जयपुर. प्रदेश की एक मात्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्विद्यालय में शोधार्थियों के लिए अच्छी खबर है. विवि में चार साल बाद फिर से शोध कार्य शुरू होने जा रहा है. इसके लिए 30 जून तक आवेदन मांगे गए हैं.
वहीं विवि ने तीन साल पहले पीएचडी और एमफिल के पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया था. इससे विश्वविद्यालय की ओर से होने वाले शोध कार्यों में भी ठहराव आ गया था. शोध कार्य नहीं होने से स्थिति यहां तक पहुंच गई थी कि सरकार की ओर से विश्वविद्यालय को मिले संस्कृत पांडुलिपियों के अध्ययन के लिए पांच करोड़ रुपए में से विश्वविद्यालय को 2.19 करोड़ रुपए वापस सरकार को लौटाने पड़ गए थे. क्योंकि शोध कार्यों के लिए विश्वविद्यालय के पास विद्यार्थी ही नहीं थे.
संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरके कोठारी ने बताया कि पीएचडी और एमफिल करने के लिए शोधार्थी 30 जून तक आवेदन कर सकेंगे. पीएचडी की 101 और एमफिल की 47 सीटों के लिए आवेदन किए जा सकेंगे. अनुसंधान केंद्र से साहित्य, भाषा विज्ञान, वेद, धर्मशास्त्र, व्याकरण, ज्योतिष, शिक्षा और दर्शन शास्त्र के साथ ही श्रमण विद्या, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश बौद्ध और जैन दर्शन में पीएचडी और एमफिल में शोध किया जा सकेगा.
जानकारों की मानें तो विवि में शिक्षकों की आपसी राजनीति के कारण अनुसंधान केंद्र के निदेशक का पद लंबे समय से रिक्त चल रहा था. लेकिन कार्यवाहक कुलपति आरके कोठारी ने पद पर सुध लेते हुए अनुसंधान केंद्र में निदेशक पद पर प्रोफेसर राजधर मिश्र को नियुक्ति दी है. वहीं अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने ही प्री पीएचडी, प्री एमफिल की विज्ञप्ति को जारी किया है.