जयपुर. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में दो विधायक सांसद बन गए हैं.जिसके बाद हनुमान बेनीवाल और नरेंद्र कुमार ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. लिहाजा जून के अंत से शुरू होने वाले विधानसभा के प्रस्तावित सत्र में 198 विधायक ही शामिल हो पाएंगे. इसे अजीब संयोग माने या कुछ और लेकिन कई सालों से ऐसे ही होता आया है. राजस्थान विधानसभा में एक साथ 200 विधायक कभी भी नहीं जुट पाए. पिछली सरकार में भी पहले विधायक कीर्ति कुमारी की मौत हुई और उसके बाद नाथद्वारा से विधायक कल्याण सिंह का निधन हो गया. ऐसे में पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान विधानसभा सत्र में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए.
हालांकि जिन 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है. उन क्षेत्रों के विकास की बात सदन में उठाने की जिम्मेदारी भाजपा और आरएलपी ने अपने अन्य विधायकों को सौंप दी है. बता दें कि नागौर की खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के कारण खाली हो गई. ऐसे में बेनीवाल ने अपनी पार्टी आरएलपी के अन्य विधायकों को इस क्षेत्र से जुड़ी समस्या सदन में उठाने के निर्देश दिए हैं, तो वहीं झुंझुनू की मंडावा सीट से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के कारण अब भाजपा के अन्य विधायक मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी जनता की समस्याएं सदन में उठाएंगे,क्योंकि नरेंद्र कुमार भाजपा के ही विधायक थे. लिहाजा इस जिम्मेदारी को भाजपा प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर स्थानीय विधायक निभाएंगे ताकि इन दोनों ही क्षेत्रों के लोगों की समस्या और विकास से जुड़ी आवाज सदन तक पहुंच सके.