जयपुर. प्रदेश में 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक (Rajasthan Political Crisis) नहीं होने के जिम्मेदार ठहराए गए मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है. माना जा रहा है कि गहलोत के शुक्रवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस आलाकमान गहलोत से तीनों नेताओं पर कार्रवाई करने की बात कह सकता है.
25 सितंबर को राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान की ओर से बुलाई गई जिस विधायक दल की बैठक का गहलोत समर्थक विधायकों ने बहिष्कार कर अपने इस्तीफे सौंप दिए. उसके लिए मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार मानते हुए कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस जारी किए थे. लेकिन नवंबर तक इन नेताओं पर कार्रवाई नहीं हुई तो लगने लगा कि मामला ठंडे बस्ते में चला गया. यही कारण था कि 2 नवंबर को खुद सचिन पायलट सामने आए और उन्होंने तीनों नेताओं पर कार्रवाई की मांग कांग्रेस आलाकमान से की. लेकिन पायलट की मांग का कोई असर नहीं हुआ तो राजस्थान के प्रभारी और 25 सितंबर को पर्यवेक्षक बन कर विधायक दल की बैठक लेने जयपुर पहुंचे अजय माकन ने राजस्थान के प्रभारी पद को छोड़ने की घोषणा कर दी.
जैसे ही अजय माकन ने अपना पद छोड़ने को लेकर (Congress High Command on Rajasthan Politics) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखा, उसके बाद से राजस्थान में पायलट कैंप के नेता आक्रामक हो गए हैं. पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी और खिलाड़ी लाल बैरवा ने तीनों नेताओं पर तुरंत कार्रवाई करने की खुले मंच से मांग शुरू कर दी है. इसमें उन्हें दिव्या मदेरणा का भी साथ मिल रहा है. मतलब साफ है कि कांग्रेस आलाकमान पर भी इन तीनों नेताओं पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है और गहलोत के आज से शुरू हो रहे दो दिवसीय दिल्ली दौरे मैं इन तीनों नेताओं को लेकर निर्णय लिया जा सकता है.
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इस दौरे में गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात करेंगे. संभव है कि खड़गे गहलोत से इन तीनों नेताओं पर कार्रवाई करने का निर्देश दें. बता दें कि जिस तरह से तीनों नेताओं पर कार्रवाई का दबाव पायलट कैंप की ओर से बनाया गया है. उसी का नतीजा माना जा रहा है कि सरदार शहर सीट जिस पर भाजपा और कांग्रेस ने ब्राह्मण और वैश्य उम्मीदवार उतारा है. उसके बावजूद भी मंत्री महेश जोशी, मंत्री शांति धारीवाल को स्टार प्रचारकों की लिस्ट से दूर रखा गया है. अब गहलोत का आज से शुरू होने जा रहा दो दिवसीय दिल्ली दौरा राजस्थान की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण होने जा रहा है.
कार्रवाई पर सभी की निगाहें : अगर गहलोत तीनों नेताओं पर कार्रवाई कर देते हैं तो पायलट कैंप (Power of Pilot Politics) मजबूत होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसे गहलोत की जीत के तौर पर देखा जाएगा. लेकिन इस बीच सवाल यह भी है कि क्या गहलोत कांग्रेस आलाकमान अगर कोई फैसला सुनाता है तो उसे मानेंगे या नहीं. क्योंकि 25 सितंबर को जो इस्तीफा विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को दिए थे वह आज 52 दिन बाद भी स्पीकर सीपी जोशी के पास मौजूद हैं. कोई भी विधायक उन स्टीफों को वापस लेने नहीं पहुंचा.
सुरेश मिश्रा भेजेंगे खून से लिखा पत्र : इधर पायलट कैंप के विधायकों ने अब मुखर होकर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन और कारण बताओ नोटिस पाने वाले नेताओं पर कार्रवाई करने की मांग शुरू कर दी है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व सचिव रहे सुरेश मिश्रा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को खून से लिखा पत्र भेजेंगे. सुरेश मिश्रा का कहना है कि 52 दिन बाद भी राजस्थान में कोई निर्णय नहीं हुआ और प्रभारी अजय माकन ने भी अपना त्यागपत्र राजस्थान में अनिर्णय की स्थिति के चलते ही दिया है. ऐसे में राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलाकमान जल्द निर्णय ले.