नाराज अल्पसंख्यक समाज पहले बीजेपी मुख्यालय पर एकत्रित हुआ. जहां पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने संबोधित किया. इसके बाद मुख्यालय से 22 गोदाम सर्किल तक विरोध मार्च निकाला गया. मोर्चा के मार्च को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था.

वाद कर भूली गहलोत सरकार: बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष एम सादिक खान ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अल्पसंख्यक समाज का ध्यान ना भटकाएं, बल्कि मुद्दों पर बात करें. गहलोत कहते हैं कि कांग्रेस ही अल्पसंख्यक समाज की सबसे बड़ी हिमायती और फिक्र करने वाली पार्टी है. तो गहलोत बताएं कि उन्होंने अपने 4 साल के शासनकाल में अल्पसंख्यक समाज को दरकिनार क्यों किया और उनके हितों के लिए क्या काम किया? मोर्चा की नाराजगी है कि कांग्रेस कार्यकाल में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की गई. उन्होंने कहा कि प्रदेश का अल्पसंख्यक समाज 95 प्रतिशत वोट कांग्रेस को देता है. बावजूद इसके अल्पसंख्यक समाज को दरकिनार किया गया.

पढ़ें: भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने राजस्थान सरकार पर साधा निशाना, शनिवार से जोधपुर सहित प्रत्येक जिला मुख्यालय पर होंगे प्रदर्शन

इन मुद्दों पर जताया विरोध:

  1. जयपुर शहर में अल्पसंख्यक बालक छात्रावास भवन निर्माण का उद्घाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से करने के बावजूद दो बार भू-आवंटन रद्द कर दिया गया और आज तक छात्रावास नहीं बन पाया.
  2. भीलवाड़ा की पूर वाली मस्जिद के मामले में राज्य सरकार कोर्ट में रिव्यू पिटिशन में नहीं जा पाई और वक्फ बोर्ड यह केस हार गया.
  3. भरतपुर जिले में कामां और नगर विधानसभा में स्थानीय विधायकों की तरफ से भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, जिन्हें रोका जाए.
  4. चुनावी घोषणा पत्र में वादे के बावजूद भी बेरोजगारों के साथ एक बार फिर धोखा किया गया, जबकि चिकित्सा निदेशालय ने 582 यूनानी चिकित्सकों की भर्ती की आवश्यकता राज्य सरकार को बताई.
  5. राज्यभर में असिस्टेंट प्रोफेसर उर्दू के कुल 28 पद रिक्त हैं, लेकिन 18 दिसम्बर, 2020 को जारी होने वाले भर्ती विज्ञापन में महज 5 पदों को शामिल किया गया, जो न्यायोचित नहीं है.
  6. आरपीएससी के गठन और नियुक्तियों के समय में भी अल्पसंख्यक समाज की अनदेखी की गई.
  7. मुख्यधारा की नियुक्तियों में अल्पसंख्यक समाज को पूरी तरह दरकिनार किया गया.
  8. मदरसा पैराटीचर को नियमित करने की मांग को लेकर कोई समाधान नहीं निकाला गया.

जयपुर. गहलोत सरकार शुक्रवार को अपना बजट पेश करने जा रही है. इस बजट से पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने सरकार के खिलाफ मार्च निकाला. वादाखिलाफी से नाराज अल्पसंख्यक समाज पहले बीजेपी मुख्यालय पर एकत्रित हुआ. जहां पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने संबोधित किया. इसके बाद मुख्यालय से 22 गोदाम सर्किल तक विरोध मार्च निकाला गया. मोर्चा के मार्च को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था.

वाद कर भूली गहलोत सरकार: बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष एम सादिक खान ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अल्पसंख्यक समाज का ध्यान ना भटकाएं, बल्कि मुद्दों पर बात करें. गहलोत कहते हैं कि कांग्रेस ही अल्पसंख्यक समाज की सबसे बड़ी हिमायती और फिक्र करने वाली पार्टी है. तो गहलोत बताएं कि उन्होंने अपने 4 साल के शासनकाल में अल्पसंख्यक समाज को दरकिनार क्यों किया और उनके हितों के लिए क्या काम किया? मोर्चा की नाराजगी है कि कांग्रेस कार्यकाल में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की गई. उन्होंने कहा कि प्रदेश का अल्पसंख्यक समाज 95 प्रतिशत वोट कांग्रेस को देता है. बावजूद इसके अल्पसंख्यक समाज को दरकिनार किया गया.

पढ़ें: भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने राजस्थान सरकार पर साधा निशाना, शनिवार से जोधपुर सहित प्रत्येक जिला मुख्यालय पर होंगे प्रदर्शन

इन मुद्दों पर जताया विरोध:

  1. जयपुर शहर में अल्पसंख्यक बालक छात्रावास भवन निर्माण का उद्घाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से करने के बावजूद दो बार भू-आवंटन रद्द कर दिया गया और आज तक छात्रावास नहीं बन पाया.
  2. भीलवाड़ा की पूर वाली मस्जिद के मामले में राज्य सरकार कोर्ट में रिव्यू पिटिशन में नहीं जा पाई और वक्फ बोर्ड यह केस हार गया.
  3. भरतपुर जिले में कामां और नगर विधानसभा में स्थानीय विधायकों की तरफ से भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, जिन्हें रोका जाए.
  4. चुनावी घोषणा पत्र में वादे के बावजूद भी बेरोजगारों के साथ एक बार फिर धोखा किया गया, जबकि चिकित्सा निदेशालय ने 582 यूनानी चिकित्सकों की भर्ती की आवश्यकता राज्य सरकार को बताई.
  5. राज्यभर में असिस्टेंट प्रोफेसर उर्दू के कुल 28 पद रिक्त हैं, लेकिन 18 दिसम्बर, 2020 को जारी होने वाले भर्ती विज्ञापन में महज 5 पदों को शामिल किया गया, जो न्यायोचित नहीं है.
  6. आरपीएससी के गठन और नियुक्तियों के समय में भी अल्पसंख्यक समाज की अनदेखी की गई.
  7. मुख्यधारा की नियुक्तियों में अल्पसंख्यक समाज को पूरी तरह दरकिनार किया गया.
  8. मदरसा पैराटीचर को नियमित करने की मांग को लेकर कोई समाधान नहीं निकाला गया.
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