जयपुर। किसी भी राज्य का सबसे सुरक्षित भवन माना जाता है सचिवालय. कई सरकारी फाइलें और अति महत्वपूर्ण कार्य यहां निपटाए जाते हैं. ऐसे ही अति संवेदनशील स्थल में जब चोरों की एंट्री हो जाए, तो फिर उसे क्या कहेंगे आप? ये जयपुर स्थित सचिवालय की कहानी है. जहां चोर चुस्त हैं और सुरक्षा में तैनात कर्मी सुस्त हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों में ही एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार बाइक्स पर चोर अपना हाथ साफ कर चुके हैं. मंगलवार को चौथा कारनामा अंजाम दिया गया है.
मजे की बात ये है कि हर चोरी का पुख्ता प्रमाण बतौर सीसीटीवी फुटेज मौजूद है लेकिन पुलिस विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है. क्यों? यही ऐसा सवाल जिसका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है.
एक बाइक चोरी की घटना ने न केवल सचिवालय की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए बल्कि सचिवालय कर्मचारियों के दहशत का माहौल खड़ा कर दिया है. कर्मचारी सचिवालय में अपनी बाइक तो लेकर आते हैं , लेकिन इसका भरोसा नहीं रहता कि लौटेंगे भी तो उसी वाहन पर. बाइक चोर ने उन्हें डर के साए में जीने को मजबूर कर दिया है.
खास बात यह है कि यह सभी चोर सचिवालय की सीसीटीवी कैमरे में आसानी से रिकॉर्ड भी हो रहे हैं, लेकिन पुलिस इन आरोपियों को अभी तक भी नहीं पकड़ पाई है. सचिवालय कर्मी तक जानते हैं और बताते हैं कि यह गिरोह का काम है.
सचिवालय कर्मचारी शिव सिंह मीणा ने बताया कि मंगलवार को गौरव कंसल, लिपिक ग्रेड 1 की स्प्लेंडर + (बाइक) सचिवालय से चोरी हो गई. हर बार की तरह इस बार भी बाइक चोर सीसीटीवी कैमरे में आराम से बाइक ले जाते दिख रहा है.
इससे पहले 2 जून को और उससे पहले दिवाली के मौके पर एक साथ दो बाइक सचिवालय से चोरी हुई थी. जिस तरह से शातिर अपने कारनामे को पूरा कर रहा है उससे साफ लग रहा है कि वो सुनियोजित तरीके से रेकी करके यहां पहुंचता है. ये भी स्पष्ट हो रहा है कि चोर एक ही है.
लगातार हो रही इन चोरियों से अब कर्मचारियों में नाराजगी है. गौर करने वाली बात ये है कि यहीं पर मुख्यमंत्री का कार्यालय है, मुख्य सचिव यहीं बैठते हैं, गृह विभाग के आला अधिकारी यहीं से प्रदेश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के नियम कानून बनाते हैं. उसी अति संवेदनशील Secretariat को शातिर गिरोह निशाना बना रहा है. वो बड़ी आसानी से चकमा देकर अपना काम कर रहा है और जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.