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गायों में लम्पी के बाद अब घोड़ों में फैला ग्लैण्डर्स, बीमारी लाइलाज...पशु मेलों में गायों के बाद अब घोड़े भी बैन - घोड़ी को ग्लैण्डर्स

घोड़ों ओर खच्चरों में पाई जाने वाली ग्लैण्डर्स बीमारी गायों में फैली लम्पी बीमारी से भी कहीं खतरनाक है (Horse Glanders disease in Rajasthan). लम्पी से बचाव के लिए तो टीका भी मौजूद था लेकिन जिस घोड़े में ग्लैण्डर्स बीमारी हो जाती है उसे यूथेनाइज़(मारना) ही एकमात्र उपचार है. यानी कि जिस घोड़े में यह बीमारी होती है उसे इंजेक्शन देकर मारना ही पड़ता है.

Horse Glanders disease in Rajasthan
अब घोड़ों में फैला ग्लैण्डर्स
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Published : Nov 2, 2022, 9:50 AM IST

जयपुर. राजस्थान में गायों में फैली लम्पी बीमारी के बाद अब जयपुर के बगरू समेत 4 स्थानों पर घोड़ों में ग्लैंडर्स नामक घातक बीमारी देखी गई है (Horse Glanders disease in Rajasthan). जिसने प्रदेश के पशुपालन विभाग के होश उड़ा दिए हैं. लम्पी के चलते प्रदेश में जहां 70 हज़ार से ज्यादा गायों की मौत हुई और अब जाकर यह बीमारी कुछ कंट्रोल में आई है ,लेकिन इसके बावजूद भी राजस्थान में सभी पशु मेलों में गायों के लाने पर रोक लगी हुई है, तो अब घोड़ों में दिखाई दी ग्लैण्डर्स बीमारी के चलते पुष्कर मेले समेत सभी पशु मेलों में घोड़े ओर खच्चर पर भी रोक लगा दी गई है.

घोड़ों ओर खच्चरों में पाई जाने वाली ग्लैण्डर्स बीमारी गायों में फैली लम्पी बीमारी से भी कहीं खतरनाक है, क्योंकि लम्पी से बचाव के लिए तो टीका भी मौजूद था लेकिन जिस घोड़े में ग्लैण्डर्स बीमारी हो जाती है उसे यूथेनाइज़(मारना) ही एकमात्र उपचार है. यानी कि जिस घोड़े में यह बीमारी होती है उसे इंजेक्शन देकर मारना ही पड़ता है.

पशु से इंसान में फैलना मुमकिन: राजधानी जयपुर के बगरू में एक घोड़ी को ग्लैण्डर्स बीमारी की पुष्टि हो चुकी है, बगरू कस्बे के निवासी सिराज खान की घोड़ी में यह संक्रमण हुआ, जिसके बाद पशुपालन विभाग की ओर से गठित कमेटी ने घोड़ी को यूथेनाइज (मारकर)- वैज्ञानिक विधि से घोड़ी के शव को निस्तारित किया. आपको बता दें कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र एनआरसी हिसार की रिपोर्ट में इस घोड़ी को ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई थी. जानकारों की मानें तो बीमारी घोड़ों से अन्य पशुओं ओर मनुष्यों में भी फैल सकती है. चूंकि ग्लैंडर्स रोग की चपेट में आने वाले घोड़ों का कोई इलाज नहीं होता इसलिए घोड़े को मारने के बाद संक्रमित पशु से 5 किलोमीटर की जद में मौजूद सभी पशुओं की जांच की जाती है.

