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IAS, RAS देने वाला APTC कोचिंग सेंटर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी...सुधार के लिए 10 लाख की जरूरत

राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में चल रहा APTC कोचिंग सेंटर आज इंफ्रास्ट्रक्चर (APTC Coaching Center facing lack of infrastructure) की कमी से जूझ रहा है. सेंटर 44 सालों से लगातार आईएएस और आरएएस दे रही है, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण अब कई समस्याएं सामने आ रही हैं जिससे विद्यार्थी भी इससे मुंह मोड़ रहे हैं.

APTC Coaching Center for civil services
APTC Coaching Center for civil services
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Published : Dec 18, 2022, 5:03 PM IST

APTC कोचिंग सेंटर

जयपुर. सिविल सर्विसेज और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में (APTC infrastructure in Rajasthan university) लाखों रुपए खर्च करते हैं. इसके इतर प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान यूनिवर्सिटी में बीते 44 साल से भारतीय प्रशासनिक सेवा भर्ती पूर्व प्रशिक्षण केंद्र (एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज प्री एंट्री ट्रेनिंग सेंटर-APTC) संचालित है जिसने कई आईएएस और आरएएस दिए हैं, लेकिन प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स की तुलना में प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं होने के कारण नॉमिनल चार्ज होने के बावजूद छात्रों का रुझान इस सेंटर के लिए कम होता जा रहा है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन अब एपीटीसी सेंटर को एमएसआर फंड के जरिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है.

1978 से राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में संचालित एपीटीसी सेंटर युवाओं की प्रतिभा को निखारने का कार्य कर रहा है. एपीटीसी सेंटर युवाओं को एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के लिए तैयार कर रहा है. यहां आरएएस, आरजेएस की प्रिपरेशन के लिए छात्रों से महज 20 हजार, आईएएस प्री के लिए 25 हजार और नेट/सेट/जेआरएफ जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 15 हजार का नॉमिनल शुल्क लिया जाता है. बीते 44 साल में इस सेंटर ने धीरज श्रीवास्तव, शक्ति सिंह राठौड़, कुंजी लाल मीणा, हरसहाय मीणा, रामअवतार गुर्जर, रघुवीर सैनी और डॉ देवाराम जैसे कई दिग्गज आईएएस, आरएएस और आरपीएस ऑफिसर दिए हैं, लेकिन 2010 के बाद प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स की तुलना में यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी के चलते ये सेंटर पिछ्ड़ता जा रहा है.

APTC कोचिंग सेंटर

पढ़ें. आज 57 साल की हुई देश की एकमात्र महिला एनसीसी ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 10 लाख की जरूरत
एपीटीसी विभाग के निदेशक प्रो. राम सिंह चौहान ने बताया कि इस सेंटर को संचालित करने के लिए वह लगातार प्रयासरत हैं. वर्तमान में भी यहां आरजेएस की प्रिपरेशन क्लासेस चल रही है, लेकिन संसाधनों की कमी कहीं न कहीं आड़े आ रही है. यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए करीब 10 लाख की जरूरत है. विभाग की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक प्रस्ताव बनाकर भी भेजा गया है, लेकिन इसे अब तक स्वीकृति नहीं मिली है.

प्रो. चौहान ने बताया कि एपीटीसी में युवाओं को पढ़ाने के लिए प्रमुख रूप से सेवानिवृत्त शिक्षक यहां आते हैं जिन्हें 500 रुपए मानदेय और 100 रुपए कन्वेंस चार्ज के रूप में दिया जाता है. इस मानदेय को बढ़ाने की भी विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की गई है ताकि शिक्षक अपनी नियमित सेवाएं दे सकें. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि उन्हें अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों को उचित मानदेय दिया जाता है, तो ग्रामीण परिवेश से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कराई जा सकेगी. इससे न सिर्फ राजस्थान विश्वविद्यालय बल्कि प्रदेश का भी नाम होगा.

राजस्थान विश्वविद्यालय में चल रहा सेंटर
ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति राजीव जैन ने बताया कि प्राइवेट कोचिंग संस्थानों की तुलना में प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में संचालित इस विभाग से पूर्व में कई युवाओं का चयन विभिन्न भर्तियों में हो चुका है और आज वह कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर कार्यरत हैं. जबकि प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स पर एडमिशन के लिए छात्रों को न्यूनतम लाख रुपए तक देने होते हैं. वहां एपीटीसी सेंटर पर कुछ हजार रुपए में कोचिंग की सुविधा मिल रही है.

पढ़ें. SMS Stadium में शुरू हुआ हाई परफॉर्मेंस स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर, इंजरी से जूझ रहे खिलाड़ियों को मिलेगा बेहतर इलाज

हालांकि 2010 के बाद सेंटर के गिरते स्तर पर कुलपति कुछ भी कहने से बचते नजर आए. उन्होंने बीते 3 साल सेंटर संचालित नहीं होने का ठीकरा कोरोना के माथे फोड़ दिया. सेंटर के मेंटेनेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर के सवाल पर कुलपति ने कहा कि एपीटीसी डायरेक्टर ने इस बारे में पत्र लिखा है. एमएसआर फंड के जरिए यहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी. हालांकि शिक्षकों के मानदेय की बात को उन्होंने ये कह कर टाल दिया कि सेवानिवृत्त शिक्षक और यहां से पढ़ कर आगे बढ़े एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस के लोग यहां पढ़ाने के लिए आगे आएंगे.

