जयपुर: राज्य सरकार के जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) की महापौर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने के मामले (Soumya Gurjar dismissal case) में अब सियासत तेज हो गई है. बीजेपी ने इस घटना को केंद्र कर सूबे की गहलोत सरकार पर निशाना साधा. साथ ही आरोप लगाया कि राज्य सरकार बीजेपी शासित निकायों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. मामले में सौम्या गुर्जर का कानूनी पक्ष देख रहे डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद गहलोत सरकार अब बेनकाब हो चुकी है.
उन्होंने आगे कहा कि गहलोत सरकार लगातार बीजेपी शासित नगर निगमों और परिषदों में विभिन्न हथकंडे अपनाकर अपना शिकंजा (BJP accuses Gehlot government) कस रही है. इसी के तहत सौम्या गुर्जर मामले में जुडिशरी कमीशन का गठन किया गया, जो एक्ट के प्रावधानों के विपरीत था. वहीं, कमीशन ने सरकार को अपनी अनुशंसा की, जिसके आधार पर सरकार ने सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया, जबकि यह पूरी प्रक्रिया ही गैर-कानूनी है. जिसके खिलाफ अब बीजेपी और सौम्या गुर्जर हाईकोर्ट में केविएट दायर करेगी (Soumya Gurjar will file caveat in High Court).
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चतुर्वेदी ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हाईकोर्ट से हमें इस मामले में न्याय (BJP will go to High Court) मिलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार बीजेपी शासित जिन संस्थाओं और निगमों को लोकतांत्रिक तरीके से अपने कब्जे में नहीं कर रही है, उन्हें दूसरे तरीके से कब्जाने की कोशिश कर रही है. जिसे प्रदेश की जनता भी देख रही है.
गौरतलब है कि स्वायत शासन विभाग ने मंगलवार को जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया था. साथ ही उनके आगामी 6 वर्षों तक निकाय चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. फिलहाल, बीजेपी पार्षद शील धाभाई को निगम के मेयर का चार्ज सौंपा गया है.
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