जयपुर . बजट घोषणा से निराश आंगनबाड़ी महिला कर्मियों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है. कार्य बहिष्कार के बाद गुरुवार को इन महिला कर्मियों ने राजधानी जयपुर में अपना विरोध प्रकट किया. अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के बैनर तले विधानसभा का घेराव करने के लिए बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी महिला कर्मी 22 गोदाम के पास एकत्रित हुई. पुलिस ने उन्हें वहां से आगे जाने की अनुमति नहीं दी . ऐसे में 22 गोदाम पर ही महिला कर्मियों ने 1 दिन का धरना देकर अपना विरोध दर्ज कराया.
संघ के संस्थापक-संरक्षक छोटीलाल बुनकर ने बताया कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जन घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी कार्मिकों को नियमित कर्मचारी बनाने का वादा किया था. जिसे सरकार ने अपने इस आखिरी बजट में भी पूरा नहीं किया. इसी तरह से मानदेय वृद्धि भी बजट में 15 फीसदी ही की गई, जो अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. बुनकर ने कहा कि अन्य राज्यों में 10-15 हजार रुपए तक मानदेय दिया जा रहा है. लंबे समय से महिला कर्मी सरकार से नियमितीकरण और मानदेय बढ़ाने की मांग कर रही हैं. सरकार ने इनकी मांग को बजट घोषणा पत्र में भी शामिल किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया है. इसके चलते महिला कर्मियों में नाराजगी है.
पोषाहार बंद कर छीना रोजगारः बुनकर ने बताया कि सरकार के महिला अधिकारिता विभाग ने सैकड़ों ग्राम साथिनों से रोजगार छीन लिया है . राज्य में 25 हजार स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, जो पोषाहार आपूर्ति का कार्य करती थीं , उनकी आपूर्ति को कोरोना संक्रमण काल के दौरान बंद किया था. इसे फिर से शुरू नहीं किया गया, जिसकी वजह से 5 लाख के करीब स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं.
8 लाख बच्चे हुए पोषाहार से वंचितः बता दें कि बजट से मिली निराशा के बाद राज्य में 63 हजार आंगनबाड़ी पाठशालाओं में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिन, ग्राम साथिनों ने कार्य बहिष्कार किया हुआ है. जिसके कारण लगभग 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के प्रदेश में 8 लाख नौनिहालों को आंगनबाड़ी पाठशालाओं में दिए जाने वाले शिक्षण और पोषाहार से वंचित होना पड़ा है.