जयपुर. प्रदेश में मतदान खत्म हो चुका है. सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला अब 3 दिसंबर को ईवीएम के खुलने के बाद होगा, लेकिन हर किसी को 3 दिसंबर का बेसब्री से इंतजार है. कई दिनों की चुनावी भाग दौड़ के बाद मतदान के दूसरे दिन सभी नेता रिलैक्स के मूड में नजर आए. साथ ही हर पार्टी और उनके प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. हालांकि, मतदाताओं का आशीर्वाद किसे मिलता है, ये तो अब 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा.
पीएम मोदी पर जनता को भरोसा : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष व आमेर से भाजपा प्रत्याशी डॉ. सतीश पूनिया ने कहा, ''इस बार के चुनाव में दो पक्ष थे. एक तो आने वाली सत्ता में जो पार्टी होती है, उसके लिए आकर्षण होता है. भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों का जनसमर्थन तो पहले से ही दिख रहा था. वहीं, दूसरा जो पार्टी सत्ता में होती है, उसके विपरीत एक रुझान होता है. मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की कर्ज माफी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, तुष्टिकरण जैसे तमाम मसलों को लेकर लोगों में नाराजगी थी. यह नाराजगी ईवीएम में कांग्रेस के खिलाफ प्रकट हुई है और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान हुआ है. तीसरा पक्ष यह है कि मोदी जी 2014 में पीएम बने. इन 10 सालों में मोदी जी भरोसे का एक ब्रांड नेम बन गए हैं. मोदी जी की जितनी भी योजनाएं हैं, उनका लाभ आमेर और पूरे प्रदेश के मतदाताओं को मिला है. यही वजह है कि राज्य की जनता ने भाजपा के पक्ष में अच्छा मतदान किया है.''
इसे भी पढ़ें - प्रताप सिंह खाचरियावास बोले- भाजपा ने जो माहौल बनाया वो धरा रह गया, कांग्रेस का काम बोल रहा था
125 से 150 सीट जीतने का दावा : सतीश पूनिया ने कहा, ''मतदान प्रतिशत बढ़ा है और राजनीतिक दल भी यही कोशिश करते हैं कि वोट परसेंटेज बढ़े. लोकतंत्र में मतदान सफलता की निशानी है. इससे लोकतंत्र में जीवंतता बनी रहती है. मत प्रतिशत बढ़ता है तो मौजूदा सरकार के खिलाफ ज्यादातर इसकी चर्चा होती है. वहीं, इस बार के चुनाव में लोगों ने मुद्दों के आधार पर मतदान किया है. ऐसे में हम अच्छे बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने जा रहे हैं. साथ ही हम 125 से 150 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे.''
मतदाता सूची के रिवीजन में हुई खामी : मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम काटने के मामले को लेकर सतीश पूनिया ने कहा, ''कुछ जगहों पर ईवीएम मशीनों की चाल धीमी रही और कई जगह वोटर लिस्ट के रिवीजन में खामियां सामने आई. हालांकि, इस बीच तीन-तीन बार बूथ भी बदले गए, जिसकी वजह से मतदाताओं को दिक्कतें पेश आईं. इस तरह की परेशानियां चुनाव आयोग के संज्ञान में आनी चाहिए.''
इसे भी पढ़ें - राजनीतिक सफर : सरकार बदले या सिलसिला, राजस्थान में गहलोत-वसुंधरा या किसी और को कमान ?
आमेर की जनता भाजपा के साथ : आमेर का मतदाता देश और प्रदेश के मुद्दों पर वोट करता है. प्रदेश में पेपर लीक से लेकर जितने भी मुद्दे थे, उससे आमेर के नौजवान परेशान थे. बिजली के मसले को लेकर किसान परेशान थे. इसके अलावा बुनियादी विकास को लेकर भी जितनी चुनौतियां 5 साल में देखने को मिली, उससे भी मतदाताओं में नाराजगी थी. हालांकि, इस बीच राज्य के लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ जरूर मिला.