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Rajasthan University के पूर्व छात्र नेताओं का आरोप, योग्यता छिपा कर कुलपति बने डॉ राजीव जैन

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र प्रतिनिधि डॉ राम सिंह सामोता ने आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजीव जैन पर योग्यता छिपाने का आरोप लगाया (Allegations on VC of Rajasthan University) है.

Allegations on VC of Rajasthan University by former research representative
Rajasthan University के पूर्व छात्र नेताओं का आरोप, योग्यता छिपा कर कुलपति बने डॉ राजीव जैन
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Published : Jan 16, 2023, 11:22 PM IST

Updated : Jan 18, 2023, 10:15 AM IST

कुलपति पर लगाए गंभीर आरोप...

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजीव जैन ने चयन समिति और राजभवन को अंधेरे में रख अपनी योग्यता के फर्जी दस्तावेज पेश कर कुलपति का पद पाया है. राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेताओं ने सोमवार को आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज पेश करते हुए कुलपति पर ये आरोप लगाए.

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र प्रतिनिधि डॉ राम सिंह सामोता ने आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ राजीव जैन 1 अप्रैल, 1984 से 30 जुलाई, 2011 तक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय उदयपुर में राज्य सरकार की ओर से सृजित और अनुदानित व्याख्याता के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान उन्होंने सरकारी कोष से वेतन प्राप्त किया और राज्य सरकार की ओर से 29 जुलाई, 2011 को इनका आमेलन राजकीय सेवा में व्याख्याता पद पर कर लिया गया. राज्य सरकार ने 25 मार्च, 2012 को डॉ जैन को व्याख्याता के पद पर वरिष्ठ और चयन वेतन शृंखला का लाभ दिये जाने का आदेश जारी किया था, तो फिर डॉ जैन ने किस आधार पर खुद को 2007 से प्रोफेसर मान लिया.

पढ़ें: महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज

सामोता ने आरोप लगाया कि डॉ राजीव जैन ने वीसी के लिए किए गए आवेदन पत्र में भी झूठी जानकारी दी. उन्हें 8 अगस्त, 2012 को कोटा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली थी. जहां से 13 दिसम्बर, 2017 को वो सेवानिवृत हो गए, लेकिन डॉ जैन ने राजस्थान विद्यापीठ प्रशासन से सांठगांठ करके एसोसिएट प्रोफेसर पर 7 अप्रैल, 1997 और 25 अगस्त, 2007 को प्रोफेसर पद पर पदोन्नति आदेश जारी करवा लिए. जबकि 2012 राजकीय महाविद्यालय डूंगरपुर ने इनके रिलीविंग ऑर्डर में इन्हें व्याख्याता माना है. डॉ जैन ने राजस्थान विद्यापीठ प्रशासन की ओर से जारी किए गये आदेशों को राज्य सरकार को नहीं भेजा क्योंकि सरकार से किसी भी प्रकार की पदोन्नति आदेश प्राप्त नहीं हुए थे.

पढ़ें: RTU VC TRAP : विधायक दिलावर ने लगाया आरोप, कहा- चयन समिति ने भारी पैसा लेकर प्रो. गुप्ता को बनाया वाइस चांसलर

उन्होंने कुलपति पद के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी आवेदन पत्र को पेश करते हुए डॉ राजीव जैन की ओर से भरे गए ऑफलाइन आवेदन पत्र की कॉपी पेश करते हुए आरोप लगाया कि डॉ जैन ने आवेदन पत्र में भी कांट-छांट करके नया ऑफलाइन फॉर्म बनाकर सबमिट किया था. इस फॉर्मेट में से डेट ऑफ जॉइनिंग, वास्तविक कार्य अनुभव और डिक्लेरेशन बाय द कैंडिडेट के क्रमांक तीन में उल्लिखित सूचना असत्य पाए जाने पर नियुक्ति रद्द कर दिए जाने की लाइन को ही हटा दिया गया था.

कोटा विश्वविद्यालय में 2012 में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के दौरान भी तत्कालीन यूनिवर्सिटी कुलपति जे पी सिंघल की अध्यक्षता में बनी कमिटी ने भी इनकी नियुक्ति में गंभीर अवैधानिकता बताई था. पूर्व शोध छात्र प्रतिनिधि ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति ने तथ्य छिपाकर सर्च कमिटी को गुमराह किया और आधे अधूरे तथ्यों के साथ कुलपति बने हैं. उन्होंने मांग की है कि कुलपति के आवेदन पत्र और इनकी योग्यता की जांच होनी चाहिए.

पढ़ें: डिग्री विवाद के बीच लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति का इस्तीफा

वहीं यूनिवर्सिटी जनसंचार केंद्र के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हेमंत जकड़ी ने बताया कि डॉ जैन ने जेईसीआरसी विश्वविद्यालय जयपुर से सांठगांठ कर प्रोफेसर के पद पर 3 जनवरी, 2018 को जॉइन करने के आदेश जारी करवाए. जिसमें शर्त थी कि इन्हें 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी. जबकि डॉ जैन 13 दिसंबर, 2017 को ही 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके थे. उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ जैन ने न केवल सर्च कमिटी बल्कि राजभवन को भी गुमराह किया और कुलपति का नियुक्ति पत्र जारी करवा लिया. ऐसे में उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग की. इन आरोपों को लेकर ईटीवी भारत ने कुलपति से संपर्क साधने का प्रयास किया. लेकिन कई बार फोन करने और कुलपति सचिवालय पहुंचने पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

कुलपति पर लगाए गंभीर आरोप...

