जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने आदिवासी गीत 'आया ही रे याही रे याही रे याही' गाया और जमकर वाहवाही बटोरी. मौका था 14वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का, जिसके तहत शुक्रवार को 5 राज्यों के 10 जिलों दन्तेवाडा (छत्तीसगढ़) गिरीडीह, गुमला, लातेहार, चतरा, लोहारदगा (झारखंड) विषाखापट्टम (आंध्रप्रदेश) गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) जमुई, गया (बिहार) से आए हुए करीब 250 प्रतिभागी ग्रेटर निगम मुख्यालय पहुंचे. इस दौरान उन्हें नगर निगम की कार्य प्रणाली, संरचना, ग्रेटर निगम की आधुनिकतम मशीनों से भी रूबरू कराया गया.
छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार के आदिवासी युवा और एस्कोर्ट ऑफिसर शुक्रवार को ग्रेटर नगर निगम पहुंचे. इस दौरान उनका राजस्थान की संस्कृति के अनुसार तिलक लगाकर, पगड़ी और माला पहनाकर स्वागत किया गया. वहीं, नगर निगम की ओर से उपयोग की जाने वाली आधुनिकतम मशीनों बैंडीकूट, एरियल हाइड्रोलिक मशीन की कार्यप्रणाली के बारे में भी समझाया. इसके बाद महापौर कार्यालय और सभासद भवन का भी दौरा करवाया गया. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. जिसके अन्तर्गत छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड के आदिवासी युवाओं ने अपनी संस्कृति को दर्शाते हुए लोकनृत्य भी पेश किए और होली के गीत गाते हुए फूलों की होली खेली गई.
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इस दौरान आदिवासी युवाओं को सम्बोधित करते हुए ग्रेटर महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर ने कहा कि आप सभी देश का भविष्य है. इसलिए धर्म, जाति, भाषा आदि में भेद ना करते हुए एक राष्ट्र श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करते हुए स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करने में अपना योगदान दें. इस अवसर पर कार्यक्रम में महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर ने आदिवासी गीत 'आया ही रे याही रे याही रे याही' भी गाकर सुनाया. जिस पर आदिवासी युवाओं ने जमकर ताली बजाई.
इस दौरान आदिवासी युवाओं को अपने जीवन, करियर के बारे में नए तरीके से सोचने-समझने की समझ, युवाओं को जल, जंगल और जमीन, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, स्वरोजगार, गांधी-ग्राम स्वराज, स्वच्छता, आदिवासियों की प्राचीन विरासत को संरक्षित करने, ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण, कला, साहित्य, प्रौद्योगिकी से जुड़ने सहित अन्य जानकारी दी गई. आदिवासी युवाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने पहली बार रेलगाड़ी का सफर किया. साथ ही बताया कि हमारा देश अनेकता में एकता है.
सभी का खान-पान, पहनावा, बोली-भाषा, संस्कृति भले ही अलग-अलग हो, लेकिन सभी भारतीय है. यदि इस तरह के कार्यक्रम होते रहेंगे तो दूरस्थ आदिवासियों को देश को जानने और समझने का अवसर मिल सकेगा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें विविधता में एकता की अवधारणा को आत्मसात करने में सक्षम बनाना है.
इस दौरान महाराष्ट्र से आए हुए अजय ने कहा कि जयपुर आकर इसकी सुन्दरता को देखकर मन प्रफुल्लित हो गया. छत्तीसगढ़ से आई हुई रचना और अंजली मूंडा ने राजस्थानी संस्कृति की तारीफ करते हुए कहा कि यहां अतिथि देवो भव की परम्परा ने उनका मान बढ़ाया. साथ ही नगर निगम आकर यहां की कार्यप्रणाली को जानकार बहुत कुछ सीखने को मिला.
वहीं, आयुक्त महेन्द्र सोनी ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और सरंचना के बारे में आदिवासी युवाओं को विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि शहर को स्वच्छ और सुन्दर रखे. कचरा सड़क पर ना डालकर डस्टबिन में डाले, क्योंकि ये प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्होंने प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग ना करने की भी अपील की.