बहरहाल, राजस्थान विश्वविद्यालय सिविल सर्विसेज सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए युवाओं को कोचिंग की सुविधा दे रहा है, लेकिन निजी कोचिंग सेंटर्स की तुलना में यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं होने के कारण युवाओं की रुचि कम हो रही है. हालांकि अब जल्द से जल्द यहां मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराते हुए छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने की ओर यूनिवर्सिटी अग्रसर होने का दावा कर रही है.

APTC कोचिंग सेंटर

जयपुर. सिविल सर्विसेज और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में (APTC infrastructure in Rajasthan university) लाखों रुपए खर्च करते हैं. इसके इतर प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान यूनिवर्सिटी में बीते 44 साल से भारतीय प्रशासनिक सेवा भर्ती पूर्व प्रशिक्षण केंद्र (एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज प्री एंट्री ट्रेनिंग सेंटर-APTC) संचालित है जिसने कई आईएएस और आरएएस दिए हैं, लेकिन प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स की तुलना में प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं होने के कारण नॉमिनल चार्ज होने के बावजूद छात्रों का रुझान इस सेंटर के लिए कम होता जा रहा है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन अब एपीटीसी सेंटर को एमएसआर फंड के जरिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है.

1978 से राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में संचालित एपीटीसी सेंटर युवाओं की प्रतिभा को निखारने का कार्य कर रहा है. एपीटीसी सेंटर युवाओं को एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के लिए तैयार कर रहा है. यहां आरएएस, आरजेएस की प्रिपरेशन के लिए छात्रों से महज 20 हजार, आईएएस प्री के लिए 25 हजार और नेट/सेट/जेआरएफ जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 15 हजार का नॉमिनल शुल्क लिया जाता है. बीते 44 साल में इस सेंटर ने धीरज श्रीवास्तव, शक्ति सिंह राठौड़, कुंजी लाल मीणा, हरसहाय मीणा, रामअवतार गुर्जर, रघुवीर सैनी और डॉ देवाराम जैसे कई दिग्गज आईएएस, आरएएस और आरपीएस ऑफिसर दिए हैं, लेकिन 2010 के बाद प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स की तुलना में यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी के चलते ये सेंटर पिछ्ड़ता जा रहा है.

APTC कोचिंग सेंटर

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इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 10 लाख की जरूरत
एपीटीसी विभाग के निदेशक प्रो. राम सिंह चौहान ने बताया कि इस सेंटर को संचालित करने के लिए वह लगातार प्रयासरत हैं. वर्तमान में भी यहां आरजेएस की प्रिपरेशन क्लासेस चल रही है, लेकिन संसाधनों की कमी कहीं न कहीं आड़े आ रही है. यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए करीब 10 लाख की जरूरत है. विभाग की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक प्रस्ताव बनाकर भी भेजा गया है, लेकिन इसे अब तक स्वीकृति नहीं मिली है.

प्रो. चौहान ने बताया कि एपीटीसी में युवाओं को पढ़ाने के लिए प्रमुख रूप से सेवानिवृत्त शिक्षक यहां आते हैं जिन्हें 500 रुपए मानदेय और 100 रुपए कन्वेंस चार्ज के रूप में दिया जाता है. इस मानदेय को बढ़ाने की भी विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की गई है ताकि शिक्षक अपनी नियमित सेवाएं दे सकें. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि उन्हें अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों को उचित मानदेय दिया जाता है, तो ग्रामीण परिवेश से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कराई जा सकेगी. इससे न सिर्फ राजस्थान विश्वविद्यालय बल्कि प्रदेश का भी नाम होगा.

राजस्थान विश्वविद्यालय में चल रहा सेंटर
ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति राजीव जैन ने बताया कि प्राइवेट कोचिंग संस्थानों की तुलना में प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में संचालित इस विभाग से पूर्व में कई युवाओं का चयन विभिन्न भर्तियों में हो चुका है और आज वह कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर कार्यरत हैं. जबकि प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स पर एडमिशन के लिए छात्रों को न्यूनतम लाख रुपए तक देने होते हैं. वहां एपीटीसी सेंटर पर कुछ हजार रुपए में कोचिंग की सुविधा मिल रही है.

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हालांकि 2010 के बाद सेंटर के गिरते स्तर पर कुलपति कुछ भी कहने से बचते नजर आए. उन्होंने बीते 3 साल सेंटर संचालित नहीं होने का ठीकरा कोरोना के माथे फोड़ दिया. सेंटर के मेंटेनेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर के सवाल पर कुलपति ने कहा कि एपीटीसी डायरेक्टर ने इस बारे में पत्र लिखा है. एमएसआर फंड के जरिए यहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी. हालांकि शिक्षकों के मानदेय की बात को उन्होंने ये कह कर टाल दिया कि सेवानिवृत्त शिक्षक और यहां से पढ़ कर आगे बढ़े एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस के लोग यहां पढ़ाने के लिए आगे आएंगे.

बहरहाल, राजस्थान विश्वविद्यालय सिविल सर्विसेज सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए युवाओं को कोचिंग की सुविधा दे रहा है, लेकिन निजी कोचिंग सेंटर्स की तुलना में यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं होने के कारण युवाओं की रुचि कम हो रही है. हालांकि अब जल्द से जल्द यहां मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराते हुए छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने की ओर यूनिवर्सिटी अग्रसर होने का दावा कर रही है.

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