जयपुर. न्यायपालिका को भ्रष्ट बताने के मामले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोर्ट में माफीनामा देना पड़ा. सीएम गहलोत ने अपनी टिप्पणी पर खेद जताते हुए न्यायपालिका से माफी मांगी. गहलोत के इस माफीनामे पर भाजपा ने तीखा हमला बोला. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सीएम गहलोत ने न्यायपालिका पर टिप्पणी की ही क्यों? जो अब उन्हें मांगनी पड़ रही है. यह बहुत ज्यादा खेदजनक है कि न्यायपालिका को मुख्यमंत्री स्तर के संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से भ्रष्ट बताया.
पहले टिप्पणी की ही क्यों?: केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आखिर मुख्यमंत्री ने कमेंट किए ही क्यों? उन्हें कमेंट करने ही नहीं चाहिए ना. मेघवाल ने कहा कि हमारे संविधान में तीन अंग प्रमुख रूप से हैं जिसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, इन सब में न्यायपालिका की कार्य प्रणाली पर संवैधानिक पदों पर बैठे हुए व्यक्तियों को कमेंट नहीं करना चाहिए. किसी तरह की कोई बात है तो उस पर हाउस में चर्चा कर सकते हैं. लोकसभा और विधानसभा में हाउस में चर्चा कर सकते हैं. वो भी जब न्यायपालिका का विषय आए.
उन्होंने कहा कि सीएम गहलोत तो पब्लिक में चर्चा कर रहे थे और पूरी न्यायपालिका को भ्रष्ट बता रहे थे. हालांकि मेघवाल ने यह भी कहा कि मुद्दा न्यायपालिका के पास विचाराधीन है. इसलिए इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता. फिर भी मैं कह रहा हूं कि संवैधानिक पदों पर बैठे हुए किसी को भी न्यायपालिका की वर्किंग पर इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. सीएम गहलोत ने जो टिप्पणी की थी वो बहुत ही खेदजनक थी.
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ये कहा था सीएम गहलोत ने: बता दें कि न्यायपालिका को लेकर दिए अपने बयान पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने माफी मांग ली है. राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में मंगलवार को सीएम गहलोत ने जवाब देते हुए कहा कि जो कुछ भी उन्होंने कहा था, वो उनके विचार नहीं थे. पूर्व न्यायाधीशों ने भी कई बार न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर बयान दिए हैं. मेरी टिप्पणी में भी मैंने उनको कोट करते हुए ही अपनी बात कही थी. फिर भी अगर मेरे बयान से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगता हूं.
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दरअसल सीएम गहलोत ने ये माफी अपने 30 अगस्त के बयान पर माफी मांगी. जिसमें उन्होंने न्यायपालिका पर आरोप लगते हुए कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार हो रहा है. कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं और वही जजमेंट कोर्ट से सुनवाई के बाद आता है. आखिर न्यायपालिका के अंदर यह हो क्या रहा है? फिर निचली अदालत हो व अपर कोर्ट हालात गंभीर हैं. गहलोत के इस बयान के बाद एडवोकेट सहित कई संगठनों ने इस बयान पर आपत्ति दर्ज कराई थी.