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कीटनाशक के संपर्क में आने से 16 मनरेगा मजदूरों की तबीयत बिगड़ी - कृषि विभाग

जयपुर के विराटनगर में टिड्डी नियंत्रण के लिए कृषि विभाग की तरफ से किए गए कीटनाशक के छिड़काव की चपेट में आने से 16 मनरेगा मजदूरों की तबीयत खराब हो गई है. कृषि विभाग की तरफ से जयसिंहपुरा गांव में कीटनाशक का छिड़काव किया गया था, जहां से कुछ दूरी पर ही मनरेगा का काम चल रहा था.

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मनरेगा मजदूरों की तबीयत बिगड़ी
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Published : Jul 7, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 6:25 PM IST

विराटनगर (जयपुर). टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग की तरफ से किए जा रहे स्प्रे के संपर्क में आने से 16 मनरेगा मजदूरों की तबीयत खराब होने का मामला सामने आया है. सभी मनरेगा मजदूरों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों की निगरानी में सभी का इलाज चल रहा है. कृषि विभाग की तरफ से जयसिंहपुरा गांव में टिड्डी अटैक को कंट्रोल करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया गया था. छिड़काव की जगह से कुछ दूरी पर मनरेगा का काम चल रहा था. मंगलवार सुबह जब मनरेगा कर्मी काम पर पहुंचे तो तेज हवा चल रही थी, जिसके चलते 16 मनरेगा मजदूर छिड़काव में यूज किए गए कीटनाशक की चपेट में आ गए.

मनरेगा मजदूरों की तबीयत बिगड़ी

जिसके बाद सभी मजदूरों की छुट्टी कर दी गई, लेकिन घर जाते समय रास्ते में ही कई मजदूरों की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें जयसिंहपुरा अस्पताल में ले जाया गया. जहां से उन्हें पावटा अस्पताल में भर्ती करवाया गया. डॉक्टर अशोक चौधरी ने बताया कि सभी मजदूरों को उल्टी, दस्त, बुखार और चक्कर आ रहे थे. अभी प्राथमिक उपचार के बाद सभी मजदूर खतरे से बाहर हैं.

पढ़ें: जोधपुर: ओसियां में 3 KM तक फैले टिड्डी दल का हेलीकॉप्टर से खात्मा

टिड्डी दल दो प्रकार का होता है, गुलाबी और पीले रंग का. पीले रंग की टिड्डियां अंडे देने में सक्षम होती हैं. पड़ाव डालने के बाद पीले रंग की टिड्डियां अंडे देना शुरू कर देती हैं और इसके लिए वो एक जगह 3 से 4 दिन तक पड़ाव डाले रखती हैं. ऐसी स्थिति में कीटनाशक का छिड़काव करके टिड्डियों के प्रजनन को रोका जा सकता है. वहीं, गुलाबी रंग की टिड्डी एक जगह ज्यादा देर नहीं ठहरती हैं. गुलाबी रंग की टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ज्यादा तत्परता दिखाने की जरूरत होती है. टिड्डी दल दिन में झुंड में उड़ते हैं. शाम होने पर टिड्डियां पेड़ों पर और फसल के पत्तों पर बैठ जाती हैं. रात भर ठहरने के बाद टिड्डियां सुबह में उड़ जाती हैं.

विराटनगर (जयपुर). टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग की तरफ से किए जा रहे स्प्रे के संपर्क में आने से 16 मनरेगा मजदूरों की तबीयत खराब होने का मामला सामने आया है. सभी मनरेगा मजदूरों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों की निगरानी में सभी का इलाज चल रहा है. कृषि विभाग की तरफ से जयसिंहपुरा गांव में टिड्डी अटैक को कंट्रोल करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया गया था. छिड़काव की जगह से कुछ दूरी पर मनरेगा का काम चल रहा था. मंगलवार सुबह जब मनरेगा कर्मी काम पर पहुंचे तो तेज हवा चल रही थी, जिसके चलते 16 मनरेगा मजदूर छिड़काव में यूज किए गए कीटनाशक की चपेट में आ गए.

मनरेगा मजदूरों की तबीयत बिगड़ी

जिसके बाद सभी मजदूरों की छुट्टी कर दी गई, लेकिन घर जाते समय रास्ते में ही कई मजदूरों की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें जयसिंहपुरा अस्पताल में ले जाया गया. जहां से उन्हें पावटा अस्पताल में भर्ती करवाया गया. डॉक्टर अशोक चौधरी ने बताया कि सभी मजदूरों को उल्टी, दस्त, बुखार और चक्कर आ रहे थे. अभी प्राथमिक उपचार के बाद सभी मजदूर खतरे से बाहर हैं.

पढ़ें: जोधपुर: ओसियां में 3 KM तक फैले टिड्डी दल का हेलीकॉप्टर से खात्मा

टिड्डी दल दो प्रकार का होता है, गुलाबी और पीले रंग का. पीले रंग की टिड्डियां अंडे देने में सक्षम होती हैं. पड़ाव डालने के बाद पीले रंग की टिड्डियां अंडे देना शुरू कर देती हैं और इसके लिए वो एक जगह 3 से 4 दिन तक पड़ाव डाले रखती हैं. ऐसी स्थिति में कीटनाशक का छिड़काव करके टिड्डियों के प्रजनन को रोका जा सकता है. वहीं, गुलाबी रंग की टिड्डी एक जगह ज्यादा देर नहीं ठहरती हैं. गुलाबी रंग की टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ज्यादा तत्परता दिखाने की जरूरत होती है. टिड्डी दल दिन में झुंड में उड़ते हैं. शाम होने पर टिड्डियां पेड़ों पर और फसल के पत्तों पर बैठ जाती हैं. रात भर ठहरने के बाद टिड्डियां सुबह में उड़ जाती हैं.

Last Updated : Jul 7, 2020, 6:25 PM IST
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