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजीव जैन ने चयन समिति और राजभवन को अंधेरे में रख अपनी योग्यता के फर्जी दस्तावेज पेश कर कुलपति का पद पाया है. राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेताओं ने सोमवार को आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज पेश करते हुए कुलपति पर ये आरोप लगाए.

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र प्रतिनिधि डॉ राम सिंह सामोता ने आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ राजीव जैन 1 अप्रैल, 1984 से 30 जुलाई, 2011 तक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय उदयपुर में राज्य सरकार की ओर से सृजित और अनुदानित व्याख्याता के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान उन्होंने सरकारी कोष से वेतन प्राप्त किया और राज्य सरकार की ओर से 29 जुलाई, 2011 को इनका आमेलन राजकीय सेवा में व्याख्याता पद पर कर लिया गया. राज्य सरकार ने 25 मार्च, 2012 को डॉ जैन को व्याख्याता के पद पर वरिष्ठ और चयन वेतन शृंखला का लाभ दिये जाने का आदेश जारी किया था, तो फिर डॉ जैन ने किस आधार पर खुद को 2007 से प्रोफेसर मान लिया.

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सामोता ने आरोप लगाया कि डॉ राजीव जैन ने वीसी के लिए किए गए आवेदन पत्र में भी झूठी जानकारी दी. उन्हें 8 अगस्त, 2012 को कोटा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली थी. जहां से 13 दिसम्बर, 2017 को वो सेवानिवृत हो गए, लेकिन डॉ जैन ने राजस्थान विद्यापीठ प्रशासन से सांठगांठ करके एसोसिएट प्रोफेसर पर 7 अप्रैल, 1997 और 25 अगस्त, 2007 को प्रोफेसर पद पर पदोन्नति आदेश जारी करवा लिए. जबकि 2012 राजकीय महाविद्यालय डूंगरपुर ने इनके रिलीविंग ऑर्डर में इन्हें व्याख्याता माना है. डॉ जैन ने राजस्थान विद्यापीठ प्रशासन की ओर से जारी किए गये आदेशों को राज्य सरकार को नहीं भेजा क्योंकि सरकार से किसी भी प्रकार की पदोन्नति आदेश प्राप्त नहीं हुए थे.

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उन्होंने कुलपति पद के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी आवेदन पत्र को पेश करते हुए डॉ राजीव जैन की ओर से भरे गए ऑफलाइन आवेदन पत्र की कॉपी पेश करते हुए आरोप लगाया कि डॉ जैन ने आवेदन पत्र में भी कांट-छांट करके नया ऑफलाइन फॉर्म बनाकर सबमिट किया था. इस फॉर्मेट में से डेट ऑफ जॉइनिंग, वास्तविक कार्य अनुभव और डिक्लेरेशन बाय द कैंडिडेट के क्रमांक तीन में उल्लिखित सूचना असत्य पाए जाने पर नियुक्ति रद्द कर दिए जाने की लाइन को ही हटा दिया गया था.

कोटा विश्वविद्यालय में 2012 में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के दौरान भी तत्कालीन यूनिवर्सिटी कुलपति जे पी सिंघल की अध्यक्षता में बनी कमिटी ने भी इनकी नियुक्ति में गंभीर अवैधानिकता बताई था. पूर्व शोध छात्र प्रतिनिधि ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति ने तथ्य छिपाकर सर्च कमिटी को गुमराह किया और आधे अधूरे तथ्यों के साथ कुलपति बने हैं. उन्होंने मांग की है कि कुलपति के आवेदन पत्र और इनकी योग्यता की जांच होनी चाहिए.

पढ़ें: डिग्री विवाद के बीच लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति का इस्तीफा

वहीं यूनिवर्सिटी जनसंचार केंद्र के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हेमंत जकड़ी ने बताया कि डॉ जैन ने जेईसीआरसी विश्वविद्यालय जयपुर से सांठगांठ कर प्रोफेसर के पद पर 3 जनवरी, 2018 को जॉइन करने के आदेश जारी करवाए. जिसमें शर्त थी कि इन्हें 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी. जबकि डॉ जैन 13 दिसंबर, 2017 को ही 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके थे. उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ जैन ने न केवल सर्च कमिटी बल्कि राजभवन को भी गुमराह किया और कुलपति का नियुक्ति पत्र जारी करवा लिया. ऐसे में उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग की. इन आरोपों को लेकर ईटीवी भारत ने कुलपति से संपर्क साधने का प्रयास किया. लेकिन कई बार फोन करने और कुलपति सचिवालय पहुंचने पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

Last Updated : Jan 18, 2023, 10:15 AM IST
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