जयपुर. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान में चल रही सियासी गुटबाजी को खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे में बदलाव कर दिया है. प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अब खाली चल रहे नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. बीजेपी के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अध्यक्ष सीपी जोशी को बनाकर ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है. अब नेता प्रतिपक्ष राजपूत या जाट समाज से बनाया जा सकता है.
क्या कहते हैं जातिगत समीकरण: भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाये जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी आलाकमान के फैसले का इंतजार है. लेकिन इस बीच केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया है. डॉ सतीश पूनिया की जगह अब सांसद सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. चुनावी साल में पार्टी हर फैसले को सोच-समझ कर रही है.
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पार्टी की गुटबाजी को खत्म करने और जातिगत समीकरणों को बनाने की कोशिश की जा रही है. यही वजह है कि ब्राह्मण चेहरे को अध्यक्ष बना कर एक बड़े वोट बैंक को साधा गया है. इसी तरह से ये माना जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर किसी जाट या राजपूत समाज के नेता को पदासीन किया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो सतीश पूनिया को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे कर अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर समाज में होने वाली नाराजगी को रोकने की कोशिश की जा सकती है.
इसके साथ ये माना जा रहा है कि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है. इससे राजपूत समाज को साधा जा सकता है. हालांकि तीसरा नाम मालवीय नगर से विधायक कालीचरण सराफ का है, जो पूर्व मंत्री और 6 बार के विधायक हैं. सराफ के जरिये वैश्य समाज को भी साधा जा सकता है. चौथा नाम अजमेर से आने वाले विधायक वासुदेव देवनानी का है जो पूर्व में मंत्री रहे हैं और वो संघ में भी अच्छी पकड़ रखते हैं. देवनानी सदन में भी सत्ता के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्री राजे की दावेदारी: दरअसल गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाये जाने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन जिस तरह से बजट सत्र समाप्त होने तक भी नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया, उसके बाद ये संभावना न के बराबर हो गई है कि अब राजे को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए. क्योंकि अब विधानसभा भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है. मतलब साफ है कि सदन में अब नेता प्रतिपक्ष की भूमिका वाला कोई ज्यादा काम बचा नहीं है.
कटारिया असम के राज्यपाल: गुलाबचंद कटारिया को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने असम का नया राज्यपाल बना दिया है. कटारिया के असम का राज्यपाल बनने के साथ ही प्रदेश में ताजा सियासी समीकरण पर कयास लगाए जाने लगे हैं. गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में बड़ा सियासी संकेत देना चाह रहा है.
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गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश: विधानसभा चुनाव में अब 7 महीने से भी कम का वक्त बचा है. प्रदेश बीजेपी में गुटबाजी केंद्रीय नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. डॉ सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अदावत सबके सामने है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने पहले गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाया है, ताकि नेता प्रतिपक्ष की खाली सीट पर किसी एक नेता को बिठाकर राजनीतिक और जातिगत समीकरणों को संभालते हुए गुटबाजी को खत्म किया जा सके. इसके बाद अब प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव किया गया है. हालांकि 12 फरवरी को गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था. उसके बाद से ये पद खाली चल रहा है.