ये भी पढ़ें-EXCLUSIVE: इस बार नहीं लगेगा पुष्कर कार्तिक पशु मेला, लंपी रोग के कारण लिया निर्णय...विभाग ने जारी किए आदेश

केंद्र सरकार देती है 25,000 का मुआवजा: ग्लैंडर्स रोग की जांच क्योंकि राजस्थान में नहीं होती है ऐसे में इस रोग की चपेट में आने वाले घोड़ों का सैंपल लेकर उन्हें हिसार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में जांच के लिए भेजा जाता है. अगर कोई घोड़ा इस बीमारी से संक्रमित पाया जाता है तो उसे मार दिया जाता है और घोड़े के मालिक को केंद्र सरकार की ओर से 25,000 का मुआवजा दिया जाता है. अगर किसी घोड़े में यह ग्लैंडर्स रोग होता है तो उसका नाक तेजी से बहने लगती है, घोड़े के शरीर में फफोले हो जाते हैं और उसे सांस लेने में तकलीफ होती है इसके साथ ही घोड़े को बुखार भी होता है.

जयपुर. राजस्थान में गायों में फैली लम्पी बीमारी के बाद अब जयपुर के बगरू समेत 4 स्थानों पर घोड़ों में ग्लैंडर्स नामक घातक बीमारी देखी गई है (Horse Glanders disease in Rajasthan). जिसने प्रदेश के पशुपालन विभाग के होश उड़ा दिए हैं. लम्पी के चलते प्रदेश में जहां 70 हज़ार से ज्यादा गायों की मौत हुई और अब जाकर यह बीमारी कुछ कंट्रोल में आई है ,लेकिन इसके बावजूद भी राजस्थान में सभी पशु मेलों में गायों के लाने पर रोक लगी हुई है, तो अब घोड़ों में दिखाई दी ग्लैण्डर्स बीमारी के चलते पुष्कर मेले समेत सभी पशु मेलों में घोड़े ओर खच्चर पर भी रोक लगा दी गई है.

घोड़ों ओर खच्चरों में पाई जाने वाली ग्लैण्डर्स बीमारी गायों में फैली लम्पी बीमारी से भी कहीं खतरनाक है, क्योंकि लम्पी से बचाव के लिए तो टीका भी मौजूद था लेकिन जिस घोड़े में ग्लैण्डर्स बीमारी हो जाती है उसे यूथेनाइज़(मारना) ही एकमात्र उपचार है. यानी कि जिस घोड़े में यह बीमारी होती है उसे इंजेक्शन देकर मारना ही पड़ता है.

पशु से इंसान में फैलना मुमकिन: राजधानी जयपुर के बगरू में एक घोड़ी को ग्लैण्डर्स बीमारी की पुष्टि हो चुकी है, बगरू कस्बे के निवासी सिराज खान की घोड़ी में यह संक्रमण हुआ, जिसके बाद पशुपालन विभाग की ओर से गठित कमेटी ने घोड़ी को यूथेनाइज (मारकर)- वैज्ञानिक विधि से घोड़ी के शव को निस्तारित किया. आपको बता दें कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र एनआरसी हिसार की रिपोर्ट में इस घोड़ी को ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई थी. जानकारों की मानें तो बीमारी घोड़ों से अन्य पशुओं ओर मनुष्यों में भी फैल सकती है. चूंकि ग्लैंडर्स रोग की चपेट में आने वाले घोड़ों का कोई इलाज नहीं होता इसलिए घोड़े को मारने के बाद संक्रमित पशु से 5 किलोमीटर की जद में मौजूद सभी पशुओं की जांच की जाती है.

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केंद्र सरकार देती है 25,000 का मुआवजा: ग्लैंडर्स रोग की जांच क्योंकि राजस्थान में नहीं होती है ऐसे में इस रोग की चपेट में आने वाले घोड़ों का सैंपल लेकर उन्हें हिसार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में जांच के लिए भेजा जाता है. अगर कोई घोड़ा इस बीमारी से संक्रमित पाया जाता है तो उसे मार दिया जाता है और घोड़े के मालिक को केंद्र सरकार की ओर से 25,000 का मुआवजा दिया जाता है. अगर किसी घोड़े में यह ग्लैंडर्स रोग होता है तो उसका नाक तेजी से बहने लगती है, घोड़े के शरीर में फफोले हो जाते हैं और उसे सांस लेने में तकलीफ होती है इसके साथ ही घोड़े को बुखार भी होता है.

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