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राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी पर अतिरिक्त चार्ज का बोझ, डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर 76 अफसर - Rajasthan suffering due to lack of bureaucracy

राजस्थान पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ (Rajasthan suffering due to lack of bureaucracy) रहा है. इस बीच आधा दर्जन आईएएस ने दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं, आईएएस प्रीतम बी यशवंत को दिल्ली प्रतिनियुक्ति मिल गई. प्रदेश के आंकड़े देखें तो 76 अफसर डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर है.

Rajasthan suffering due to lack of bureaucracy
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Published : Jan 7, 2023, 4:55 PM IST

पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपना पांचवा (Burden of additional charge on bureaucracy) बजट पेश करने के साथ ही चुनावी मोड में चली जाएगी. सरकार की कोशिश होगी कि जन कल्याणकारी योजनाओं के जरिए आम जनता तक पहुंचा जाए. लेकिन ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहे राजस्थान में सरकार की मंशा पूरी होने पर संशय है. ऐसा इसलिए क्योंकि 76 से ज्यादा अफसर डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर चले गए हैं. एक के बाद एक ब्यूरोक्रेट्स के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी अफसरों की लगातार कमी हो गई है. वहीं, 30 से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो अतिरिक्त चार्ज के सहारे चल रहे हैं.

213 से ज्यादा पद खाली: राजस्थान में आईएएस, आईपीएस, इंडियन रिस्ट सर्विसेज के करीब 673 कैडर पोस्ट आवंटित हैं. लेकिन इनमें से 213 पोस्ट खाली है. 460 वर्किंग है, जिनमें से 54 आईएएस, आपीएस और आइएफएस दिल्ली में डेपुटेशन पर पोस्टेड है. इसके अलावा 22 ब्यूरोक्रेट्स ट्रेनिंग और स्टडी लीव (Rajasthan suffering due to lack of bureaucracy) पर है. इसी के कारण प्रदेश में कई जन सेवाओं की डिलीवरी में देरी और सरकार की नाराजगी में देखी जा रही है. राजस्थान की आईएएस कैडर स्ट्रेंथ 313 है. जिसमें से 244 पोस्ट भरी हुई है. इसमें से भी 30 आईएएस डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर है. इसी तरह से आईपीएस स्ट्रेंथ 215 है, लेकिन 193 को ही पोस्ट मिली हुई है और उसमें से भी 29 आईपीएस डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर है. वहीं, आईएफएस की बात करें तो 145 पोस्ट हैं, जिसमें से 99 पोस्ट भरी हुई है. जबकि 17 आइएफएस ट्रेनिंग और डेपुटेशन पर हैं.

इसे भी पढ़ें - ब्यूरोक्रेसी विवाद! तबादले से नाराज IAS पी. रमेश ने मुख्य सचिव से की मुलाकात

आम जन तक पहुंचे योजना का लाभ: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों उच्च अधिकारियों संग बैठक की थी. जिसमें सीएम ने निर्देश दिए थे कि वो आम जन तक सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने की दिशा में कोई कोताही न बरते. लेकिन सरकार के इस सुशासन और वित्तीय (Bureaucrats increased trouble of Gehlot govt) प्रबंधन के बीच ब्यूरोक्रेसी की कमी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. यही कारण है कि योजनाओं को धरातल पर उतारने में दिक्कतें पेश आ रही हैं.

30 ज्यादा विभाग अतिरिक्त प्रभार के सहारे: प्रदेश में अफसरों की कमी इतनी ज्यादा हो चुकी है कि राज्य के 30 से ज्यादा विभागों के कामकाज की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को दी हुई है. एक मूल विभाग के साथ एक या दो अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभालने से काम का बोझ बढ़ रहा है. एक के बाद एक अफसर के डेपुटेशन पर जाने से मौजूदा अधिकारियों पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है. सिविल लिस्ट देखें तो 30 अफसरों के पास अपने मूल विभाग के साथ अन्य विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.

अतिरिक्त प्रभार से काम हो रहा प्रभावित: पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत ने बताया कि अब विभागों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया गया है. इसलिए ज्यादा विभाग हो गए हैं और विभाग के लिहाज से अधिकारियों की कमी भी आ गई है. इस बीच कुछ सीनियर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले जाते हैं. अफसरों की कमी के चलते अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को जिम्मेदारी दी जाती है. जिस अधिकारी के पास बड़ा मूल डिपार्टमेंट है तो उसका असर दोनों विभागों के कामकाज पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अफसरों की कमी के बीच अगर अतिरिक्त चार्ज दिया भी जाए तो ये देखना चाहिए कि जिस अधिकारी के पास मूल विभाग है, उससे जुड़ा हुआ विभाग ही अतिरिक्त चार्ज के रूप में दिया जाना चाहिए. भानावत ने कहा कि अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा संभल रहे अफसर उस विभाग का अच्छे से काम नहीं देख पाते तो जो उनके मूल विभाग से एकदम अलग है.

पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपना पांचवा (Burden of additional charge on bureaucracy) बजट पेश करने के साथ ही चुनावी मोड में चली जाएगी. सरकार की कोशिश होगी कि जन कल्याणकारी योजनाओं के जरिए आम जनता तक पहुंचा जाए. लेकिन ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहे राजस्थान में सरकार की मंशा पूरी होने पर संशय है. ऐसा इसलिए क्योंकि 76 से ज्यादा अफसर डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर चले गए हैं. एक के बाद एक ब्यूरोक्रेट्स के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी अफसरों की लगातार कमी हो गई है. वहीं, 30 से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो अतिरिक्त चार्ज के सहारे चल रहे हैं.

213 से ज्यादा पद खाली: राजस्थान में आईएएस, आईपीएस, इंडियन रिस्ट सर्विसेज के करीब 673 कैडर पोस्ट आवंटित हैं. लेकिन इनमें से 213 पोस्ट खाली है. 460 वर्किंग है, जिनमें से 54 आईएएस, आपीएस और आइएफएस दिल्ली में डेपुटेशन पर पोस्टेड है. इसके अलावा 22 ब्यूरोक्रेट्स ट्रेनिंग और स्टडी लीव (Rajasthan suffering due to lack of bureaucracy) पर है. इसी के कारण प्रदेश में कई जन सेवाओं की डिलीवरी में देरी और सरकार की नाराजगी में देखी जा रही है. राजस्थान की आईएएस कैडर स्ट्रेंथ 313 है. जिसमें से 244 पोस्ट भरी हुई है. इसमें से भी 30 आईएएस डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर है. इसी तरह से आईपीएस स्ट्रेंथ 215 है, लेकिन 193 को ही पोस्ट मिली हुई है और उसमें से भी 29 आईपीएस डेपुटेशन और ट्रेनिंग पर है. वहीं, आईएफएस की बात करें तो 145 पोस्ट हैं, जिसमें से 99 पोस्ट भरी हुई है. जबकि 17 आइएफएस ट्रेनिंग और डेपुटेशन पर हैं.

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आम जन तक पहुंचे योजना का लाभ: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों उच्च अधिकारियों संग बैठक की थी. जिसमें सीएम ने निर्देश दिए थे कि वो आम जन तक सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने की दिशा में कोई कोताही न बरते. लेकिन सरकार के इस सुशासन और वित्तीय (Bureaucrats increased trouble of Gehlot govt) प्रबंधन के बीच ब्यूरोक्रेसी की कमी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. यही कारण है कि योजनाओं को धरातल पर उतारने में दिक्कतें पेश आ रही हैं.

30 ज्यादा विभाग अतिरिक्त प्रभार के सहारे: प्रदेश में अफसरों की कमी इतनी ज्यादा हो चुकी है कि राज्य के 30 से ज्यादा विभागों के कामकाज की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को दी हुई है. एक मूल विभाग के साथ एक या दो अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभालने से काम का बोझ बढ़ रहा है. एक के बाद एक अफसर के डेपुटेशन पर जाने से मौजूदा अधिकारियों पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है. सिविल लिस्ट देखें तो 30 अफसरों के पास अपने मूल विभाग के साथ अन्य विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.

अतिरिक्त प्रभार से काम हो रहा प्रभावित: पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत ने बताया कि अब विभागों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया गया है. इसलिए ज्यादा विभाग हो गए हैं और विभाग के लिहाज से अधिकारियों की कमी भी आ गई है. इस बीच कुछ सीनियर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले जाते हैं. अफसरों की कमी के चलते अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को जिम्मेदारी दी जाती है. जिस अधिकारी के पास बड़ा मूल डिपार्टमेंट है तो उसका असर दोनों विभागों के कामकाज पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अफसरों की कमी के बीच अगर अतिरिक्त चार्ज दिया भी जाए तो ये देखना चाहिए कि जिस अधिकारी के पास मूल विभाग है, उससे जुड़ा हुआ विभाग ही अतिरिक्त चार्ज के रूप में दिया जाना चाहिए. भानावत ने कहा कि अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा संभल रहे अफसर उस विभाग का अच्छे से काम नहीं देख पाते तो जो उनके मूल विभाग से एकदम अलग है.

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